Queen Elizabeth II से सबक ये है कि 'लिव लाइफ क्वीन साइज'
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को 96 साल की उम्र में निधन हो गया. वे पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रही थीं. उन्होंने शान के साथ करीब 7 दशक तक सबसे लंबे वक्त ब्रिटेन पर राज किया. 1952 में अपने पिता और ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज षष्ठम की मौत के बाद से ही एलिजाबेथ द्वितीय दुनिया के सबसे मजबूत और चर्चित राजघराने की बागडोर संभाल रही थीं.
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अक्सर लोग कहते हैं कि Live Life King Size यानी जीवन जियो तो राजा की तरह, शान से, ठाठ से...लेकिन हम क्वीन एलिजाबेथ को श्रद्धांजलि देते हुए कहते हैं कि लोग चाहें तो अब ये भी लिख-बोल सकते हैं Live Life Queen Size. यानी रानी एलिजाबेथ द्वितीय की तरह का जीवन हो, पूरी शालीनता के साथ, सम्मान के साथ, लम्बा समृद्ध जीवन. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को 96 साल की उम्र में निधन हो गया. वे पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रही थीं. शाही परिवार ने बताया था कि महारानी episodic mobility की परेशानी से जूझ रही थीं, इससे उनको खड़े होने और चलने में दिक्कत होती थी.
महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय को इसी साल फरवरी में कोरोना भी हो गया था. स्काटलैंड के बाल्मोरल कैसल (Balmoral Castle) में उन्होंने आखिरी सांस ली. उन्होंने शान के साथ करीब 7 दशक तक सबसे लंबे वक्त ब्रिटेन पर राज किया. 1952 में अपने पिता और ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज षष्ठम की मौत के बाद से ही एलिजाबेथ द्वितीय दुनिया के सबसे मजबूत और चर्चित राजघराने की बागडोर संभाल रही थीं. यहां आपको 15 नंबर से जुड़ी कुछ मनोरंजक सच्चाई बताता चलूं. 6 फरवरी 1952 से 8 सितंबर 2022 तक ब्रिटेन की क्वीन वाले अपने 70 साल 214 दिन के शासनकाल में एलिजाबेथ द्वितीय ने 15 पीएम देखे. उन्होंने अपने शासनकाल में ब्रिटेन के 14 प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा, तो 15वीं प्रधानमंत्री लिज ट्रस की नियुक्ति भी की. इसके अलावा आपको ये जानकर हैरत हो सकती है कि वे ब्रिटेन समेत 15 देशों की रानी थीं जिनमें इनमें कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे समृद्ध देश भी शामिल हैं. इन देशों की लिस्ट में पहले बारबाडोस भी शामिल था. लेकिन बारबाडोस ने नवंबर 2021 में ही महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को अपने राष्ट्र के प्रमुख के रूप में त्याग दिया था और खुद को एक नया गणतंत्र घोषित किया था.
कई अहम फैसलों से सुर्ख़ियों में रहने वाली क्वीन एलिज़ाबेथ का पूरा जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है
बारबाडोस अब कॉमनवेल्थ में एक गणतंत्र देश है. कॉमनवेल्थ 54 देशों का संगठन है जो कभी ब्रिटेन के उपनिवेश हुआ करते थे.1952 में जब एलिजाबेथ क्वीन बनी थीं तब तो वे पाकिस्तान समेत 32 देशों की रानी थीं. लेकिन बाद में देश धीरे धीरे आधे या तो गणतंत्र बन गए या किसी दूसरे शाही परिवार के शासन के अधीन चले गए. यानी हम ऐसा कह सकते हैं कि उसके बाद से नवंबर 2021 तक क्वीन एलिजाबेथ के शासन में ब्रिटेन के अलावा 15 देश हुआ करते थे. हालांकि, इन देशों के राजा के रूप में महारानी की भूमिका काफी हद तक प्रतीकात्मक थी. वे सीधे शासन में शामिल नहीं रहीं, क्योंकि वो देश की मुखिया मानी जाती थीं, उस देश के सरकार की नहीं.
अब महारानी के निधन के बाद उनके बड़े बेटे 73 वर्षीय चार्ल्स ब्रिटेन के राजा बन गए हैं. राजा बनने के बाद किंग चार्ल्स तृतीय का बयान भी आया है. शाही परिवार की तरफ से ट्वीट कर उन्होंने कहा- ‘ये मेरे और मेरे परिवार के सभी सदस्यों के लिए सबसे बड़े दुख का क्षण है. मैं जानता हूं हमारे देश, शाही परिवार के अधिकार क्षेत्र, कॉमनवेल्थ देशों और दुनियाभर में अनगिनत लोग इस नुकसान को महसूस करेंगे. दुख और बदलाव की इस घड़ी में मैं और मेरा परिवार महारानी को मिले सम्मान और स्नेह को याद करेंगे.’
महारानी के निधन के बाद ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने भी किंग चार्ल्स तृतीय को फोन किया. इसके साथ उन्होंने यूके के लोगों को इस वक्त एकजुट रहने का संदेश दिया. लिज ट्रस ने ट्वीट में लिखा – ‘महारानी की मृत्यु देश और दुनिया के लिए बहुत बड़ा सदमा है. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय वो मजबूत शिला थीं जिस पर आज के ब्रिटेन का निर्माण हुआ है. उनके शासनकाल में हमारा देश विकसित हुआ और फला-फूला.’
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी एलिजाबेथ द्वितीय को ब्रिटेन और अमेरिका के बीच साझेदारी को मजबूत करने वाला बताया. बाइडेन ने ट्वीट में लिखा- ‘उन्होंने एक युग को परिभाषित किया है. क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय बेजोड़ गरिमा और निरंतरता वाली एक राजनेता थीं, जिन्होंने यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आधारभूत गठबंधन को गहरा किया. उन्होंने हमारे रिश्ते को खास बनाने में मदद की.’संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने महारानी एलिजाबेथ को संयुक्त राष्ट्र की एक अच्छी दोस्त बताया.
गुटेरेस ने ट्वीट संदेश में लिखा- ‘यूनाइटेड किंगडम पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाले प्रमुख के रूप में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को दुनिया भर में उनकी कृपा, गरिमा और समर्पण के लिए व्यापक रूप से प्रशंसा मिली. क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय संयुक्त राष्ट्र की एक अच्छी दोस्त थीं और उन्होंने दो बार हमारे न्यूयॉर्क मुख्यालय का दौरा किया. लोगों की सेवा करने के लिए आजीवन समर्पण के लिए उन्हें याद किया जायेगा.’फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने क्वीन एलिजाबेथ को फ्रांस के एक फ्रैंड के रूप में याद करते हुए ट्वीट किया। ‘महामहिम महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 70 से अधिक वर्षों तक ब्रिटिश राष्ट्र की निरंतरता और एकता को मूर्त रूप दिया. मैं उन्हें फ्रांस की एक दोस्त, एक दयालु रानी के रूप में याद करता हूं, जिन्होंने अपने देश समेत सभी पर अपने समय में अमिट छाप छोड़ी है.’
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किए हैं. पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा- ‘महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने सार्वजनिक जीवन में गरिमा और शालीनता का परिचय दिया. उनके निधन से आहत हूं. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं.’
Her Majesty Queen Elizabeth II will be remembered as a stalwart of our times. She provided inspiring leadership to her nation and people. She personified dignity and decency in public life. Pained by her demise. My thoughts are with her family and people of UK in this sad hour.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 8, 2022
दूसरे ट्वीट में पीएम मोदी ने महारानी के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र किया- ‘2015 और 2018 में यूके की अपनी यात्राओं के दौरान मेरी महारानी एलिजाबेथ-2 के साथ यादगार मुलाकातें हुईं. मैं उनकी गर्मजोशी और दयालुता को नहीं भूलूंगा. एक बैठक के दौरान उन्होंने मुझे वो रूमाल दिखाया जो महात्मा गांधी ने उन्हें उनकी शादी में उपहार में दिया था. मैं उस अवसर को हमेशा रखूंगा.’
I had memorable meetings with Her Majesty Queen Elizabeth II during my UK visits in 2015 and 2018. I will never forget her warmth and kindness. During one of the meetings she showed me the handkerchief Mahatma Gandhi gifted her on her wedding. I will always cherish that gesture. pic.twitter.com/3aACbxhLgC
— Narendra Modi (@narendramodi) September 8, 2022
बात जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ महारानी की मुलाकात की हो गई है तो लगे हाथ क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के भारत के साथ रिश्तों की बात भी कर ली जाए. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय तीन बार 1961, 1983 और 1997 में भारत का दौरा कर चुकी हैं. लेकिन भारत के साथ उनका एक अजीब रिश्ता हमारी आजादी वाले साल से ही है. अगस्त 1947 में भारत ब्रिटेन से आजाद हुआ और नवंबर 1947 में क्वीन की शादी हुई. वे पहली बार भारत को आजादी मिलने के करीब 14 साल बाद 1961 में अपने पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के साथ भारत दौरे पर आई थीं.
ये उनका भारत का पहला शाही दौरा था. उस समय भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दिल्ली हवाईअड्डे पर शाही जोड़े का स्वागत किया था. एलिजाबेथ द्वितीय का ये दौरा करीब एक महीने का था. उन्होंने भारत प्रवास के दौरान पड़ोसी देशों पाकिस्तान और नेपाल का दौरा भी किया था. महारानी जहां भी जाती थीं, बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम उनकी एक झलक देखने के लिए सड़कों पर चला आता था.
उनके दादा किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी ने इससे पहले 1911 में भारत का दौरा किया था. एलिजाबेथ द्वितीय ने अपने पिता किंग जॉर्ज षष्ठम के निधन के बाद 6 फरवरी 1952 को क्वीन की गद्दी संभाली थी. 21 जनवरी 1961 को क्वीन पहली बार भारत आई थीं. भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय गेस्ट ऑफ ऑनर थीं. उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने क्वीन का स्वागत करने के लिए रामलीला मैदान में एक कार्यक्रम की मेजबानी भी की थी, जहां क्वीन ने भाषण भी दिया था.
उन्होंने अपने संबोधन में बेहतरीन मेहमाननवाजी के लिए भारत का आभार जताया था. इस दौरान दिल्ली कॉरपोरेशन ने उन्हें हाथी के दांतों से बनी कुतुब मीनार का दो फीट लंबा मॉडल भेंट दिया था. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 27 जनवरी 1961 को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी AIIMS की इमारतों का उद्घाटन भी किया था, जहां उन्होंने परिसर में कुछ पौधे भी लगाए थे.गणतंत्र दिवस परेड से पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और ड्यूक फिलिप ने जयपुर का दौरा भी किया था, जहां उनका शाही स्वागत किया गया. उस समय उन्होंने महाराजा पैलेस के आंगन में जयपुर के महाराजा संवाई मान सिंह द्वितीय के साथ हाथी की सवारी भी की थी.
गणतंत्र दिवस की परेड के बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय आगरा के लिए रवाना हो गई थीं, जहां खुली जीप में सवार होकर उन्होंने ताजमहल तक का सफर किया. इस दौरान उन्होंने सड़कों पर उमड़े हजारों लोगों को हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया था. इसके बाद वे पाकिस्तान के कराची रवाना हो गईं. पाकिस्तान में पंद्रह दिन बिताने के बाद वे फिर भारत लौटीं और दुर्गापुर स्टील प्लांट का दौरा किया. इस प्लांट को ब्रिटेन की मदद से ही तैयार किया गया था. क्वीन ने वहां प्लांट के कर्मचारियों से मुलाकात की थी.
इसके बाद वे कलकत्ता के लिए रवाना हो गई थीं. कलकत्ता में उनका जोरदार स्वागत हुआ. हवाईअड्डे से लेकर राजभवन तक के रास्ते में लोगों की भीड़ उनकी एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ी थी. कलकत्ता प्रवास के दौरान शाही दंपति ने विक्टोरिया मेमोरियल का भी दौरा किया, जिसे लॉर्ड कर्जन ने तैयार किया था. कलकत्ता के बाद शाही अतिथि बेंगलुरु पहुंचे थे जहां मैसूर के महाराजा और बेंगलुरु के मेयर ने उनका स्वागत किया था. वहां उन्होंने बॉटेनिकल गार्डन, लाल बाग में पौधे भी लगाए थे. महारानी अपने दौरे के अंतिम चरण में बॉम्बे और फिर बनारस भी गईं. बनारस में उन्होंने गंगा घाट पर नाव की सवारी भी की.
7 नवंबर 1983 में महारानी ने राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत की यात्रा की थी. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की थी और बाद में मदर टेरेसा से भी मिलीं. महारानी ने मदर टेरेसा को ऑर्डर ऑफ द मेरिट की मानद उपाधि से नवाजा था.13 अक्टूबर 1997 को महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय अपने पति ड्यूक फिलिप के साथ तीसरी और अंतिम बार भारत आई थीं. राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने राष्ट्रपति भवन में उनका स्वागत किया.
महारानी ने इस दौरान भारत में मिली गर्मजोशी और स्वागत की खूब तारीफ भी की थी. उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था- ‘भारतीयों की गर्मजोशी और आतिथ्य भाव के अलावा भारत की समृद्धि और विविधता हम सभी के लिए एक प्रेरणा रही है.’ भारत की उनकी ये अंतिम यात्रा देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुई थी. इस दौरान उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के ‘कठोर दौर’ का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था, ‘ये कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठोर घटनाएं हुई हैं. जलियांवाला बाग एक दुखद उदाहरण है.’
महारानी और उनके पति ने बाद में अमृतसर के जलियांवाला बाग का दौरा भी किया था और शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की थी. क्वीन के निधन पर हम उन्हें फिर से उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं.
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