सर्जिकल स्ट्राइक की सर्जरी
यह सर्जरी का समय नहीं है, समय है एकजुट होकर शत्रु के खिलाफ एकजुट होने का, सेनाओं के मनोबल को बढ़ाने का, न की उनकी क्षमताओं पर प्रश्न उठाने का, आपस की लड़ाई हम बाद में कभी भी लड़ सकते हैं
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भारत की राजनैतिक पार्टियां किसी भी मुद्दे की राजनैतिक सर्जरी करने में माहिर हैं, इसमें इन्हें पीएचडी की डिग्री मिली हुई है, अगर इसके इतर कोई डिग्री भी हो तो वह भी उनकी जेब में होती है. केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार ने जैसे ही पाकिस्तान के आतंकवादियों की सर्जरी की, विपक्ष में बैठी पार्टियों को मानो सर्जरी का मौका मिल गया, सो गिद्ध की तरह झपट पड़े सरकार पर. कोई कहता है हमने तीन बार सर्जिकल स्ट्राइक किया, तो कोई कहता है वीडियो दिखाओ.
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भारत के नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश की |
दरसअल पाकिस्तान की ओर से खबर आई कि वहां की सेना विदेशी पत्रकारों को उस जगह लेकर गई जहां भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की. यह भी बताया गया कि उन्हें फॉरवर्ड एरिया से लगी उन दो जगहों पर ले जाया गया जहा सर्जिकल स्ट्राइक हुई, फॉरवर्ड एरिया विजिट करने के बाद विदेशी चेनलों ने दावा किया कि वहां सर्जिकल जैसी कोई भी चीज उन्हें नहीं दिखाई दी थी. पाकिस्तान ने जैसे ही सीएनएन, बीबीसी, रायटर्स, एपी, बीबीसी उर्दू में ये खबरें छपी देखीं, मानो पाकिस्तान को भारत पर पलटवार सर्जिकल स्ट्राइक का मौका मिल गया. यह एक प्रायोजित मीडिया कंपेनिंग थी जिसमें पाकिस्तान कामयाब रहा. जिसके बाद हम घर में ही घिर गए.
इधर भारत में तो राजनीति की खिचड़ी सब चीजों में घुल ही जाती है, कुछ कांग्रेसी नेताओं और आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश की लेकिन ये नेता यह भूल गए कि भारत ने 26/11 के बाद पाकिस्तान को कितने सुबूत दिए थे उनका क्या हुआ? पठानकोट हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कई सबूत दिए थे क्या हुआ उन सुबूतों का, क्या आप जानते हैं कि खुद पाकिस्तान को ही पठानकोट मामले में कोई जानकारी नहीं है, इसका उदहारण सोमवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में देखने को मिला जब पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख आफ़ताब अहमद ने पाक असेंबली में कहा कि सरकार के पास पठानकोट घटना से सम्बंधित जांच पर कोई तथ्य नहीं हैं.
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यह सर्जरी का समय नहीं है, समय है एकजुट होकर शत्रु के खिलाफ एकजुट होने का, सेनाओं के मनोबल को बढ़ाने का, न की उनकी क्षमताओं पर प्रश्न उठाने का, आपस की लड़ाई हम बाद में कभी भी लड़ सकते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में इस तरह की जल्दबाज़ी कतई ठीक नहीं है. राजनैतिक पार्टियों को इस मामले का राजनैतिक इस्तेमाल पंजाब व उत्तरप्रदेश विधान सभा चुनावों की लिए नहीं करना चाहिए. शायद भारत सरकार कुछ समय के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के तथ्यों को सार्वजनिक कर दे तो आज जो लोग इस मामले में पंजाब और उत्तर प्रदेश में राजनीति कर रहे हैं उनका क्या होगा. और जान लीजिए सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ा 90 मिनट का एक वीडियो प्रधानमंत्री को सौंप चुकी है.
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