कायम है विश्व गुरु भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का जलवा, फिर साबित हुआ
पापुआ न्यू गिनी के पीएम ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में तमाम कसीदे पढ़े हैं. जैसा अंदाज पापुआ न्यू गिनी के पीएम जेम्स मारेप का था फिर साबित हुआ कि भारत विश्व गुरु बन गया है.
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हाल ही में पापुआ न्यू गिनी के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबरदस्त स्वागत उनका अंतर्राष्ट्रीय जलवा ही है . पापुआ न्यू गिनी ने प्रधानमंत्री मोदी की निर्विवाद रूप से ग्लोबल नेता स्वीकार किया है. प्रधानमंत्री जेम्स मारेप ने नरेंद्र मोदी से कहा कि प्रशांत द्वीप राष्ट्र उन्हें ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में मानता है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के नेतृत्व के पीछे रहेगा. प्रशांत द्वीप समूह के देशों के सामने आने वाली समस्याओं पर रोशनी डालते हुए जेम्स मारेप ने कहा कि हम वैश्विक राजनीति के शिकार हैं. आप (प्रधानमंत्री मोदी) ग्लोबल साउथ के नेता हैं. हम वैश्विक मंचों पर आपके नेतृत्व का समर्थन करेंगे. जेम्स मारेप ने कहा, रूस के साथ यूक्रेन युद्ध के मुद्दे की बजाय हम अपनी छोटी अर्थव्यवस्थाओं के लिए आयात और मुद्रास्फीति पर ध्यान देते हैं. श्रीमान प्रधानमंत्री (प्रधानमंत्री मोदी), आपके सामने बैठे इन राष्ट्रों में ईंधन और बिजली शुल्क बहुत अधिक है. ये देश और हम जियोपॉलिटिक्स और बड़े राष्ट्रों के खेल से पीड़ित हैं और सत्ता संघर्ष से परेशान हैं. प्रधानमंत्री मोदी से जी20 और जी7 जैसे वैश्विक मंचों पर छोटे द्वीप राष्ट्रों के लिए एक सक्रिय आवाज बनने का आग्रह करते हुए जेम्स मारेप ने कहा, आप वो आवाज हैं जो हमारे मुद्दों को उच्च स्तर पर पेश कर सकते हैं क्योंकि विकसित अर्थव्यवस्थाएं, इकोनॉमी और वाणिज्य, व्यापार और जियो-पॉलिटिक्स से जुड़े मामलों पर चर्चा करती है.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूते पापुआ न्यू गिनी के पीएम
मरापे ने कहा, मैं प्रशांत क्षेत्र के अपने छोटे भाई और बहन देशों के लिए बोल रहा हूं. हालांकि हमारी भूमि छोटी हो सकती है और संख्या भी कम हो सकती है, लेकिन प्रशांत क्षेत्र में हमारा क्षेत्र और स्थान बड़ा है. दुनिया व्यापार, वाणिज्य और आवाजाही के लिए इसका इस्तेमाल करती है. हम चाहते हैं कि आप (प्रधानमंत्री मोदी) हमारी आवाज बनें. हमारे नेताओं के पास आपसे बात करने के लिए छोड़ा ही वक्त होगा. मैं चाहता हूं कि आप उन्हें सुनें. उम्मीद है कि इन चर्चाओं के बाद भारत और प्रशांत के संबंध और मजबूत हों.
पापुआ न्यू गिनी के नेता ने आगे कहा, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रशांत द्वीप राष्ट्र जिन मुद्दों का सामना कर रहे हैं, विशेष रूप से हमारे बीच के छोटे देश, इन्होंने वैश्विक नेता के रूप में आपको समर्थन दिया है. पापुआ न्यू गिनी में सोमवार को तीसरे भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत बहुपक्षवाद में विश्वास करता है और एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी भारत-प्रशांत का समर्थन करता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि उनके लिए प्रशांत द्वीप राष्ट्र बड़े महासागरीय देश हैं न कि छोटे द्वीप राज्य. प्रधानमंत्री मोदी ने पापुआ न्यू गिनी के प्रधान मंत्री जेम्स मारेप के साथ तीसरे भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके वैश्विक नेतृत्व की मान्यता में फिजी के प्रधानमंत्री द्वारा फिजी के सर्वोच्च सम्मान: कम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी से सम्मानित किया गया है. आज तक गिने-चुने गैर-फिजी लोगों को ही यह सम्मान मिला है.
उल्लेखनीय है कि 2014 में लॉन्च किए गए इस मंच में भारत और 14 प्रशांत द्वीप देश शामिल हैं. यह देश हैं फिजी, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरिबाती, समोआ, वानुअतु, नीयू, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, मार्शल द्वीप समूह, कुक द्वीप समूह, पलाऊ, नाउरू और सोलोमन द्वीप हैं. गौरतलब है कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता को लेकर अलग अलग राय रखी जाती है, लेकिन जिस तरह विश्व के दो शक्तिशाली देश अमेरिका और अस्ट्रेलिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने मुक्त कंठों से उनकी लोकप्रियता को सराहा वह देश के लिए भी गर्व का विषय है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने तो यहाँ तक कहा कि प्रधानमंत्री जी मुझे आपका आटोग्राफ लेना चाहिए. वहीं जापान की यात्रा के बाद जब प्रधानमंत्री पापुआ न्यू गिनी पहुंचे तो अदभुत दृश्य था. अगवानी को आए न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने मोदी के पैर छुए. बताते हैं कि जापान में क्वाड बैठक के वक्त बाइडेन ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि उन्हें एक अजीबोगरीब चुनौती से जूझना पड़ रहा है.
बाईडेन ने तो यहाँ तक कहा कि अगले महीने हमने वाशिंगटन में आपके सम्मान में जो स्वागत भोज रखा है उसमें शामिल होने के लिए पूरा देश उमड़ रहा है. आपको मजाक लग रहा हो तो मेरी टीम से पूछ लीजिए. जिसके बारे में मैं ने सुना नहीं, कभी मिला नहीं वह भी उस भोज में शामिल होना चाहते हैं. हमारे पास अब आमंत्रण पत्र नहीं बचा है लेकिन फिल्म अभिनेताओं से लेकर मेरे संबंधी तक हर कोई आने को इच्छुक हैं. आप बहुत लोकप्रिय है.
वहीं मौजूद अस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री अलबनीज ने भी ऐसी ही परेशानी सुना दी. उन्होंने कहा कि अस्ट्रेलिया में सामुदायिक आयोजन के स्थल पर 20 हजार लोगों के लिए जगह है. लेकिन उनके लिए मुश्किल हो रही है. इस कार्यक्रम में अलबनीज भी रहेंगे. गौरतलब है कि सिडनी के एक क्षेत्र हैरिस पार्क में यह आयोजन होना है जिसे प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के वक्त लिटिल इंडिया घोषित किया जाएगा. वैसे तीन देशों की इस यात्रा को भारतीय सभ्यता के प्रसार से भी जोड़ा जा रहा है.
इसी दौरान हिरोशिमा में प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया था जो शांति और अहिंसा के प्रति भारत की सोच के प्रतीक हैं. गौरतलब है कि 2014 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी ने जो प्रयास शुरू किया था उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय मंच पर जहां भारत मजबूत हुआ वहीं व्यक्तिगत स्तर पर उनकी खुद की लोकप्रियता अभूतपूर्व स्तर तक पहुंची है. कुछ महीने पहले ही इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी ने एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को विश्व का सबसे लोकप्रिय लीडर करार दिया था.
वस्तुत: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही यह प्रशंसा जहां वैश्विक प्रयास के लिए अहम है वहीं घरेलू स्तर पर इसका राजनीतिक असर भी दिखता है. पिछले लोकसभा चुनाव में हर आयु वर्ग के लोगों के लिए यह गर्व का विषय था और कईयों ने इसे ही अपने फैसले का आधार बनाया था.सिडनी में पहले क्वाड समूह की बैठक होनी थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के मना कर देने के बाद क्वाड समूह के शीर्ष नेताओं की बैठक हिरोशिमा में जी7 की पृष्ठभूमि में ही हो गई. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी इसके बाद भी ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा पहले की तरह ही जारी रखेंगे.
हिरोशिमा में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात और बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य खूब प्रसिद्ध और लोकप्रिय हो रहा है. यही नहीं जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए 19 मई को हिरोशिमा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण फिर से चर्चा में है. इससे पहले पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य वैश्विक स्तर पर चर्चा में आया था, जब उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को कहा था कि यह 'युद्ध का युग नहीं है.' तब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी टेलीफोनिक बातचीत में रूस के राष्ट्रपति को कूटनीतिक रूप से हिंसा की समाप्ति की सलाह दी थी.
मोदी ने सभी पक्षों को वार्ता की मेज पर लौटने की सलाह भी दी. उन्होंने यह भी कहा था कि दिल्ली फिलहाल यथार्थवादी दुनिया की जटिलताओं और क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर अपनी विशिष्ट सोच पर कायम रहेगी. 20 मई को ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने युद्ध को मानवता की समस्या बताया और उनका यह बयान खासा चर्चित हो रहा है. उन्होंने युद्ध के बारे में भारत की स्थिति को साफ करते हुए कहा था कि यूक्रेन में युद्ध दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता है और इसने पूरे विश्व को प्रभावित किया है, लेकिन मैं इसे राजनीतिक या आर्थिक मुद्दा नहीं मानता, यह मेरे लिए मानवता, मानवीय मूल्यों का मुद्दा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेनी नेता के साथ सहानुभूति जताते हुए कहा कि भारत उनकी पीड़ा और तकलीफ को समझ सकता है, क्योंकि भारत भी इस अनुभव से गुजर चुका है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह युद्ध का दर्द क्या होता है, बेहतर जानते हैं. पिछले साल जब भारतीय बच्चे यूक्रेन से आए और वहां अपने अनुभव साझा किए, तो उनको यूक्रेन के लोगों के दर्द के बारे में पता चला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस वक्तव्य की वैश्विक पटल पर काफी प्रशंसा हो रही है.
यही नहीं मोदी द्वारा जेलेंस्की को दी गई सलाह हो या बाइडेन के साथ हल्के-फुल्के पल. भारतीय विदेश नीति अब फ्रंटफुट पर खेल रही है. भारत इस बार जी20 और एससीओ दोनों ही समूहों की अध्यक्षता कर रहा है. चीन की विस्सेतारवादी नीतियों से दुनिया के कई देश दिक्कत में हैं और इंडो-पैसिफिक रीजन में भारत को एक बड़ी ताकत के तौर पर आंका जा रहा है. भारत भी इसका पूरा फायदा उठाकर जी7 हो या क्वाड, अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने की मांग भी कर रहा है और अपनी विदेश नीति की वकालत भी. भारत का वैश्विक रंगमंच पर बड़े खिलाड़ी के तौर पर आगमन हो चुका है.
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