ग्रंथ साहब की आड़ लेकर हमला करने वालों से कोई मार्शल आर्ट कैसे मुकाबला करेगा?
पंजाब पुलिस के जवानों नेनिहंग सिखों से 'गतका' का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया है. गतका एक मार्शल आर्ट फॉर्म है जो मुख्य रूप से निहंग समुदाय के सदस्यों द्वारा किया जाता है. पुलिस ने ये फैसला इसलिए लिया क्योंकि अभी बीते दिनों अजनाला में अमृतपाल सिंह के समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसा का खूनी खेल देखने को मिला था. जहां पुलिस लाचार नजर आ रही थी.
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पंजाब के अजनाला थाने में खालिस्तानी उपदेशक अमृतपाल सिंह के समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प के कुछ दिनों बाद मुक्तसर पुलिस ने पुलिस लाइंस में 'निहंगों' से 'गतका' सीखना शुरू किया है. दरअसल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पंजाब पुलिस के एक अधिकारी को एक निहंग सिख से मार्शल आर्ट सीखते हुए देखा जा सकता है. वीडियो देखते हुए कई विचार जेहन में आते हैं और महसूस यही होता है कि जब पुलिस की लड़ाई 'धर्म' से हो फिर जब पुलिस के सामने मुकाबला करने के लिए धर्म और उसके रक्षक हों तो उस लड़ाई को लड़ने के लिए मार्शल आर्ट काम नहीं आती.
पंजाब पुलिस को सिख मार्शल आर्ट सिखाते निहंग सिख
पंजाब पुलिस की इस नयी स्किल पर अपना पक्ष रखते हुए मुक्तसर के डीएसपी ने कहा है कि क्यूआरटी और सशस्त्र पुलिस को अपना 'गतका' कौशल दिखाने के लिए दो 'निहंगों' को जिला पुलिस लाइंस में बुलाया गया था. वहीं उन्होंने ये भी बताया था कि मौके पर दंगा-रोधी ड्रिल के नामपर जो कुछ भी हुआ उसमें लगभग 250 पुलिसकर्मियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. डीएसपी के अनुसार भविष्य में भी ये सिलसिला जारी रहेगा.
After a clash between the supporters of Amritpal Singh & the police at Ajnala Police Station, The Muktsar Police started learning ‘gatka’ (Sikh martial arts skills) from ‘nihangs’ at the district Police Lines. pic.twitter.com/OxHtpjqjjK
— Gagandeep Singh (@Gagan4344) February 27, 2023
पंजाब पुलिस गतका सीख रही है इसे लेकर विभाग के आला अधिकारी भी खासे उत्साहित हैं. अफसरों का मानना है कि मुक्तसर में पुलिस वालों का गतका सीखना न केवल उन्हें एक्टिव रखेगा बल्कि क्षेत्र में किसी भी अप्रिय स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करेगा. इस तरह की कवायद समय की जरूरत है. अन्य जिलों को भी इस प्रथा का पालन करना चाहिए.
गौरतलब है कि मुक्तसर में पुलिस वालों का गतका सीखना यूं ही नहीं है. इसका एक बड़ा कारण अजनाला मामले को बताया जा रहा है. ज्ञात हो कि अभी बीते दिनों ही कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह के उन्मादी समर्थकों ने पुलिस बैरिकेड्स पर धावा बोला था और पुलिस स्टेशन पर हमला किया था.
#WATCH | Punjab: Supporters of 'Waris Punjab De' Chief Amritpal Singh break through police barricades with swords and guns outside Ajnala PS in AmritsarThey've gathered outside the PS in order to protest against the arrest of his (Amritpal Singh) close aide Lovepreet Toofan. pic.twitter.com/yhE8XkwYOO
— ANI (@ANI) February 23, 2023
मामले में दिलचस्प ये था कि जब ये हमला हो रहा था तो अमृतपाल के तमाम समर्थक ऐसे थे जिन्होंने अपने हाथों में गुरु ग्रंथ साहिब को ले रखा था. खुद सोचिये जब सामने धर्म हो तो चाहे वो पुलिस का जवान हो या फिर कोई बड़ा अफसर क्या वो इन लोगों से युद्ध कर पाएगा?
बहुत निष्पक्ष होकर यदि इस प्रश्न का उत्तर दिया जाए तो कहा यही जाएगा कि और किसी के लिए हो या न हो मगर ऐसा करना पुलिस के लिए संभव नहीं है. ऊपर अजनाला घटना का जिक्र हुआ है तो बता दें कि तब ड्यूटी पर मौजूद पुलिस को खुद को बचाने के लिए तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. अमृतपाल के समर्थक लाठी, तलवार और यहां तक कि हथियारों से लैस थे.
हम फिर इस बात को दोहराएंगे कि यदि फिटनेस तक सीमित रखना है तो पुलिसवालों को गतका सिखाने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन अगर पुलिस ये सोच रही है कि इसके दम पर वो कट्टरपंथियों या ये कहें कि खालिस्तान समर्थकों को रोक लेगी तो ये सच में बड़ा मुश्किल है.
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