प्रियंका-पुलिस हाथापाई सड़कों पर जारी बवाल की प्रतिनिधि तस्वीर है
प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka GAndhi Vadra) और क्षेत्राधिकारी अर्चना सिंह (ASP Archana Singh Lucknow CO) के बीच हुआ वाकया ठीक वैसा ही है जैसा नागरिकता कानून (CAA-NRC Protests) को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों में होता है - प्रियंका गांधी का अपना पक्ष है और पुलिस अफसर की अपनी पीड़ा है.
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प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka GAndhi Vadra) के लखनऊ पहुंचने से पहले ही मेरठ के पुलिस अफसर का वीडियो वायरल हो रखा था - 'पाकिस्तान चले जाओ...' अब तक ऐसी बातें बीजेपी के कुछ नेताओं के मुंह से सुनने को मिलती रही - पहली बार किसी पुलिस अफसर के मन की बात जबान पर आ गयी थी - और बात ही ऐसी थी कि वायरल तो होना ही था.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने पुलिस अफसर के लिए नसीहत भरा एक ट्वीट किया और फिर आगे बढ़ गयीं. प्रियंका का इराधा शुरू से ही साफ था, वो नागरिकता कानून (CAA-NRC Protests) का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस एक्शन को चर्चा में लाना चाहती थीं.
अब तक जिस तरह CAA-NRC के खिलाफ सड़कों पर पब्लिक-पुलिस संघर्ष हुआ है, ध्यान देने पर प्रियंका गांधी और लखनऊ की पुलिस अफसर (ASP Archana Singh Lucknow CO) के बीच हुई 'हाथापाई' एक नमूना भर है जो हाई-प्रोफाइल हो जाने से ज्यादा हाइलाइट हो रहा है.
पुलिस पर इल्जाम वही जो सबने लगाये
प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और यूपी पुलिस पर ये तीसरी बार धावा बोला था. आम चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पहली बार प्रियंका गांधी अगस्त में सोनभद्र पहुंची और नरसंहार के पीड़ितों के परिवार से मुलाकात न होने पर धरने पर बैठ गयीं - और बगैर मिले नहीं लौटीं. तब नरसंहार को लेकर प्रियंका गांधी ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया था. दिसंबर, 2019 के शुरू में ही प्रियंका गांधी अचानक उन्नाव पहुंच गयीं और रेप पीड़िता के परिवार वालों से मिलने के बाद कानून व्यवस्था और यूपी में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाये.
अब जबकि कांग्रेस स्थापना दिवस को 'संविधान बचाओ, भारत बचाओ' पर्व के रूप में मना रही थी, प्रियंका गांधी ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश का रूख किया और लखनऊ पहुंच कर तीसरी बार कानून व्यवस्था का सवाल उठाया लेकिन इस्तेमाल पुलिस के कंधे का ही किया.
ताजा दौरे में प्रियंका गांधी ने जेल भेजे गये पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी के घरवालों से मिलने का कार्यक्रम तय कर रखा था - और लखनऊ पहुंचने के बाद जरूरी औपचारिकताओं - मीडिया में बयान और कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद मंजिल की तरफ निकल पड़ीं.
प्रियंका गांधी का कहना है कि वो अपना प्रोग्राम खत्म करने के बाद दारापुरी के घर के रास्ते में थीं. प्रियंका का कहना है कि कोई तमाशा या डिस्टर्बेंस न हो इसलिए 4-5 लोग एक गाड़ी में बैठ कर जा रहे थ - तभी पुलिस की एक गाड़ी आई और प्रियंका की गाड़ी का रास्ता रोक दिया. प्रियंका वाड्रा बताती हैं, 'हमसे कहा कि आप नहीं जा सकते... हमने पूछा कि क्यों नहीं जा सकते? वो बोले हम आपको जाने नहीं देंगे... मैंने कहा मुझे रोकिये... मैं गाड़ी से उतर गई... मैंने कहा कि मैं पैदल जाऊंगी - मैं पैदल चलने लगी तो मुझे घेरा - मेरा गला दबाया - मुझे पकड़कर धकेला.'
प्रियंका गांधी की कोशिश है कि लोग कांग्रेस नेता को सरकार और पुलिस के सताये हुए लोगों की आवाज समझें
प्रियंका के मुताबिक ये सब एक महिला पुलिसकर्मी ने किया. प्रियंका गांधी आगे बताती हैं - 'मैं गिर गई... उसके बाद मैं फिर चलती रही... थोड़ी देर बाद फिर मुझे रोका... फिर मुझे पकड़ा... उसके बाद मैं अपने कार्यकर्ता के साथ टूव्हीलर पर बैठकर चली गई... उसके बाद उन्होंने टूव्हीलर को भी घेरा - मैं फिर पैदल यहां तक आई हूं.'
पुलिस की पीड़ा भी वही है अब तक सबने दिये
लखनऊ के एसएसपी का कहना है कि एएसपी डॉ. अर्चना सिंह ने अपनी रिपोर्ट पेश की है और उसमें बताया है कि प्रियंका गांधी वाड्रा अपने तय रूट पर नहीं जा रही थीं.
ASP अर्चना सिंह ने दो टूक जवाब दिया है - 'मैंने सिर्फ अपनी ड्यूटी निभाई है... इस दौरान मेरे साथ भी धक्का-मुक्की हुई है.'
एएसपी के मुताबिक, प्रियंका गांधी और उनके साथ के कार्यकर्ताओं ने भी पुलिस अफसर के साथ हाथापाई की है, ठीक वैसे ही जैसे विरोध प्रदर्शन में लोग पुलिसल वालों के साथ किया करते हैं. फर्क सिर्फ ये होता है कि प्रदर्शनकारियों के हाथ में पत्थर होते हैं और ठीक सामने सिपाही और दोनों के दो-दो हाथ करने का अपना तरीका होता है. अपने अपने लेवल के अनुसार. बाकी घटना की प्रकृति मिलती जुलती ही है.
लखनऊ पुलिस की इलाके की क्षेत्राधिकारी अर्चना सिंह का अपना पक्ष है - 'ये बिल्कुल भी सच नहीं है... मैं उनकी की फ्लीट इंचार्ज थी... किसी ने भी उनके साथ बदसलूकी नहीं की थी.'
अर्चना सिंह के मुताबिक, उन्हें सूचना मिली कि प्रियंका गांधी पार्टी कार्यालय से निकलने वाली हैं और उसी हिसाब से फ्लीट रवाना की गयी. एएसपी के अनुसार फ्लीट का अगला हिस्सा तो रूट के मुताबिक मुड़ गया, लेकिन प्रियंका गांधी फ्लीट के साथ न जाकर सीधे न जाने लगीं.
क्षेत्राधिकारी बताती हैं, 'मैं ये जानना चाहती थी कि मैडम कहां जाना चाहती हैं, ताकि उसके हिसाब से सुरक्षा इंतजाम किया जा सके...'
प्रियंका गांधी और पुलिस अफसर के बीच अगर कोई चीज है तो वो है राजनीति और फर्ज. खबर ये भी है कि सुबह ही चचेरे भाई की मौत के बाद वो छुट्टी लेना चाहती थीं, लेकिन वीवीआईपी ड्यूटी होने के कारण उन्हें अवकाश नहीं मिल सका - और शाम होते होते ये बवाल भी हो गया.
...और फिर प्रियंका गांधी ने यू-टर्न भी ले लिया!
प्रियंका गांधी और पुलिस के इस संघर्ष में आम लोगों से फर्क यही है कि प्रियंका अपनी बात कह पा रही हैं, लेकिन बाकियों में से ऐसे कम ही हैं जो मीडिया से संपर्क होने पर पुलिस उत्पीड़न की बातें शेयर कर पा रहे हैं.
देखा जाये तो ये भी ठीक वैसा ही वाकया है जैसा नागरिकता कानून और NRC को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों में होता चला आ रहा है. इस घटना में भी प्रियंका गांधी का अपना पक्ष है - और पुलिस अफसर की अपनी पीड़ा है.
कुछ देर बाद प्रियंका ने पुलिस के दुर्व्यवहार को लेकर बयान बदल लिया. नेताओं के लिए ये कोई नयी बात नहीं है, लेकिन ऐसा प्रियंका गांधी ने क्यों किया - ये समझने की कोशिश जरूर होनी चाहिये.
प्रियंका गांधी ने पुलिस के दुर्व्यवहार को लेकर जो बयान दिया था वो यूं ही तो नहीं लगता. प्रियंका गांधी ने दो बातें प्रमुख तौर पर कही थीं और मान कर चलना चाहिये कि पूरी जिम्मेदारी से कही होंगी. प्रियंका गांधी ने पुलिस के जिस दुर्व्यवहार का आरोप लगाया उसमें विशेष रूप से इस बात का उल्लेख किया कि उनके साथ जो कुछ भी हुआ उसमें महिला पुलिसकर्मी थी. दूसरी बात में उन्होंने पुलिस के हमले का आरोप लगाया था.
प्रियंका गांधी ने कहा था - "मैं पैदल चलने लगी तो मुझे घेरा - मेरा गला दबाया - मुझे पकड़कर धकेला." अब इतना सुनने के बाद घरवालों पर क्या बीतेगी समझा जा सकता है. रॉबर्ट वाड्रा ने भी वही इजहार किया है.
I am extremely disturbed at the way Priyanka was manhandled by the woman cops. While one held her by the throat, the other woman cop pushed her & she fell down. But she was determined & she travelled on a two-wheeler to meet family members of Former IPS officer SR Darapuri.1/2 pic.twitter.com/xr597Alk9P
— Robert Vadra (@irobertvadra) December 29, 2019
लेकिन कुछ देर बाद ही प्रियंका गांधी 'गला दबाने' की जगह 'गले पर हाथ' लगाने की बात करने लगीं. सवाल ये है कि प्रियंका गांधी ने बात क्यों बदली? क्या प्रियंका गांधी को लगा कि उनका आरोप लोगों के लिए हजम करना मुश्किल होगा? या फिर किसी ने ऐसी बात कहने की सलाह दी जो लोगों में मन में शक न पैदा होने दे? कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने प्रियंका गांधी के साथ हुए पुलिस दुर्व्यवहार को आम लोगों से जोड़ने की कोशिश की है जिसमें पुलिस को कोसने वाले सारे शब्दों का इस्तेमाल किया है. हो सकता है वेणुगोपाल ने प्रियंका गांधी का बाद में दिया बयान न सुना हो.
It is highly shocking and shameful the way UP Police stopped and manhandled @priyankagandhi.The police was using brutal force to intimidate & stop her. If this is happening to a senior political leader, guess what UP police is doing with the public.
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) December 28, 2019
प्रियंका गांधी ने बयान में भूल सुधार कर लगे हाथ बीजेपी को हमले का मौका दे दिया. अब बीजेपी प्रियंका गांधी के यूपी पुलिस को कठघरे में खड़ा करने के प्रयास को ही नौटंकी करार दिया है. बीजेपी नेता सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है, 'पूरा परिवार झूठ पर फल-फूल रहा है... ऐसे काम से उन्हें सिर्फ अस्थायी पब्लिसिटी मिलेगी वोट नहीं... प्रियंका वाड्रा की नौटंकी की निंदा होनी चाहिए.'
#PriyankaVadralies the family thrives on lies only, theory of spit and run will give you temporary publicity but not votes. Nautanki of #PriyankaVadra should b condemned
— Sidharth Nath Singh (@SidharthNSingh) December 28, 2019
अगर भाई डाल डाल तो बहन पात पात।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 29, 2019
बीजेपी नेता शिवराज सिंह का बयान निश्चित तौर पर राजनीतिक है, लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी - प्रियंका गांधी वाड्रा ने महफिल ऐसे लूट ली कि असम से राहुल गांधी के मोदी सरकार पर हमले सुर्खियों से पलक झपकते ही हवा हो गये!
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