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Updated: 07 जनवरी, 2022 02:20 PM
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पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक (PM Modi Security Lapse) जैसे गंभीर मामले को कांग्रेस सिर्फ राजनीति तक रखने की भरपूर कोशिश कर रही है. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तमाम जोर लगाए हुए हैं ये साबित करने के लिए यदि चूक हुई है तो गलती प्रधानमंत्री और एसपीजी की थी. इसमें उनकी सरकार और पंजाब पुलिस का कोई लेना देना नहीं है. लेकिन, अब जब इस वाकये को एक दिन से ज्यादा बीत गया है तो घटना से जुड़ी लगभग सभी अहम परतें खुल गई हैं. इसमें पंजाब सरकार और पुलिस महकमे के बयानों का अंतर भी उजागर हो गया है. इतना ही नहीं जिन प्रदर्शनकारियों के सिर पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है, उनका भी सच सामने आ गया है. इसके अलावा भाजपा की रैली में जा रहे लोगों की गाड़ियों पर हमले के वीडियो ने इस पूरे मामले को महज इत्तेफाक की जगह गहरी साजिश में बदल दिया है.

PM Narendra Modi Security Lapse एसपीजी ने पंजाब पुलिस के डीजीपी को प्रधानमंत्री के बदले हुए ट्रैवल प्लान के बारे में जानकारी दी थी.

क्या जानबूझकर ढीली रखी गई थी प्रधानमंत्री के यात्रा मार्ग की सुरक्षा:

प्रधानमंत्री मोदी को तय कार्यक्रम तो हेलिकॉप्टर के जाने का था, लेकिन मौसम की खराबी को देखते हुए उनकी यात्रा सड़क मार्ग से होना तय हुई. मुख्यमंत्री चन्नी कहते हैं कि प्रधानमंत्री जी ने अचानक प्लान बदला, तो इसमें हमारा क्या कसूर. हमने तो सड़क पर कोई इंतजाम ही नहीं किया था.

शायद चन्नी को इस बात की जानकारी नहीं है, या वे बताना नहीं चाहते कि प्रधानमंत्री की हर यात्रा में वैकल्पिक मार्ग पहले से ही तय होते हैं. किसी कारण से यदि हवाई सफर न हो, तो यात्रा सड़क मार्ग से होती है. सड़क मार्ग में भी कई विकल्पों का प्रावधान रखा जाता है. इसकी योजना प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ी ब्लू बुक के अनुसार एसपीजी और राज्य पुलिस मिलकर करते हैं. जिसमें इंटेलिजेंस और जमीनी बंदोबस्त का जिम्मा राज्य पुलिस का होता है. यानी पंजाब में प्रधानमंत्री की हवाई यात्रा और वैकल्पिक सड़क यात्रा की योजना भी पहले से ही तैयार थी. लेकिन, चन्नी ने गुमराह करने वाला बयान दिया कि प्रधानमंत्री और एसपीजी ने अचानक सड़क से सफर करना तय किया. एक तरफ चन्नी ये कह रहे हैं, और दूसरी तरफ पंजाब पुलिस के डीजीपी स्थानीय एसएसपी के कहने पर उसी सड़क मार्ग को सुरक्षित कर लेने का ग्रीन सिग्नल एसपीजी को देते हैं.

पीएम सड़क मार्ग से आ रहे हैं, ये जानकारी लीक कैसे हुई?

पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा व्यवस्था देखने वाली एसपीजी ने पंजाब पुलिस के डीजीपी और मुख्य सचिव को प्रधानमंत्री के बदले हुए ट्रैवल प्लान के बारे में जानकारी दी थी. बिना पंजाब पुलिस की सहमति के पीएम मोदी का काफिला किसी भी हाल में सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर ही नहीं सकता था. यह चौंकाने वाली बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूवमेंट की पूरी जानकारी रास्ता रोके बैठे लोगों के पास थी. जबकि, पंजाब पुलिस और सरकार के पास किसानों द्वारा प्यारेवाला फ्लाईओवर का रास्ता जाम करने को लेकर कोई इनपुट नहीं था. जहां पीएम मोदी के काफिले को करीब 20 मिनट तक रोका गया था. तो, सबसे अहम सवाल यही है कि पीएम मोदी के काफिले की सड़क मार्ग से गुजरने की जानकारी केवल एसपीजी और पंजाब पुलिस के पास थी, फिर प्रदर्शनकारियों को ये कैसे पता चला?

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्यारेवाला फ्लाईओवर पर रास्ता जाम करने वाले प्रदर्शनकारी पास के ही मिश्रीवाला और प्यारेवाला गांव के थे. एक प्रदर्शनकारी ने प्यारेवाला में मीडियाकर्मियों से कहा कि 'हमें मोबाइल फोन और चैनलों के माध्यम से पता चला कि प्रधानमंत्री का विमान बठिंडा में उतरा है और पायलट ने आगे जाने से इनकार कर दिया है.' क्या प्रदर्शनकारियों को 'पायलट ने जाने से इनकार कर दिया' जैसा इतना बड़ा इनपुट बिना कोई जानकारी लीक हुए मिल सकता है. जबकि, इसकी जानकारी किसी मीडिया चैनल तक के पास नहीं थी. इस अज्ञात प्रदर्शनकारी ने ये भी कहा था कि अगर कोई हुसैनीवाला के राष्ट्रीय शहीद स्मारक जा रहा है, तो वहां पहुंचने का एक ही रास्ता है. इतनी सटीक जानकारी बिना किसी लीक जानकारी के संभव नही है. और यदि ये जानकारी प्रदर्शनकारियों तक थी, तो पंजाब पुलिस के पास कैसे नहीं थी?

ADG और SSP की समझ अलग-अलग है, या सिर्फ खानापूर्ति!

पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में किसानों के प्रदर्शन की पहले से ही आशंका जता दी गई थी. इंडिया टुडे के पास पंजाब के एडीजी द्वारा एसएसपी को संभावित खतरों को लेकर भेजे गए तीन लेटर मिले हैं. जिसमें पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर सभी इंतजाम किए जाने के बारे में कहा गया है. इस लेटर में साफतौर पर कहा गया है कि किसानों के मूवमेंट पर नजर रखनी है और उन्हें फिरोजपुर में रैली की जगह नहीं पहुंचने देना है. हालांकि, पंजाब पुलिस के पास इस बात की जानकारी थी कि किसान दो दिनों से सड़क पर धरना दे रहे हैं. लेकिन, इस बारे में एसपीजी को कोई जानकारी नहीं दी गई. वहीं, चन्नी अपने एक इंटरव्यू में कह रहे हैं कि प्रदर्शनकारियों के सड़क पर होने पर उन्होंने उनसे बातचीत की सलाह दी, कोई बलप्रयोग करने से इनकार कर दिया. यानी, चन्नी स्वयं प्रधानमंत्री के यात्रा मार्ग को क्लीयर किए जाने को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे थे.

एडीजी के लेटर में कहा गया था कि किसी भी तरह का धरना रोड ब्लॉक होने की वजह बन सकता है. इसलिए एसएसपी को व्यक्तिगत रूप से इस बारे में बताया जाए कि किसानों के प्रदर्शन की पूरी जानकारी रखें और निजी तौर से इसे लेकर व्यवस्था की जाए. इस लेटर में कहा गया था कि किसी भी धरने को देखते हुए पहले ही ट्रैफिक डायवर्जन प्लान बना लिए जाएं. इंडिया टुडे के अनुसार, पंजाब एडीजी ने इसे लेकर फिरोजपुर एसएसपी को जानकारी भी दी थी. इसके बावजूद पंजाब पुलिस ने इन सभी लेटर्स को नजरअंदाज कर दिया. और प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस को हल्के में लिया.

प्रदर्शनकारियों की चाय पी रही पुलिस, उन्हें सड़क से हटाती क्यों?

प्यारेवाला फ्लाईओवर के पास धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों के कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इनमें से एक वीडियो में पीएम नरेंद्र मोदी का रास्ता रोकने वाले भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के कार्यकर्ताओं के साथ पंजाब पुलिस आराम से चाय पीती नजर आ रही है. इस दौरान पीएम मोदी का काफिला फ्लाईओवर पर ही रुका हुआ था. ऐसी आपात स्थिति में भी पंजाब पुलिस के जवान प्रदर्शनकारी किसानों के साथ चाय पी रहे हों, तो कैसे माना जाए कि पुलिस उन्हें सड़क से हटाने की मंशा रखती थी. भारतीय किसान यूनियन के स्थानीय प्रमुख सुरजीत सिंह फूल ने तो यहां तक बताया कि उनसे जब एसएसपी ने कहा कि प्रधानमंत्री यहां से निकलेंगे, तो उन्हें लगा कि वे हमें हटाने के लिए झांसा दे रहे हैं.यानी ना पुलिस हटाने के लिए सीरियस थी, न प्रदर्शनकारी हटने के लिए. 

सीएम चन्नी की बातें विरोधाभासी

मोदी की सुरक्षा में हुई चूक से पहले और बाद में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के हर बयान में विरोधाभास नजर आता है. घटना से एक दिन पहले सीएम चन्नी ने कहा था कि 'प्रदर्शनकारियों से सड़क खाली कराने के लिए पुलिस से कहा गया था. और, प्रदर्शनकारियों को शांत कर सड़कों को साफ करा दिया गया था.' वहीं, घटना के बाद चरणजीत सिंह चन्नी कहते नजर आए कि 'उन्होंने पीएम मोदी का दौरा टालने को कहा था.' सीएम चन्नी ने साफ किया था कि वह प्रदर्शनकारियों पर किसी तरह की कार्रवाई नही करेंगे. हालांकि, घटना के बाद सीएम चन्नी कहते मिले कि 'मैं पंजाब के लोगों पर लाठी-गोली नहीं चलवाऊंगा.' जबकि, प्रदर्शनकारी किसानों को बातचीत के जरिये भी वहां से हटाया जा सकता था.

वहीं, आजतक के साथ बातचीत में सीएम चन्नी ने कहा कि 'प्रदर्शनकारी जिस जगह रास्ता रोककर बैठे थे, वहां से एक किमी पहले ही पीएम का काफिला रोक दिया गया था, तो इसमें खतरा कैसा? छोटी सी बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है.'

कोरोना का बहाना लेकर पीएम से मिलने नहीं गए चन्नी, प्रेस कान्फ्रेंस कर ली 

सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की कहानी में ये विरोधाभास तब भी नजर आया था, जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी न करने के लिए कारण बताया था. उन्होंने कहा था कि वह कोरोना संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से कोविड पॉजिटिव हो गए हैं. लेकिन, उसी शाम उन्होंने बाकायदा बिना मास्क के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था. इतना ही नहीं, पीएम मोदी की सुरक्षा चूक के मामले में चन्नी सरकार की ओर से इसके लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्रवाई भी नही की गई थी. बताया तो ये भी जा रहा है कि जब पीएम का काफिला रुक गया, उसके बाद जब चन्नी से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन भी नहीं उठाया.

भाजपा की रैली में जा रहे लोगों पर हमला किसने किया?

प्रधानमंत्री मोदी का काफिला रोका जाना तो अपनी जगह है, लेकिन उससे पहले फिरोजपुर रैली में मोदी को सुनने जा रहे लोगों की गाडि़यों को जगह जगह रोका गया. गाडि़यों के शीशे तोड़े जाने के वीडियो भी वायरल हुए. मख्यमंत्री चन्नी ने स्वीकारा है कि प्रदर्शनकारी बीजेपी के लोगों की गाडि़यां रोक रहे थे. और उन्होंने ही प्रधानमंत्री का यात्रा मार्ग भी रोका. यानी चन्नी स्वयं अपनी विफलता स्वीकार कर रहे हैं. जबकि उन्हीं के राज्य के एडीजी स्थानीय पुलिस को आदेश दे चुके थे कि प्रदर्शनकारियों को रैली स्थल से दूर रखा जाए.

अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कांग्रेस प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लापरवाही को महज राजनीति समझ रही है, या बता रही है, तो वो अपनी ही करतूत को छुपा रही है. अब तो ऐसा लग रहा है कि यह सोची समझी साजिश के तहत प्रधानमंत्री का कार्यक्रम विफल करने की साजिश थी. प्रधानमंत्री के यात्रा मार्ग में प्रदर्शनकारियों का आ जाना. और पुलिस को पीएम को उसी सड़क मार्ग से जाने का क्लीयरेंस देना कोई सहज बात नहीं है. दूसरी ओर रैली में शामिल होने जा रहे लोगों को रोकना, और उन पर हमला करना कोई बड़ी रणनीति का ही हिस्सा हो सकता है.

बहरहाल, बीजेपी ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक की क्रोनोलॉजी अपने ढंग से बताई है:

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