संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन ही पाकिस्तान का बदहाली से बचने का आखिरी सहारा है!
समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के साथ एकजुट हो और पाकिस्तान जैसे देशों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाए. ताकि वे इन विनाशकारी बाढ़ों से मजबूत और समावेशी तरीके से उभर सकें.
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विनाशकारी बाढ़ के बाद राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए समर्थन प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ जिनेवा में आज पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र के बीच एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. रिकॉर्ड बारिश और पिछले सितंबर में ग्लेशियरों के पिघलने से करीब 3.3 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए, लगभग 598,000 अब राहत शिविरों में रह रहे हैं. कम से कम 1,700 लोगों की मौत जलवायु परिवर्तन के कारण तबाही में हुई. लाखों घरों के साथ-साथ कृषि भूमि नष्ट हो गई है, सड़कें और रेलवे लाइनें बह गई हैं. अस्थायी शिविरों में रह रहे विस्थापित लोगों में डेंगू बुखार, मलेरिया और डायरिया तेजी से आम होते जा रहे हैं. लोगों के लिए आवास और भोजन उपलब्ध कराने में समस्या आ रही हैं.
बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पाकिस्तान के पीएम जिनेवा पहुंच गए हैं
सर्दी आने के साथ ही लाखों लोग बिना आश्रय के रह गए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पाकिस्तान में हुए विनाश को 'जलवायु नरसंहार' कहा था. अधिकांश पानी घट चुका है, लेकिन पुनर्निर्माण के प्रयास, जिसकी लागत 16.3 अरब डॉलर होने की उम्मीद है, अभी शुरू हो रहा हैं.
पाकिस्तान की बदहालत दुनिया के लिए खतरे की घंटी ?
पाकिस्तान के लिए अतिरिक्त धनराशि महत्वपूर्ण है. बिजली और भोजन जैसे आयातों के लिए भुगतान करने की अपनी क्षमता के साथ-साथ अपने अंतर्राष्ट्रीय ऋण को पूरा करने के बारे में चिंताए बढ़ी है. विकसित और विकासशील देशों के बीच, सहयोग और एक बड़ी समझ होनी चाहिए. हमें ऐसे समाधान खोजने की जरूरत है जो पृथ्वी की सुरक्षा करे और आने वाले विनाश को रोकें.
हमारे द्वारा जीवाश्म ईंधनों को अत्यधिक जलाना, वन्य और प्रकृति का गैर जिम्मेदार तरीके से उपभोग करना मानव जाति के अंत का फैसला करने जैसा हैं.पाकिस्तान की बाढ़ क्रूर जलवायु परिवर्तन के परिणामों की स्पष्ट चेतावनी है.
मानव ने हमारे एक मात्र ग्रह को नष्ट कर दिया है. पाकिस्तान में आज जो कुछ हो रहा है, वह इसका सबूत है. कोई भी देश प्रकृति की ताकत के इतने क्रूर परिणाम का हकदार नहीं है. पाकिस्तान आज कुदरत के कहर का सामना कर रहा है और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. कल यह कोई अन्य देश भी हो सकता है जो प्रकृति के कहर का सामना करेगा.
समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के साथ एकजुट हो और पाकिस्तान जैसे देशों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाए ताकि वे इन विनाशकारी बाढ़ों से मजबूत और समावेशी तरीके से उभर सकें.
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