Narendra Modi Interview: सबसे बड़े 4 सवालों पर मोदी के जवाब से कितना संतुष्ट हैं आप?
Narendra Modi Interview: वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के 'आजतक' तक तो दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कुछ बातें साफ हो गईं. सबसे ज्यादा चर्चा में रहे मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी ने बेबाकी से जवाब दिया. सवाल ये है कि क्या जनता उनके जवाबों से संतुष्ट होगी?
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अपने नामांकन का परचा भरने आए पीएम मोदी ने आजतक को एक्सक्लूसिव interview दिया है. आजतक के साथ हुई इस सीधी बात में प्रधानमंत्री ने उन तमाम सवालों के जवाब दिए जिनको मुद्दा बनाकर विपक्ष लंबे समय से पीएम और उनकी सरकार पर तीखे हमले कर रहा था. चाहे कांग्रेस द्वारा गढ़ी हिंदू आतंकवाद की थ्योरी रही हो. या फिर ईवीएम का मुद्दा. जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनाने और उससे अलग हो जाने के फैसले से लेकर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के रवैये तक, जो कुछ भी प्रधानमंत्री ने आजतक को बताया. वो ये साफ कर देता है कि आने वाले वक़्त में मोदी सरकार इन तमाम मुद्दों पर न सिर्फ सख्त होगी. बल्कि इसका परमानेंट समाधान निकाल कर लम्बे समय से चली आ रही इस बहस को विराम देगी.
इंटरव्यू में जो अंदाज पीएम मोदी का था वो ये साफ बता रहा है कि इस साक्षात्कार के बाद अवश्य ही विपक्ष विशेषकर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पानी पीने को मजबूर जो जाएंगे.
#IndiaElects Watch exclusive interview with @PMOIndia @narendramodi this evening at 7 pm on @aajtak @IndiaToday Job losses, unemployment, agrarian distress, doubling farm income, black money, demo, Rafale, Sadhvi Pragiya, disinvestment and a lot more. No question unasked. pic.twitter.com/ABmY2UGnsc
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) April 26, 2019
तो आइये एक नजर डालते हैं उन विषयों पर, जिन्हें मुद्दों बनाकर जब आजतक ने पीएम से बात की तो पीएम ने भी अपने मन की बात बताकर स्पष्ट कर दिया कि इन मुद्दों को लेकर आगे उनका प्लान क्या है.
इंटरव्यू में जिओ जवाब पीएम मोदी ने आजतक को दिए हैं वो अवश्य ही विपक्ष को बेचैन करेंगे
जब पीएम ने कहा अब ईवीएम गाली खा रही है
बात बीते 13 अप्रैल की है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ईवीएम की शिकायत लेकर दिल्ली आए. उन्होंने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात कर बताया कि पहले चरण के दौरान खराब ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया गया है. चुनाव आयोग से नायडू ने राज्य के करीब 150 पोलिंग स्टेशनों पर पुनर्मतदान कराने की अपील की. चंद्रबाबू नायडू के अलावा शरद पवार और अखिलेश यदाव का भी शुमार उन लोगों में हैं जिन्होंने हालिया चुनावों में ईवीएम मशीनों पर तमाम तरह के सवालिया निशान लगाए. कुल मिलाकर देखा जाए तो एक बार फिर ईवीएम का मुद्दा भारतीय राजनीति में गर्मा गया है.
क्योंकि इन दिनों भारतीय राजनीति में ईवीएम हॉट टॉपिक है इसलिए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसके विषय में सवाल हुआ तो उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि, तीन चरणों के मतदान के बाद विरोधियों के बंदूक की नोक बदल गई है. पहले सुबह-शाम सिर्फ मुझे गालियां पड़ती थीं, लेकिन तीन चरणों के मतदान के बाद अब ईवीएम को भी गालियां दी जा रही हैं. पीएम मोदी ने कहा कि एक प्रकार से मैं ईश्वर का आभारी हूं कि गालियां अब 50 फीसदी मुझे पड़ रही है और 50 फीसदी ईवीएम को.
ध्यान रहे कि तीसरे चरण के मतदान के बाद विपक्षी पार्टियों के बीच ईवीएम को लेकर ऊहा पोह की स्थिति बनी है. ईवीएम को बड़ा मुद्दा बनाकर देश की 21 पार्टियां सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंची हैं और उन्होंने वहां ईवीएम के खिलाफ याचिका दायर की है.
कश्मीर पर सफाई बता रही है कि घाटी के नेताओं के अच्छे दिन गए
जम्मू कश्मीर में जिस वक़्त पीडीपी से भाजपा का गठबंधन खत्म हुआ उसी वक़्त ये मान लिया गया था कि कश्मीर को लेकर सरकार कुछ बड़ा करने वाली है. चुनाव की घोषणा के बाद जैसे भाजपा के अलग अलग मंचों से घाटी से धारा 370 और 35 ए खत्म करने का जिक्र हुआ उसने सारी दास्तां खुद-ब-खुद बता दी. साफ हो गया कि यदि घाटी के नेता अपना रवैया सही नहीं करते हैं तो इसका उन्हें बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
आजतक की बातचीत में भी कश्मीर एक बड़ा मुद्दा रहा. जब प्रधानमंत्री से सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि एक मुट्ठी भर परिवारों ने जम्मू-कश्मीर की जनता को इमोशनल ब्लैकमेल करने का काम किया है, जब मुफ्ती साहब थे तो हमें लगा कि इससे वापस आएंगे. लेकिन वो हमारी महामिलावट थी, हमने पहले भी कहा था कि वो तेल और पानी का मुद्दा था.
अगला सवाल समस्या के समाधान पर था जिसके जवाब में मोदी ने कहा कि कश्मीर मुद्दे का हल कैसे निकलेगा हमें पहले से पता था, इसके लिए हमें सत्ता में रहने की जरूरत नहीं थी. बातचीत में पीएम ने इस बात को भी स्वीकार किया कि, जनता ने ऐसा संदेश दिया था कि कोई और चारा नहीं था, लोकतंत्र का तकाजा आया तो हमने इसे छोड़ दिया. वहां सिर्फ अटल जी का फॉर्मूला ‘इंसानियत-कश्मीरियत-जम्मूरित’ ही चलेगा.
कश्मीर पर पीएम के रुख से साफ था कि आने वाले वक़्त में चाहे उमर अब्दुल्ला हों या फिर महबूबा मुफ़्ती घाटी के हर उस नेता के ऊपर आफत आने वाली है जो अलगाववाद की राजनीति का पक्षधर है.
लम्बे समय से चर्चा में रहने वाली साध्वी प्रज्ञा को लेकर प्रधानमंत्री ने अपनी सफाई दे दी है
हिंदू आतंकवाद और भोपाल से साध्वी प्रज्ञा का चयन
जिस समय भाजपा की तरफ से ये घोषणा हुई कि पार्टी भोपाल से साध्वी प्रज्ञा को टिकट देगी खूब हो हल्ला मचा. प्रधानमंत्री इस विषय पर चुप थे देश जानना चाह रहा था कि आखिर इस विषय को प्रधानमंत्री कैसे देख रहे हैं. मोदी के साथ हुई सीधी बात में हिंदू आतंकवाद भी एक बड़ा मुद्दा रहा. जब इस विषय में प्रधानमंत्री से सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि कोर्ट ने भी उनके चुनाव लड़ने पर कोई आपत्ति नहीं जताई है.
साध्वी प्रज्ञा पर हुए प्रश्न का उत्तर देते हुए मोदी ने कहा कि ये एक सिंबल है, इन्होंने(विपक्ष) हिंदू आतंकवाद कहकर हजारों साल की विरासत को बदनाम किया तो हमने आपको सामने से ललकारा है. जिस प्रकार इन्होंने चौकीदार को चोर कहा था, तो मैंने खुद को चौकीदार कह इन्हें सामने से ललकारा.
इस खास बातचीत में प्रधानमंत्री ने मुखर होकर इस बात को स्वीकारा कि कांग्रेस अपनी पत्रकारवार्ता में झूठ चलाती है और उसे अपने अख़बारों में छपवाकर जनता को गुमराह करने का प्रयास करती है मगर हर बार उसका झूठ पकड़ में आ जाता है.
देश के प्रधानमंत्री की बातें अवश्य ही ममता बनर्जी को परेशान करेंगी
बंगाल और ममता पर सख्त दिखे पीएम
ये बात किसी से छुपी नहीं है कि भाजपा और खुद प्रधानमंत्री बीते हुए कुछ समय से बंगाल के लिए खासे गंभीर हैं. बंगाल को लेकर जैसा रवैया अब तक सरकार का रहा है और जिस तरह खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल में रैलियां की हैं साफ है कि आने वाले कुछ वक़्त तक भाजपा के लिए बंगाल एक बड़ी चुनौती है. इंटरव्यू में पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आडवाणी जी ने एक बढ़िया ब्लॉग लिखा था, वो ही हमारा मूल चरित्र है. हम किसी को अपना दुश्मन नहीं मानते हैं. व्यक्तिगत तौर हम किसी का विरोध नहीं करते हैं.
मोदी ने ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाते हहुए बताया कि, आप जब टीवी स्क्रीन पर होती हैं तो बीजेपी की बखिया उधेड़ती है, मोदी के विरोध में बोलती है, लेकिन उसके कारण हमारा आपके प्रति आदर कम नहीं होता है. हम आपका सम्मान कम नहीं करते हैं. आप अपना दायित्व निभाती हैं. निभाना भी चाहिए.
अपने इंटरव्यू में पीएम मोदी ने खुले तौर पर इस बात को स्वीकार किया कि व्यक्तिगत संबंध अलग चीज होते हैं, व्यवहार अलग चीज होती है. राजनीति हमारी वैचारिक लड़ाई है. यह लड़ाई तगड़ी होगी, लेकिन मुझे दुख इस बात का है कि ममताजी जिस लेफ्ट के खिलाफ, जिन मुद्दों के खिलाफ लड़कर आईं थी वही ममता आज अपनी बातों से पलट रही हैं.
पीएम ने इस बात का जिक्र किया कि ममता बनर्जी के शासन में राज्य के हालात बाद से बदतर हैं और हिंसा का दौर लगातार जारी है. ममता बनर्जी के रवैये पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात को भी कहा कि ममता बंगाल में केवल तुष्टिकरण की राजनीती को अंजाम दे रही हैं और मूल मुद्दों पर ध्यान बिल्कुल भी नहीं दे रही हैं.
बहरहाल, इंटरव्यू में जिस ढंग से मोदी ने अपनी बातें रखीं हैं देश की जनता को कई जवाब मिल चुके हैं. पीएम की बातों से साफ है कि यदि 2019 में भी 2014 की तरह भाजपा बहुमत में आती है और वो दोबारा देश के प्रधानमंत्री बनते हैं. तो देश अपने आंतरिक मुद्दों को लेकर सुरक्षित हाथों में रहेगा.
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