पुलवामा हमला करने वाले आतंकी आदिल अहमद डार ने भारत की मदद ही की है!
पुलवामा आतंकी हमले में CRPF के 44 जवानों को शहीद करने वाला जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी आदिल अहमद डार अपने आखिरी मैसेज में यह बात स्पष्ट कर देता है कि उसकी जंग कश्मीर की आजादी के लिए नहीं, बल्कि इस्लाम के लिए है.
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जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदाइन हमले से CRPF के 44 जवान शहीद हुए. कश्मीर में अब तक का यह सबसे बड़ा आतंकी हमला था. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली और साथ ही हमलावर का वीडियो भी जारी किया. खुद को विस्फाटकों से लदी गाड़ी के साथ उड़ा लेने वाला काकापोरा का रहने वाला आदिल अहमद डार था. जो 2018 में जैश ए मुहम्मद में शामिल हुआ था. इससे एक साल पहले वह 11वीं कक्षा में पढ़ रहा था. उसने अपने संभवत: आखिरी वीडियो (Adil Ahmed Dar video) में जो बातें कहीं हैं, वह भारत सरकार और कश्मीर की सियासत करने वालों की आंख खोलने के लिए काफी है.
पुलवामा में हुए आतंकी हमले में करीब 44 जवानों की मौत हुई है
'बात कश्मीर नहीं, इस्लाम की है'
'जब तक आपके पास मेरा यह वीडियो पहुंचेगा, तब तक मैं जन्नत के मजे लूट रहा हूंगा.' पुलवामा में CRPF की बस को आत्मघाती हमले से उड़ा देने वाला आदिल अहमद डार एक वीडियो में कुछ ऐसा ही कहता सुनाई दे रहा है. करीब 9 मिनट के इस वीडियो में आदिल ने जो बातें कहीं हैं, वह घाटी में मौजूद सभी राजनीतिक दलों और अलगाव वाद को पोलिटिकल कहने वाली हुर्रियत के चेहरे से नकाब उठाने के लिए काफी है. आदिल इन सभी बयानबाजों के उस झूठ से भी पर्दा उठाता है, जो आतंकी घटनाओं को कश्मीरी युवाओं का सेना के प्रति आक्रोश बताते हैं. आदिल दो टूक शब्दों में कहता है कि वह भारत के 'नापाक मुशरिकों' (इस्लाम को न मानने वाले) को सबक सिखाने जा रहा है. उसका आरोप है कि भारत कश्मीर के मुसलमानों को पश्चीमी तौर तरीके से रखना चाहता है, जो कि इस्लाम के खिलाफ है. भारत कश्मीर में इस्लाम की इमारत को गिराना चाहता है, जिसे वह अपनी जान देकर रोक रहा है. वह भारत के मुसलमानों को दावत दे रहा है कि वे सब जैश में शामिल होकर गजवा-ए-हिंद (भारत पर इस्लामिक शासन की कल्पना) का हिस्सा बनें. वह भारत के मुसलमानों को नींद से जाग जाने के लिए कह रहा है. वीडियो में आदिल ये कहते हुए सुनाई देता है कि वो जैश से करीब एक साल पहले जुड़ा है. साथ ही जैश में जुड़ने के लिए उसे एक साल तक प्रतीक्षा भी करनी पड़ी है. आदिल की बातों से साफ है कि उसके अन्दर भारत और हिंदुओं के प्रति किस कदर नफरत भरी गई थी.
आदिल अहमद डार का पूरा वीडियो:
अब आदिल के घर के आसपास छिड़ा युद्ध
अब बात आदिल के घर यानी काकापोरा की. वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है, साथ ही सेना की तरफ से तलाशी अभियान जारी है. खबर ये भी है कि चूंकि काकापोरा के युवा सुरक्षा बलों को तलाशी से रोक रहे हैं और उन पर पथराव कर रहे हैं. घटना के बाद काकापोरा और आसपास के युवा आतंकी आदिल को किसी हीरो की तरफ देख रहे हैं.
हमला क्यों हुआ? कश्मीर घाटी के नेता भले वहां के आतंकवाद को अलगाववाद का परिणाम कहें, लेकिन आदिल के आत्मघाती हमले ने कई साजिशों से पर्दा हटा दिया है. जिसका कश्मीर के अलगाववाद से कोई लेना-देना नहीं है.
घटना को अंजाम देने वाले आतंकी आदिल अहमद डार की तस्वीर
आदिल के बारे में यह भी खबर है कि वह कुछ दिन पहले रत्नीपोरा एनकाउंटर में मारे गए हिजबुल कमांडर हिलाल अहमद राथर का दोस्त था. जैश को जैसे इस एनकाउंटर की खबर लगी, उसने बदला लेने के लिए आदिल को उकसाया. और फिदाइन होने की याद दिलाते हुए CRPF काफिले पर हमले के लिए तैयार किया. कश्मीर में ऑपरेट कर रहे आतंकी संगठनों की ये पुरानी रणनीति रही है, जिसमें वे युवाओं को इस्लाम का हवाला देकर आतंकी हमले करने के लिए तैयार करते हैं. यही रणनीति तालिबान, अलकायदा और ISIS भी अपनाते रहे हैं.
रत्नीपोरा एनकाउंटर में आदिल के दोस्त हिलाल की मौत की खबर 12 फरवरी को आई थी.
गौरतलब है कि सिर्फ साल 2018 में कश्मीर में तकरीबन 250 आतंकियों समेत 19 कमांडरों को मौत के घाट उतारा गया है. लेकिन इसके बावजूद जिस तरफ आए रोज़ घाटी के युवा आतंकवाद की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. जिन आतंकियों को फौज मार रही है, आतंकी संगठन उनके दोस्तों को इस्लाम की दुहाई देकर अपने दस्ते में शामिल कर रहे हैं. 11वीं पास आदिल उसका उदाहरण है. ऐसे युवाओं में बदले की आग भड़काकर पाकिस्तान में बैठे उनके आका आतंकवाद फैलाने का अपना मकसद पूरा कर रहे हैं.
ज्ञात हो कि ये कोई पहली बार नहीं है जब कश्मीर में इस तरह का हमला हुआ है और CRPF के निर्दोष जवानों को मौत के घाट उतारा गया है. ऐसा ही कुछ हम साल 2017 में भी देख चुके थे जहां जम्मू कश्मीर के त्राल के CRPF रिक्रूटमेंट हेडक्वार्टर पर हमला हुआ था जिसमें कई मासूमों की मौत हुई थी.
पुलवामा में जो ये हमला हुआ है और इस पर जो जानकारी पुलिस ने मिली है यदि उसे सही मानें तो कई गंभीर बातें निकल कर सामने आ रही हैं. बताया जा रहा है कि अलगाववाद के कारण अब घाटी के युवाओं ने अपनी पूरी रणनीति बदल ली है. साथ ही बुरहान वानी की मौत के बाद जैसे हालात बने अब वो किसी भी स्तर पर जा सकते हैं.
42 बेगुनाह CRPF जवानों की मौत को देखकर कहा यही जा सकता है कि अब घाटी में अलगाववाद नहीं, बल्कि इस्लामिक चरमपंथ अपने चरम पर आ गया है. आदिल ने भारत सरकार को मौका भी दिया है, और सबूत भी. वक़्त है सरकार का, जो इसकी जड़ अभी काट सकती है. अगर आज हम चूक गए तो फिर आने वाले वक़्त में हमारे लिए चीजों को संभालना या फिर उन्हें समेटना बहुत मुश्किल होने वाला है.
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