Bihar में नए रोल और लंबे प्लान के साथ प्रशांत किशोर की री-एंट्री
बिहार चुनाव (Bihar Assembly Election) आने में अभी वक़्त है मगर लोगों की नजरें जेडीयू (JDU) से निकाले गए प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पर हैं. लोग जानना चाहते हैं कि अभी कुछ समय पहले तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के ख़ास रह चुके प्रशांत, पटना आकर बिहार और बिहार चुनाव को लेकर क्या रणनीति बनाते हैं.
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दिल्ली का चुनाव (Delhi Assembly Election) खत्म करके राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) बिहार (Bihar) का रूख कर रहे हैं. प्रशांत किशोर पटना (Patna) में अपनी रणनीतियों का खुलासा करेंगे. बता दें कि जेडीयू (JDU) से निष्कासित किए जाने के बाद, ये पहली बार होगा कि हम प्रशांत किशोर को पटना में देखेंगे. जाहिर है उनको लेकर बिहार में तमाम तरह की अटकले भी चल रही होंगी. लोग जानना चाह रहे हैं कि बिहार को लेकर प्रशांत किशोर का अगला कदम क्या होगा? वो किस पार्टी में शामिल होंगे? वो किस पार्टी के लिए रणनीतिकार का काम करेंगे? या बिहार में प्रशांत किशोर कोई नई पार्टी या फोरम बनायेंगे? प्रशांत किशोर, तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) के नेतृत्व वाले किसी तरह के गठबंधन के साथ संबंध न रहने की बात पहले ही बता चुके हैं लेकिन बिहार में कांग्रेस (Congress) को ये जरूर लगता है कि प्रशांत किशोर 2020 के विधानसभा चुनाव में बडी भूमिका निभा सकते हैं, और उसके लिए कोई रास्ता बना सकते हैं. मगर ऐसा होता दिख नही रहा है. हो ये भी सकता है कि प्रशांत किशोर किसी भी राजनीतिक दल के लिए रणनीतिकार का काम न करें. बिहार में आने जा रही राजनीतिक शून्यता को भरने के लिए कोई लॉन्ग टर्म प्लान बनाएं. जो लोग सोचते है कि प्रशांत किशोर तुरंत कोई पार्टी या फोरम बनाकर अपनी राजनीति शुरू कर देंगे वो गलतफहमी के शिकार हैं. माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) इससे कई गुणा बड़ी सोच को जमींन पर उतारने की तैयारी में हैं.
बिहार में सबकी नजर प्रशांत किशोर पर है लोग जानना चाहते हैं कि चुनावों को लेकर उनकी रणनीति क्या है
जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने ये जरूर कहा था कि वो पटना आकर नीतीश कुमार को जवाब देंगे. लेकिन प्रशांत किशोर को जानने वाले ये जानते हैं कि उनका इस तरह का स्वभाव नहीं है कि राजनीतिक बदला लेने के लिए तुरंत कोई पार्टी या फोरम बना ले. वो राजनीति के रणनीतिकार हैं इसलिए वो जो भी करेंगे वो लांग टर्म रणनीति के तहत होगा. क्योंकि प्रशांत किशोर को मालूम है कि बिहार राजनीतिक रूप से एक बहुत बड़ी शून्यता की तरफ बढ़ रहा है और इस भूकंप को को भरने के लिए ठोस रणनीति की जरूरत है.
बिहार की राजनीति आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार और एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान इर्दगिर्द ही घूमती रही है. पिछले 30 सालों से जेपी आंदोलन से निकले लोग ही बिहार में सरकार को चला रहे हैं. चाहे वो आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हों. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या फिर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी. 74 के आंदोलन में यही नेता युवा थे अब फिर से नए युवाओं की भागीदारी का समय आ रहा है.
प्रशांत किशोर की कोशिश इन 30 सालों की राजनीति के बाद नई सोच और उर्जा के साथ राजनीति को आधुनिक बनाना और उसमें युवाओं का रूझान पैदा करना होगा. हालांकि बिहार की राजनीति में परिवारवाद के तहत युवा नेतृत्व सामने आ रहे हैं. चाहे वो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव हो या फिर रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान हों मगर बात जब राजनैतिक शैली की होगी तो ये सभी लोग अपने-अपने पिता के सामने कहीं भी ठहर नहीं पाते.
ऐसे में प्रशांत किशोर की कोशिश ऊर्जावाद युवाओं को सामने लाकर बिहार की राजनीति में एक नया आयाम जोड़ने की हो सकती है. ये इस चुनाव में तो सम्भव नहीं है लेकिन अगले चुनाव तक एक रणनीति के तहत काम करके बिहार के लिए एक नया नेतृत्व उभारने की कोशिश जरूर हो सकती है. इसलिए शायद प्रशांत किशोर बिहार में किसी पार्टी के तारनहार या रणनीतिकार न बनें.
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