New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 01 मार्च, 2021 06:07 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

कोरोना टीकाकरण अभियान (Corona Vaccination) के दूसरे चरण में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने दिल्ली के एम्स (AIIMS) अस्पताल में वैक्सीन की पहली डोज ली. नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) का टीका लिया. मोदी ने कोवैक्सीन का टीका लेने के साथ ही इस वैक्सीन पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर पूर्णविराम लगा दिया. विपक्ष लगातार पीएम मोदी से पहले खुद ठीका लगवाने की मांग करता आ रहा है. कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी मिलने के बाद से ही विपक्ष लगातार पीएम मोदी पर हमलावर रहा था. अब आप इसे मोदी का जवाब देने का 'स्टाइल' कहें या कुछ और लेकिन उन्होंने कोवैक्सीन का टीका लगवाकर सभी सवालों को जड़ से खत्म कर दिया है. साथ ही उन्होंने योग्य लाभार्थियों से कोरोना मुक्त भारत की ओर कदम बढ़ाने की अपील भी कर दी.

भूल से भी न दोहराना ये गलतियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीकाकरण वाली तस्वीर लोगों को कोरोना के प्रति जागरुक कर रही है. साथ ही उन्होंने कोवैक्सीन टीके को लेकर लोगों में विश्वास बढ़ाया है. कहा जा रहा है कि उन्होंने इसके सहारे लोगों के संदेह को मिटाने का संदेश दिया है. लेकिन, उन्होंने जिस तरह से कोरोना टीकाकरण करवाया है, उस पर सवाल भी उठ रहे हैं. दरअसल, कोरोना टीकाकरण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो बड़ी गलतियां की. इन गलतियों को देखकर कहा जा सकता है कि ऐसी गलती वे ही कर सकते हैं. अगर आप टीकाकरण के लिए जा रहे हैं, तो भूल से भी ये गलतियां दोहराने की मत सोचिएगा. हो सकता है कि आप वैक्सीन का डोज लेने जाएं और आपको खाली हाथ लौटना पड़े.

अगर आप टीकाकरण के लिए जा रहे हैं, तो भूल से भी ये गलतियां दोहराने की मत सोचिएगा.अगर आप टीकाकरण के लिए जा रहे हैं, तो भूल से भी ये गलतियां दोहराने की मत सोचिएगा.

गलती नंबर 1: मास्क नहीं पहना

पीएम मोदी ने वैक्सीन लगवाते समय मास्क का उपयोग नहीं किया था. माना जा सकता है कि पीएम मोदी की मुस्कुराते हुए वैक्सीन लेने की तस्वीर लोगों को कोरोना की टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने के लिए हो सकती है. पहले भी कई मौकों पर वह बिना मास्क के नजर आ चुके हैं, लेकिन यहां लोगों को ध्यान देना होगा कि वह ऐसा न करें. सबसे पहली बात ये है कि यह लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. आप चाहे सरकारी या निजी अस्पताल में टीका लगवाने जा रहे हों, मास्क का इस्तेमाल जरूर करें. नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं, इसलिए कहा जा सकता है कि वे ये गलती कर सकते हैं. यह कहने का एक बड़ा कारण है. प्रधानमंत्री के लिए दर्जनों तरह के प्रोटोकॉल होते हैं. प्रधानमंत्री की सुरक्षा केवल उनके सुरक्षाकर्मी ही नहीं करते हैं. बल्कि, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए उनके साथ डॉक्टरों की एक टीम हमेशा तैयार रहती है.

प्रधानमंत्री के किसी जगह जाने से पहले सुरक्षाकर्मियों की टीम उस स्थान की बारीकी से जांच करती है. कहा जा सकता है कि पीएम मोदी ने एम्स के जिस कक्ष में वैक्सीन की डोज ली हो, उसे उनके पहुंचने से पहले ही पूरी तरह से सैनिटाइज किया गया होगा. यह भी ख्याल रखा गया होगा कि टीका दे रहे लोगों में किसी तरह के संक्रामक रोगों के लक्षण तो नहीं हैं. ये कुछ प्रोटोकॉल हैं, जो तकरीबन हर पीएम के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इस स्थिति में अगर पीएम मोदी को देखकर आपने भी बिना मास्क लगाए वैक्सीन लेने का मन बनाया है, तो उस विचार को छोड़ दें. वरना आपको लेने के देने पड़ सकते हैं.

गलती नंबर 2: हाथ बांधकर टीका लगवाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथों को बांधकर कोरोना की पहली डोज ली है. अब तक जितने भी राष्ट्राध्यक्षों ने वैक्सीन का डोज लिया है, हाथों को आराम की मुद्रा में रखकर लगवाया है. लेकिन, पीएम मोदी ने ऐसा नहीं किया. बीते दिनों सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हुईं, जिसमें लोगों को वैक्सीन लगवाते समय दर्द का अनुभव होना नजर आया. वहीं, लोगों में वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर भी डर था. इस स्थिति में कहा जा सकता है कि '56 इंच की छाती' वाले मोदी अपनी तस्वीरों से ये संदेश देना चाहते हैं कि टीका लगवाने में कोई दर्द नहीं होता और इसके साइड इफेक्ट नहीं होते हैं.

यहां एक बात बताना बहुत जरूरी है कि भारत की दोनों कोरोनारोधी वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन 'इंट्रामस्क्युलर' इंजेक्शन हैं. इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन को 'डेल्टॉयड मसल्स' यानी कंधे के पास की मसल्स पर ही लगाया जा सकता है. इन वैक्सीन को लगाने के समय आपको अपना हाथ ढीला या आराम की मुद्रा में रखना होता है. इसलिए जो गलती पीएम मोदी ने की है, कोरोना का टीका लेते समय आप उसे दोहराने की मत सोचिएगा.

'आपदा में अवसर' टीकाकरण से साधा चुनावी समीकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैक्सीन लगवाने वाली तस्वीर ने चर्चाओं का दौर भी गर्मा दिया है. आगामी महीनों में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 'आपदा में अवसर' का नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कोरोना टीकाकरण को भी भाजपा के लिए अवसर बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. टीकाकरण के दौरान पीएम मोदी के कंधे पर असम की महिलाओं के आशीर्वाद का प्रतीक और लोकप्रिय गमछा नजर आया. सोशल मीडिया पर लोग उनकी दाढ़ी की तुलना रवींद्रनाथ टैगौर से करते रहे हैं, जो पश्चिम बंगाल के चुनाव में चर्चा का विषय है. वहीं, पीएम मोदी को वैक्सीन की डोज देने वाली नर्सों में से एक पुडुचेरी और एक केरल से हैं. कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक कंपनी के फाउंडर कृष्णा इल्ला तमिलनाडु के रहने वाले हैं. जिसके बाद से कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने टीकाकरण का इस्तेमाल भी चुनाव प्रचार के तौर पर किया है. एक दिन पहले ही नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में तमिल भाषा नहीं सीख पाने को लेकर मलाल जताया था.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय