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Updated: 12 मई, 2020 05:35 PM
अबयज़ खान
अबयज़ खान
  @abyaz.khan
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Lockdown 4.0 pm modi speech today: धड़कनें बढ़ी हई हैं. ख़बर आ गई है. रात 8 बजे साहेब फिर से आने वाले हैं. रात 8 बजे साहब जब भी आते हैं, लोग डर जाते हैं. पता नहीं इस बार क्या बंद होने वाला है. लॉकडाउन (Lockdown) के बीच पांचवीं बार प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) एक बार देश की जनता से मुख़ातिब होंगे. इससे पहले भी 4 बार प्रधानमंत्री देश को संबोधित कर चुके हैं. पहली बार रात 8 बजे 19 मार्च को मोदी जी आए थे. पीएम ने देश के लोगों से 22 मार्च को जनता कर्फ्यू (Curfew) में शामिल होने की अपील की. इतना ही नहीं 22 मार्च को पीएम की अपील के बाद पूरे देश ने बॉलकनी में खड़े होकर तालियां और थालियां बजाईं. लोग इतने उत्साही हो गये कि नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए सड़क पर बारात निकाल डाली. फिर 24 मार्च को पीएम एक बार फिर सामने आये और 24 मार्च से 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान कर दिया. तब तक देश में कोरोना के केस करीब 606 तक पहुंच चुके थे. इधर लोग लॉकडाउन ख़त्म होने का इंतज़ार करते रहे. उधर देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते रहे. इसी बीच पीएम 3 अप्रैल को एक बार जनता के सामने आए और देश की जनता से कोरोना वॉरियर्स (Corona Warriors) के सम्मान में दीप जलाने की अपील की. पीएम ने लोगों से रात 9 बजे सिर्फ़ 9 मिनट मांगे थे और पीएम की अपील पर पूरा देश दीप-दीयों के साथ जगमग हो गया. लोगों ने सवाल भी उठाए.लेकिन पीएम की अपील के बाद कोई कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था.

PM Modi Speech , Coronavirus, Lockdown, Economy, Speech जानना चाहता है कि लॉक डाउन और अर्थव्यवस्था को लेकर पीएम मोदी की अगली रणनीति क्या है

हैरत की बात ये है कि तब तक देश में 2,547 केस सामने आ चुके थे. प्रधानमंत्री अब तक तीन बार देश के सामने आ चुके थे लेकिन अब तक ना तो उन्होंने इस बात का ऐलान किया कि देश में कोरोना से निपटने की सरकार की तैयारी क्या है. ना इस बात की जानकारी दी कि सरकार के पास कोरोना टेस्ट करने का इंतज़ाम क्या है? ना इस बात का ऐलान किया कि देश के पास कितनी टेस्ट किट हैं. चीन ने एक हफ्ते में कोरोना से निपटने के लिए पूरा अस्पताल तैयार कर लिया. लेकिन हमारे पास अस्पतालों की तैयारी भी पूरी नहीं थी.

इतना ही नहीं सरकार के पास इस बात का भी कोई मास्टर प्लान नहीं था कि लॉकडाउन में जो दिहाड़ी कामगार हैं. उनको खाना कैसे मिलेगा. उनके रहने और रोज़गार का इंतज़ाम किया है. नतीजा ये हुआ कि शहर-शहर सड़कों पर मज़दूरों के पलायन की तस्वीरें सामने आने लगीं. कतारों में बच्चे-बूढ़े और बेघर लोग सड़कों पर आ गये.

ना किसी को खाना था. ना किसी के पास जाने का साधन था. और ना ही इस पर प्रधानमंत्री का कोई ऐलान हुआ. इधर देश की अमीर क्लास जनता दीप और थाली बजाकर ही मस्त थी. देश में ट्रांसपोर्ट बंद, बाज़ार बंद. मॉल बंद. दुकाने बंद. हर तरह का कारोबार बंद तमाम दफ्तर बंद. लोग-अपने घरों में क़ैद थे. जो जहां था वो वहीं थम गया था.

धीरे-धीरे केस तेज़ी से बढ़ते जा रहे थे. फिर तारीख आई 14 अप्रैल, प्रधानमंत्री एक बार फिर देश के सामने आए और इस बार 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर गये. तब तक देश में कोरोना के 10 हज़ार से ज़्यादा केस हो चुके थे. लॉकडाउन में घंरों में कैद लोग परेशान होने लगे, कारोबार ठप पड़ चुके थे. प्रवासी मज़दूर कराह रहे थे. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद कई इलाकों में ज़रूरतमंदों तक खाना भी नहीं पहुंच पा रहा था.

कोरोना से निपटने के लिए सरकार लगातार लॉकडाउन बढ़ाती जा रही थी. लेकिन सरकार के पास अभी तक कोरोना से निपटने का कोई कंक्रीट इलाज नहीं था. इस बीच गृह मंत्रालय ने 17 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर दिया. इस बार फर्क ये रहा कि देश को 4 ज़ोन रेड, ऑरेज, ग्रीन और कंटेनमेंट ज़ोन में बांट दिया गया. अलग-अलग ज़ोन के हिसाब से देश के लोगों को राहत दी गई. लेकिन अभी तक कोरोना से निपटने का कोई आखिरी इंतज़ाम नहीं किया गया.

सरकार के पास अब तक कोरोना से निपटने का कोई मास्टर प्लान नहीं था. टेस्ट की हालत ये है कि देश में अभी तक सिर्फ 14 लाख लोगों के ही कोरोना टेस्ट हुए हैं. जबकि हर रोज़ सिर्फ़ 70 हज़ार लोगों का ही टेस्ट हो रहा है. सरकार ने कोरोना की जांच के लिए चीन से आई रैपिड टेस्ट किट से टेस्ट कराना शुरू कर दिया. लेकिन जब चीन की किट सवालों के घेरे में आई तो रैपिड टेस्ट पर ही रोक लगा दी गई.

दो महीने पहले तक देश में पीपीआई किट बनाने का इंतज़ाम भी नहीं था. हालांकि अब करीब 104 कंपनियां हर रोज़ एक लाख पीपीआई किट बना रही हैं. तेज़ी से बढ़ते केस के आगे सरकार अब तक लगभग सरेंडर कर चुकी है. सरकार की प्राथमिकता अब कोरोना टेस्ट के बजाय शराब की दुकानें खोलना है. जिसकी तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखी हैं. जहां शराब के ठेकों पर कई-कई किलोमीटर लंबी लाइनें देखी गई हैं.

सरकार और उसकी एजेंसियों का ज़ोर कोरोना की दवा के बजाय शराब की कमाई पर है. यूपी सरकार का दावा है कि 2018-19 में उसने शराब की कमाई पर 23,918 करोड़ रुपये का टैक्स वसूला था. कमोबेश यही हाल बाकी राज्यों का भी है. सरकार का ज़ोर चाय की दुकान खोलने के बजाय शराब की दुकान खोलने पर है.

स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर देश के तमाम राज्यों की सरकारें प्रेस कॉन्फ्रेंस करती हैं. आंकड़े बताती हैं. मंत्री, मुख्यमंत्री आंकड़े बताते हैं और चले जाते हैं. प्रधानमंत्री मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते हैं लेकिन राज्य सरकारों के काम की तारीफ़ होती है. एक दूसरे को सराहा जाता है. सुझावों का स्वागत होता है. पांचवीं बार भी पीएम ने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की. ज्यादातर मुख्यमंत्री लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में हैं. लेकिन ये भी सभी की समझ में आ चुका है कि अनिश्तकालीन लॉकडाउन इसका कोई इलाज नहीं है.

केन्द्र के साथ सभी राज्य सरकारें भी ये बात समझ चुकी हैं कि कोरोना से निपटने में लॉकडाउन बेशक मददगार रहा हो लेकिन लंबे वक्त तक पूरे देश को लॉक नहीं किया जा सकता है. अब देश पीएम से जानना चाहता है कि आज रात 8 बजे वो क्या बड़ा ऐलान करने वाले हैं. देश जानना चाहता है कि पीएम के पास आखिरी इलाज क्या है? ये सभी को मालूम है कि कोरोना से लड़ने का किसी के पास कोई जादुई चिराग नहीं है. लेकिन लोग जानना चाहते हैं कि अगर लॉकडाउन हटता है तो सरकार के पास क्या मास्टर प्लान है.

1- क्या पूरे देश से लॉकडाउन हटाया जाएगा?

2-क्या ज़ोन के हिसाब से ही देश में छूट मिलेगी?

3- क्या शहरी और ग्रामीण इलाकों के हिसाब से छूट मिलेगी?

4- क्या देश में 22 मार्च से पहले की हालत बहाल होगी?

5- प्रवासी मज़दूरों के पुनर्वास का सरकार के पास क्या इंतज़ाम है?

6- कोरोना काल में जिन लोगों की नौकरी चली गई उनकी ज़िंदगी कैसे पटरी पर लौटेगी?

7- आर्थिक संकट में फंसे उद्योगों को बाहर निकालने का क्या प्लान है?

8- ठप पड़ी फैक्ट्रियां, कल-कारखाने कैसे शुरु होंगे?

9- सार्वजनिक परिवहन की तस्वीर कैसे बहाल होगी?

10- स्कूल, कॉलेज, कोचिंग फिर से कैसे शुरु होंगे?

11- बाज़ार फिर से कैसे पहले की तरह खुलेंगे?

12- लॉकडाउन खुलता है तो कोरोना से कैसे फाइट होगी?

13- क्या देश के अस्पताल बड़ी आपदा से निपटने के लिए तैयार हैं?

14- सरकारी और निजी दफ्तरों में फिर से कामकाज कैसे बहाल होगा?

15- देश में लॉकडाउन जारी रहता है तो बेरोज़गारी और भूख से कैसे निपटेंगे?

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लेखक

अबयज़ खान अबयज़ खान @abyaz.khan

लेखक पत्रकार हैं

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