RSS के खिलाफ कांग्रेस की वो योजना जिस पर प्रणब दा ने पानी फेर दिया है
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपने कड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं. माना जा रहा है कि आगामी 7 जून को उनका संघ मुख्यालय जाना भी एक कड़ा फैसला है जो कांग्रेस और राहुल गांधी को बड़ी मुसीबत में डाल सकता है.
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पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार प्रणब मुखर्जी के एक फैसले ने पूरी कांग्रेस पार्टी को दुविधा में लाकर खड़ा कर दिया है. पूर्व राष्ट्रपति आगामी 7 जून को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में होंगे. आरएसएस ने मुखर्जी को सात जून को होने वाले अपने 'संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष समापन समारोह' के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है. बताया जा रहा है कि मुखर्जी ने भी खुले मन से इस न्योते को स्वीकार किया था.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का नागपुर जाने का फैसला कांग्रेस को बड़ी मुश्किलों में डाल सकता है
प्रणब मुखर्जी प्रोग्राम में आ रहे हैं इसकी पुष्टि खुद संघ ने कर दी है. एएनआई को दिये एक बयान में संघ की तरफ से कहा गया है कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, जो लोग संघ जानते है उनको पता है कि ऐसे कार्यक्रमों में हमेशा समाज के प्रमुख लोगों को बुलाया जाता रहा है. इस बार हमने डॉ. प्रणब मुखर्जी को बुलाया है. यह उनकी महानता है कि उन्होंने निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.
This isn't surprising for those who know & understand the Sangh, because RSS has always invited prominent people of the society in its programmes. This time, we invited Dr Pranab Mukherjee & it's his greatness that he has accepted our invitation: Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) pic.twitter.com/z9aSy2cOWS
— ANI (@ANI) May 29, 2018
ये कहना गलत नहीं है कि, एक ऐसे दौर में जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संघ को लेकर लगातार हमलावर हो रहे हैं और उस पर तमाम तरह के आरोप लगा रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणब मुखर्जी द्वारा लिया गया ये फैसला एक बड़ा फैसला माना जाएगा. कहा जा सकता है कि आरएसएस का आमंत्रण स्वीकार करके प्रणब दा ने कांग्रेस की कई योजनाओं पर पानी फेर दिया है. सवाल ये खड़ा हो रहा है कि अब किस मुंह से राहुल गांधी संघ की आलोचना करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनका एक बड़ा नेता संघ के लोगों से मिलने और उन्हें समझने उनके खेमे का रुख कर रहा है.
बहरहाल प्रणब मुखर्जी के इस फैसले के बाद विवाद उठना और प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक था. ध्यान रहे कि संघ के प्रोग्राम में प्रणब मुखर्जी के जाने पर इसलिए भी चर्चा हो रही है क्योंकि पूर्व में कई ऐसे मौके आए हैं जब प्रणब मुखर्जी ने संघ का मुखर होकर विरोध किया था. कहा ये भी जा सकता है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का शुमार उन कांग्रेसी नेताओं में है जिनके वैचारिक तौर पर आरएसएस के साथ गहरे मतभेद हैं और उन्होंने भी कई मौकों पर संघ को आड़े हाथों लिया था.
जब इस मामले की जानकारी के लिए कांग्रेस के अन्य लोगों से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. पार्टी ने सिर्फ इतना कहा कि वह इस कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद ही कुछ कह सकेगी. कांग्रेस के प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने पत्रकारों से कहा कि,'फिलहाल इस मामले पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. इस कार्यक्रम को होने दीजिये. उसके बाद हम कुछ कह सकेंगे.' उन्होंने इतना जरूर कहा है, 'आरएसएस और हमारी विचारधारा में बहुत अंतर है. यह वैचारिक फर्क आज भी है और आगे भी रहेगा.'
पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब अपने फैसलों से प्रणब मुखर्जी ने लोगों को चौंकाया है
वहीं इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यदि इसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शामिल होते हैं तो यह अच्छी बात होगी. उन्होंने उनके इसमें शामिल होने पर सवाल उठाने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, आरएसएस इसी देश की एक संस्था है. इसलिए उसपर सवाल उठाना गलत है.
If former President Pranab Mukherjee joins, it is good. What is the problem if the former President visits RSS event. RSS is an organisation of the nation. There should not be any political untouchability in the country: Union Minister Nitin Gadkari pic.twitter.com/8QrilCljWa
— ANI (@ANI) May 29, 2018
इस मामले पर कांग्रेसी नेता सुशील कुमार शिंदे प्रणब मुखर्जी का बचाव करते हुए नजर आए. शिंदे ने कहा कि, वो एक बुद्धमिान व्यक्ति हैं. वह भारत के राष्ट्रपति रहे हैं. उनकी पंथनिरपेक्ष सोच है. इसलिए ऐसा नहीं लगता कि उनके वहां जाने से उनके व्यवहार में कोई बदलाव आएगा. वहीं जब इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी से सवाल किया गया तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि, 'इस बारे में पूर्व राष्ट्रपति खुद ही जवाब दे सकते हैं. उनको निमंत्रण मिला, वो जा रहे हैं तो इसका जवाब वही दे सकते हैं.'
इन सारी बातों और प्रतिक्रियाओं के बाद माना जा सकता है कि जैसे जैसे प्रणब मुखर्जी के नागपुर जाने के दिन नजदीक आएंगे विवाद और गहराता जाएगा. रही बात कांग्रेस की तो कांग्रेस इस लिए परेशान है क्योंकि एक तरफ उनकी पार्टी के अध्यक्ष लगातार संघ और उसकी नीतियों की आलोचना कर रहे हैं तो दूसरी तरह उनका एक वरिष्ठ नेता संघ के लोगों से मिलने उनके मुख्यालय जा रहा है. अब पार्टी के सामने सवाल ये बना हुआ है कि वो किस मुंह से संघ की बुराई करेगी? कैसे अपनी नाकामियां छुपाते हुए उसपर बेबुनियाद इल्जाम लगाएगी.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि शायद कांग्रेस इस बात को भूल गयी कि चाहे आज का समय हो या फिर इंदिरा गांधी का दौर. राजनीति के अंतर्गत कई मौके ऐसे भी आए हैं जब प्रणब मुखर्जी ने पार्टी की परवाह किये बगैर अपने मन की बात सुनी है और कड़े फैसले लिए हैं और लोगों को हैरत में डाला है.
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