वीर सावरकर की तस्वीर हटाकर मुस्लिम समुदाय आखिर क्या साबित कर रहा है?
कर्नाटक (Karnataka) में वीर सावरकर (Veer Savarkar) का पोस्टर हटाने का विवाद गहराता जा रहा है. इस पर भाजपा एमएलए केएस ईश्वरप्पा ने कहा है कि 'अगर हिंदू समाज उठ खड़ा हुआ, तो इस तरह की गतिविधियां टिक नहीं पाएंगी.' बहुत लोगों को भाजपा नेता (BJP) की बातें भड़काऊ और हिंदुत्व (Hindutva) को बढ़ावा देने वाली लग सकती हैं. लेकिन...
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कर्नाटक के शिवमोगा में वीर सावरकर का पोस्टर हटाने पर सांप्रदायिक तनाव भड़क गया था. इस घटना पर भाजपा एमएलए केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि 'मैं मुस्लिम समुदाय के वरिष्ठ नेताओं और सदस्यों से अनुरोध करता हूं, इस तरह की देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल युवाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाएं. अगर हिंदू समाज उठ खड़ा हुआ, तो इस तरह की गतिविधियां टिक नहीं पाएंगी.' वैसे, देश के बहुत से सेकुलर और प्रगतिवादी लोगों को भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा की बातें भड़काऊ और हिंदुत्व को बढ़ावा देने वाली लग सकती हैं. वहीं, इस घटना को आंखों पर चढ़ा विचारधारा का चश्मा हटाकर देखा जाए, तो पता चलता है कि हिंदुत्व को लेकर भाजपा वही बातें दोहरा रही है, जो मद्रास हाईकोर्ट ने कही थीं.
#WATCH | I request senior members of Muslim community to take action against youth of their community involved in such anti-national activities. If Hindu society rises, then such activities won't survive: BJP MLA from Shivamogga,KS Eashwarappa on stabbing incident#Karnataka pic.twitter.com/hUSuQx2xld
— ANI (@ANI) August 16, 2022
मुस्लिमों को अपने त्योहार मनाना मुश्किल हो जाएगा- मद्रास हाईकोर्ट
कर्नाटक के शिवमोगा में अमीर अहमद सर्कल पर लगे स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के पोस्टर को मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान के समर्थकों ने हटा दिया था. क्योंकि, मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों को इस पर आपत्ति थी. ये ठीक वैसा ही मामला है. जैसा बीते साल पेरंबलूर जिले के कड़तूर गांव में हुआ था. दरअसल, बीते साल मद्रास हाईकोर्ट के सामने पेरंबलूर जिले के कड़तूर गांव का एक विवाद पहुंचा. जिसमें स्थानीय बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय ने शरिया कानून के हिसाब से हिंदू समुदाय द्वारा निकाली जाने वाली रथयात्रा पर आपत्ति जताते हुए रोक लगा दी थी. मुस्लिम समुदाय के दबाव में जिला अदालत ने भी इस रोक को जारी रखने का आदेश जारी कर दिया था.
"In this case, intolerance of a particular religious group is exhibited by objecting to festivals which have been conducted for decades together stating that the area is dominated by Muslims and there cannot be any Hindu festival, procession through the locality," the Court noted
— Bar & Bench (@barandbench) May 9, 2021
वहीं, जब ये मामला मद्रास हाईकोर्ट में पहुंचा. तो, हाईकोर्ट ने हिंदुओं की रथयात्रा और त्योहारों पर रोक लगाने वाली मुस्लिम जमात को कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए कहा था कि 'अगर शरिया के तहत हिंदू रथयात्रा और त्योहारों पर पाबंदी लगाई जाने लगी, तो मुस्लिमों को हिंदू बहुल देश की अधिकांश जगहों पर कुछ भी कर पाने की अनुमति नहीं मिलेगी.' देखा जाए, तो भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने मद्रास हाईकोर्ट की कही बात को बस अपने शब्दों में कहा है. और, ये भाजपा की हिंदुत्व पॉलिसी को समझने का फेर भर है.
भारत में रामनवमी जुलूस पर होने वाली पत्थरबाजी का दोष भी हिंदुओं पर ही मढ़ दिया जाता है.
'असहिष्णु' हिंदू कभी मुस्लिम समुदाय के जुलूस पर पत्थरबाजी नहीं करते!
रामनवमी के दिन देशभर में निकाली जाने वाली शोभायात्राओं पर कई राज्यों में पथराव के बाद हिंसा, आगजनी जैसी घटनाएं सामने आई थीं. इन सभी घटनाओं में एक चीज कॉमन थी. और, वो थी मुस्लिम बहुल क्षेत्र. यूं तो भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं पर 2014 के बाद असहिष्णु होने का ठप्पा लगा दिया गया. लेकिन, इस असहिष्णुता के ठप्पे के बावजूद हिंदू समुदाय के कभी इस्लाम से संबंधित जुलूसों या मुस्लिम त्योहारों पर पत्थरबाजी करने की घटनाएं सामने नहीं आती हैं. जबकि, देश के सेकुलर और बुद्धिजीवी वर्ग के तमाम लोग रामनवमी के जुलूस पर होने वाली पत्थरबाजी का दोष भी हिंदुओं पर ही थोप देते हैं.
क्या ये अतिवादिता का उदाहरण नहीं है कि सहिष्णु होने का सारा बोझ हिंदुओं पर ही डाल दिया जाए. मुस्लिम बहुल इलाकों से हिंदुओं के जुलूस न निकालो. वरना इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी. रास्ते में पड़ने वाली मस्जिदों के सामने लाउडस्पीकर पर गाने बजाकर भड़काओ नहीं. वरना मस्जिद से पत्थरबाजी होने लगेगी. आखिर ये मुस्लिम बहुल इलाके बनाए ही क्यों जाते हैं? हिंदुओं को भले ही असहिष्णु घोषित कर दिया गया हो, लेकिन हिंदू बहुल इलाकों जैसी शब्दावली आज तक देश के शब्दकोश में नहीं जुड़ी है. अगर भारत में भी हिंदू बहुल क्षेत्र बनने लगे, तो टीपू सुल्तान की तस्वीर छोड़िए, मुस्लिम समुदाय का घर से निकलना दूभर हो जाएगा.
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