Quad Summit में सबसे आगे विश्वगुरु भारत के पीएम मोदी ख़ुशी की पराकाष्ठा तो हैं लेकिन...
जापान गए पीएम मोदी की एक तस्वीर ने भारत में इंटरनेट को बहस करने का मौका दे दिया है. तस्वीर में सबसे आगे पीएम मोदी हैं और उनके ठीक बगल में जापान के प्रधानमंत्री हैं. तस्वीर सामने आने के बाद कहा यही जा रहा है कि पीएम मोदी की इस तस्वीर ने दुनिया को बता दिया कि असली विश्वगुरु भारत ही है. लेकिन क्या सच में ऐसा है? आइये समझने की कोशिश करें.
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जापान चर्चा में है. देश में क्वाड शिखर सम्मलेन चल रहा है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद हैं. कोरोना और अर्थव्यवस्था से लेकर निवेश और रूस-यूक्रेन युद्ध तक तमाम अलग - अलग मुद्दों पर चर्चा का दौर चल रहा है. ऐसे में इंटरनेट पर, उसपर भी भारत में एक तस्वीर जंगल में लगी आग की तरह वायरल की जा रही है. तस्वीर बहुत साधारण है और सीढ़ी से नीचे उतरते पीएम मोदी और क्वाड शिखर सम्मलेन में आए अन्य नेताओं की है. सवाल होगा कि इस तस्वीर में खास क्या है? जवाब है पीएम मोदी का सबसे आगे रहना और जापान के पीएम फुमियो किशिदा का उन्हें कुछ बताना. तस्वीर में पीएम मोदी के ठीक पीछे अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन भी हैं जो किसी मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज से बातचीत करते हुए दिखाई दे रहे हैं. तस्वीर में जैसा स्वैग भारतीय प्रधानमंत्री का है वो किसी भी आम भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर सकता है. तस्वीर देखते हुए ऐसा जान पड़ता है कि कहीं कोई महाराजा चल रहा है. बगल में उसका सेनापति और पीछे उसकी सारी सेना है.
Quad शिखर सम्मलेन में जापान के पीएम की बातों को बहुत ध्यान से सुनते भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
तस्वीर सामने आने के बाद चाहे वो भाजपा के नेता हों, राइट विंग समर्थक हों या फिर भारतीय मीडिया हो सब आश्चर्य में हैं. कहा जा रहा है कि ये नए भारत की तस्वीर है. विश्वगुरु की तस्वीर है. वो तमाम लोग जो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं एक सुर में पीएम मोदी की इस वायरल तस्वीर की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं.
Leading the world… a picture is worth a thousand words. pic.twitter.com/T4lJ8rFt1u
— Amit Malviya (@amitmalviya) May 24, 2022
तस्वीर सामने आने के बाद मोदी समर्थकों द्वारा इस बात को भी दोहराया जा रहा है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं जिन्होंने विश्व को एक देश के रूप में भारत और भारत की शक्ति से रू-ब-रू कराया है. वाक़ई इस तस्वीर पर तमाम तरह के तर्क हो सकते हैं.
यक़ीनन इस तस्वीर के बाद इस बात को दोहराया जा सकता है कि इंटरनेशनल लेवल पर प्रधानमंत्री ने अपने ऑरा से ऐसा बहुत कुछ कर दिया है जिसके बाद पूरी दुनिया मार्गदर्शन के लिए भारत की तरफ देख रही है. लेकिन क्या एक तस्वीर को देखते हुए ये कह देना कि अब भारत विषगुरु बन गया है. बोलने की पराकाष्ठा नहीं है?
No one sees this grand welcome of the world leader honorable prime minister Narendra Modi @narendramodi?Now see the grand welcome of #Vishvaguru...??? pic.twitter.com/vVcU0A5DfE
— Ajay (@ajay_mirzam) May 24, 2022
सवाल अटपटा लग सकता है. लेकिन ये वाजिब इसलिए भी है क्योंकि अगर भारत को विश्वगुरु कहने के लिए इस तस्वीर को आधार बनाया गया. तो ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि किसी फोटोग्राफर के दिमाग की उपज है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये तस्वीर. इस बात में भी कोई शक नहीं है कि जब ये तस्वीर ली गयी तो वो एक रैंडम मोमेंट था. ऐसे में एक रैंडम मूमेंट को आधार बनाकर तारीफों के पुल बांधना सोच और समझ के परे है.
Prime Minister Shri @narendramodi at QUAD Summit in Tokyo with Japanese Prime Minister Fumio Kishida, US President Joe Biden, and Australian Prime Minister Anthony Albanese. https://t.co/LyinEglvku pic.twitter.com/UcMUvCYRAu
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) May 24, 2022
हम फिर इस बात को कहेंगे कि ये मूमेंट फोटोग्राफर ने इत्तेफाकन अपने कैमरा में कैद किया था. यदि कोई इसे बड़ी बात बता रहा है या समझ रहा है तो उसे इस बात को समझना होगा कि फोटोग्राफी किसी फोटो ग्राफर की सुचिता और सुविधा का खेल है. फोटोग्राफी में भले ही टाइमिंग का महत्त्व हो लेकिन फोटोग्राफर के लिए फ्रेम जरूरी है.
It is not #Modi ahead of world leaders, it is #India leading them and the #SanatanaDharma!#JaiSanatan #JaiBharat #NarendraModi #सनातन_धर्म_सर्वश्रेष्ठ_है #हिंदुत्व #Quad pic.twitter.com/ypxjeCuWDv
— KPUK?? (@KKPDL) May 24, 2022
मान लीजिये कल कहीं किसी और इवेंट में जहां दुनिया के सभी देश मौजूद हों. एक ग्रुप फोटो खिंचे और उस फोटो में अपने फ्रेम के लिए फोटो ग्राफर पीएम मोदी को पीछे खड़ा कर दे. तो क्या वो तमाम लोग जो आज आगे चलने के कारण पीएम मोदी की शान में कसीदे पड़ रहे हैं. तब उस वक़्त भी इतने ही सहज रहेंगे?
उपरोक्त सवाल का ईमानदारी भरा जवाब क्या होगा? इसे हम भली प्रकार से जानते हैं. साफ़ है कि अगर एक तस्वीर में आगे होने के कारण प्रधानमंत्री को चने के झाड़ पर चढ़ाया जा रहा है. खुश फहमी पाली जा रही है तो इससे किसी और का नहीं बल्कि हमारा खुद का नुकसान है.
अंत में. हम बस ये कहकर अपने वारा कही तमाम बातों को विराम देंगे कि, अपने को खुश करने के हजार से ऊपर तरीके आज के समय में हम इंसानों के पास हैं. ऐसे में अगर किसी तस्वीर से हमें ख़ुशी मिल जाए तो भी कोई बुराई वाली बात नहीं है.
रही बात एक देश के रूप में भारत की तो जिस देश की सभ्यता प्राचीन है. जो संस्कारों के हिसाब से विश्वगुरु प्राचीन काल से है उसे प्रमाण देने के लिए जापान से आई तस्वीरों की जरूरत हरगिज नहीं है.
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