यूपी चुनाव का प्रचार शुरू, योगी के लिए थी मोदी की 'बनारस रैली'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कोविड 19 (Covid 19 Second Wave) और दिमागी बुखार को एक जैसा बताते हुए योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को न सिर्फ क्लीन चिट दे डाली है, बल्कि उनके प्रयासों को अभूतपूर्व बताया है - देखना होगा क्या यूपी के लोग भी ऐसा ही मानते हैं?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र बनारस नाम से अब एक रेलवे स्टेशन हो गया है. स्टेशन तो कई हैं, लेकिन कोई वाराणसी जंक्शन तो कोई वाराणसी सिटी या फिर काशी नाम से, लेकिन मंडुआडीह का नाम बदल देने के बाद लोग चाहें तो बनारस के नाम से ट्रेन टिकट बुक करा सकते हैं.
बनारस नाम से स्टेशन के अस्तित्व में आने के अगले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा हुआ - करीब 8 महीने बाद 7 साल के भीतर अपने 27वें दौरे पर वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने 1500 करोड़ से ऊपर की सरकारी स्कीम के लिए शिलान्यास भी किया.
इससे पहले मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड 19 (Covid 19 Second Wave) के खिलाफ मोर्चे पर डटे वाराणसी के फ्रंटलाइन वर्कर्स से वर्चुअल संवाद किया था - और संवाद की सबसे खास बात रही, बोलते बोलते प्रधानमंत्री मोदी का इमोशनल हो जाना. तब कई सारे अपनों को कोविड 19 की वजह से गंवाने की बात करते करते प्रधानमंत्री मोदी का गला रुंध गया था.
गंगा में तैरते शवों और कोविड 19 संकट की दूसरी लहर के दौरान बदइंतजामियों के बीच अस्पताल में बेड, जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन के लिए सड़कों पर भागते लोगों की हालत पर लंबी खामोशी के बाद प्रधानमंत्री मोदी की कैमरे पर फिक्र को भी लोगों ने राजनीतिक बयान के तौर पर लिया था.
उस दिन प्रधानमंत्री मोदी कोविड 19 कंट्रोल के वाराणसी मॉडल की तारीफ करते रुक नहीं रहे थे, लेकिन दो महीने बाद सब कुछ बदला बदला लग रहा था. प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से केंद्र में नौकरशाह से यूपी बीजेपी में उपाध्यक्ष बन चुके अरविंद शर्मा गायब हो चुके थे - और वहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कब्जा जमा लिया था.
ये तो पहले से ही लग रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के मिशन 2022 का शुभारंभ करने वाले हैं, लेकिन ये अंदाजा नहीं रहा कि बनारस में वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए चुनावी रैली ही कर डालेंगे.
लगा जैसे मोदी के मुंह से 'योगी-योगी' निकल रहा हो!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देव दीपावली के मौके पर नवंबर, 2020 में वाराणसी पहुंचे थे - और जब अपने वोटर से मुखातिब हुए तो अंदाज तो बनारसी रहा, लेकिन लहजा पूरी तरह चुनावी ही लगा, 'लंबे समय बाद आप सब लोगन से सीधा मुलाकात के अवसर मिलल हव... काशी के सभी लोगन के प्रणाम... हम समस्त लोग के दुख हरे वाले भोलेनाथ, माता अन्नपूर्णा के चरण भी शीश झुकावत हईं...'
चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की शुरुआत अक्सर ऐसे लोकल टच के साथ ही हुआ करती है. ज्यादा दिन नहीं हुए ऐसे मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में बांग्ला का पुट पिरोया हुआ सुनायी देता रहा.
मंच पर महामहिम राज्यपाल की मौजूदगी में समुचित अभिवादन के साथ बात को आगे बढ़ाते हुए जब प्रधानमंत्री मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचे तो लगा जैसे विशेषणों की बौछार होने लगी. मोदी के मुंह से अपनी तारीफ में कसीदे पढ़ते सुन कर योगी आदित्यनाथ खुश तो हुए ही होंगे, लेकिन मन ही मन हैरान भी निश्चित रूप से हुए होंगे.
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल का नाम लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन था, 'यूपी के यशस्वी, उर्जावान और कर्मठ मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी...'
बनारस में मंच पर एक दूसरे के सामने अभिभूत मोदी और योगी!
अब तक तो प्रधानमंत्री मोदी के ही कार्यक्रमों में, विशेष रूप से विदेशों में होने वाले प्रोग्राम में एक स्लोगन सुनायी दिया करता था - 'मोदी-मोदी'. ये तो बनारस में ऐसा लगा जैसे खुद मोदी ही 'योगी-योगी' कर रहे हों.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाला तो वो शब्द रहा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के दूसरे वेव के दौरान योगी आदित्यनाथ के काम को बताने के लिए किया - "अभूतपूर्व!"
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविड 19 कंट्रोल के लिए योगी आदित्यनाथ की पीठ थपथपाये जा रहे थे तो दो ही चेहरे नजर आ रहे थे - एक स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जब मई के महीने में कोविड 19 के शिकार लोगों को याद करते करते गला भर आया था - और दूसरा, मोदी के ही भरोसेमंद नौकरशाह रहे बीजेपी उपाध्यक्ष अरविंद शर्मा का जिनके कोविड कंट्रोल के वाराणसी मॉडल की तारीफ प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात सरकार के मंत्रियों और अफसरों की मीटिंग में भी की थी. ये बात महत्वपूर्ण इसलिए भी रही क्योंकि अरविंद शर्मा के प्रशासनिक सेवा के कार्यकाल का बड़ा हिस्सा उनके बीच ही गुजरा है.
अरविंद शर्मा को यूपी बीजेपी में उपाध्यक्ष के रूप में ऐडजस्ट किये जाने से पहले तक योगी सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिये जाने की बात चल रही थी. चर्चा ये रही कि अरविंद शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अपने दो दिन के दिल्ली दौरे अमित शाह के सामने साफ कर दिया कि वो ऐसा कुछ भी नहीं करने वाले हैं - और हालात भी ऐसे रहे कि बीजेपी नेतृत्व के पास योगी आदित्यनाथ की जिद को हंसते हंसते मान लेना पड़ा. खबरें तो पहले से ही आने लगी थीं कि योगी आदित्यनाथ, अरविंद शर्मा को ज्यादा से ज्यादा राज्य मंत्री बनाने भर को तैयार हो रहे थे.
अब जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ को एनडोर्स किया है, लगता तो ऐसा ही है जैसे चुनाव तक बीजेपी नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को वैसे ही बर्दाश्त करने का फैसला कर चुका है जैसे मार्च 2017 में अचानक उनके प्रकट होकर सीधे सीएम की कुर्सी पर बैठने के बाद से करता आ रहा था. अरविंद शर्मा के लिए सरकार में नो एंट्री का बोर्ड लगाकर योगी आदित्यनाथ ने एक तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात की अवहेलना नहीं तो क्या किया है.
कोविड 19 कंट्रोल और वैक्सीनेशन के मामले में भी उत्तर प्रदेश को देश में अव्वल प्रोजेक्ट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया कि यूपी में कानून का राज कायम है. अगर ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान लखीमपुर में एक महिला के साथ सरेआम हुए दुर्व्यवहार को छोड़ भी दें तो मतगणना के दौरान एसपी सिटी प्रशांत कुमार को थप्पड़ मारे जाने को भी क्या कानून के राज की मिसाल के तौर पर समझा जाये? खास बात ये रही कि इस मामले में बीजेपी के ही दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी कानून के राज की बात पिछली सरकारों की तुलना में बता रहे थे. अगर समाजवादी पार्टी के शासन में हल्ला बोल कुख्यात रहा तो इटावा के एसपी का वायरल वीडियो आखिर क्या मैसेज दे रहा है?
प्रधानमंत्री कहते हैं, 'आज यूपी में कानून का राज है... माफियाराज और आतंकवाद, जो कभी बेकाबू हो रहे थे... उन पर अब कानून का शिकंजा है... बहनों-बेटियों की सुरक्षा को लेकर मां-बाप हमेशा जिस तरह डर और आशंकाओं में जीते थे, वो स्थिति भी बदली है... आज बहन-बेटियों पर आंख उठाने वाले अपराधियों को पता है कि वो कानून से बच नहीं पाएंगे.'
जिन सरकारों की तरफ प्रधानमंत्री मोदी इशारा कर रहे थे, उस दौरान हल्ला बोल का नारा और हरकतें तो सुर्खियां बटोरती ही थीं, अमिताभ बच्चन के मुंह से भी सरकारी भोंपू के स्वर ही सुनायी देते रहे - 'यूपी में दम है क्योंकि जुर्म यहां कम है.'
दिमागी बुखार बनाम कोविड 19
जाने माने इतिहासकार इरफान हबीब ने दिल्ली में जगह जगह लगे यूपी को देश में नंबर वन बताने वाले पोस्टरों पर सवाल उठाया है. ट्विटर पर पूछते हैं, 'दिल्ली में इतनी बड़ी संख्या में ये पोस्टर क्यों लगाये गये हैं? दिल्ली से बाहर के मुख्यमंत्री के इस तरह लगाये गये बिलबोर्ड इससे पहले तो कभी नहीं देखा.'
What are these posters doing in Delhi and that also in such huge numbers? Never seen any other state CM from outside Delhi peeping from the billboards this way. https://t.co/9pgQatFjk6
— S lrfan Habib (@irfhabib) July 13, 2021
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में पिछले एक हफ्ते के दौरान ऐसे 100 से ज्यादा पोस्टर लगाये गये हैं जिनमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तस्वीर लगी है - और उत्तर प्रदेश को स्मार्ट प्रदेश और देश में नंबर वन बताया गया है.
ये पोस्टर उत्तर प्रदेश के सूचना और जनसंपर्क विभाग की तरफ से लगाये गये हैं, लेकिन जब अखबार ने संपर्क किया तो विभाग के अफसरों ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया - लेकिन जब एक ट्विटर यूजर के बेंगलुरू में भी वैसे ही बैनर की तस्वीरें शेयर की तो सूचना निदेश आईएएस अफसर शिशिर ट्विटर यूजन को न सिर्फ जिम्मेदार बनने की नसीहतें देने लगे - बल्कि उस पर फेक न्यूज फैलाने का इल्जाम भी लगाया. साथ में यूपी के डीजीपी और सायबर पुलिस को टैग भी किया.
What are these posters doing in Delhi and that also in such huge numbers? Never seen any other state CM from outside Delhi peeping from the billboards this way. https://t.co/9pgQatFjk6
— S lrfan Habib (@irfhabib) July 13, 2021
यूपी के अफसर के फेक न्यूज बताने पर काउंटर करते हुए ट्विटर यूजर ने सबूत के तौर पर वीडियो बनाकर पोस्ट किया - और अफसर को बताया कि एयरपोर्ट के पास जहां बैनर लगा है वहां एक ट्रक भी खड़ा है.
Mr Shishir ji,
What fake news is this? I just put a picture of the hoarding you have put all over Bangalore Airport! Anyone can see this !
— Shishira (@shishirar) July 12, 2021
ट्विटर यूजर ने आगे का अपडेट भी दिया है - वो बैनर हटाया दिया गया है, लेकिन उससे पहले उनकी टीम ने वीडियो शूट कर लिया था. जैसे पोस्टर में यूपी के नंबर वन होने का दावा किया गया है, प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में भी यही बात सुनने को मिली.
यूपी में चल रहे वैक्सीनेशन को लेकर वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी कह रहे थे, 'आज उत्तर प्रदेश पूरे देश में कोरोना की सबसे ज्यादा टेस्टिंग करने वाला राज्य है - आज उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन करने वाला राज्य है.'
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो तब समझ आयी जब प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी में कोविड 19 के प्रकोप की तुलना गोरखपुर और आस पास के इलाकों में बरसों से चली आ रहे दिमागी बुखार से कर डाली. प्रधानमंत्री मोदी ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि पहले की सरकारों और योगी सरकार में यूपी के लोगों की सेहत की कितनी चिंता है. वैसे योगी आदित्यनाथ की चिंता तो तभी समझ में आ गयी थी, जब वो तब्लीगी जमात वालों, नागरिकता कानून का विरोध करने वालों की ही तरह ऑक्सीजन की कमी को सार्वजनिक तौर पर बताने वालों को एनएसए में बुक करने की अफसरों को हिदायद दिये थे.
बहरहाल, प्रधानमंत्री का भाषण इस प्रसंग में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है, 'उत्तर प्रदेश ने जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर को फैलने से रोका है, वह अभूतपूर्व है...'
आगे बोले, 'देश का सबसे बड़ा प्रदेश जिसकी आबादी दुनिया के दर्जनों बड़े-बड़े देशों से भी ज्यादा हो... वहां कोरोना की दूसरी वेव को जिस तरह संभाला... सेकंड वेव के दौरान यूपी ने जिस तरह कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका - वो अभूतपूर्व है. वरना, यूपी के लोगों ने वो दौर भी देखा है जब दिमागी बुखार, इन्सेफलाइटिस जैसी बीमारियों का सामना करने में यहां कितनी मुश्किल आती थी.'
जब प्रधानमंत्री मोदी का ये भाषण चल रहा था, एक बार तो ऐसा लगा जैसे वो फ्लैशबैक में ले जा रहे हों और गोरखपुर अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद योगी आदित्यनाथ कह रहे हों - "नहीं, ये बिलकुल झूठ है... बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है."
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