बंगला छिन जाना राहुल के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है, कहीं भी बना सकते हैं आशियाना
सूरत की सेशन कोर्ट से आए फैसले के बाद राहुल गांधी के सामने चुनौतियों का पहाड़ है. अब जबकि उनका बंगला भी छिन गया है तो तमाम लोग हैं जो बेचैन हो उठे हैं और तरह तरह की बातें कर रहे हैं. सवाल ये है कि क्या घर का न होना वाक़ई राहुल के लिए परेशानी का कारण है?
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2019 में संसदीय चुनाव का नामांकन पत्र दाखिल करते हुए राहुल गांधी ने बताया था कि उनके पास अपनी 14.85 करोड़ की संपत्ति है. इसके अतिरिक्त जितना मैं जानती हूं देश के कई ज़िलों में विशाल कांग्रेस ऑफिस परिसर है. मेरे गृह ज़िले सहरसा वाले कांग्रेस ऑफ़िस में बचपन में मैं खेलती रही हूं.
राहुल गांधी से बंगला ज़रूर ख़ाली करवाया जा रहा है. इसके बाद भी राहुल देश की पंचानबे प्रतिशत जनसंख्या से अधिक अमीर हैं.
'ही कैन ऑफ़ोर्ड अ हाउस ऑफ़ हिज ओन!'
संसद से सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी का बंगला क्या गया सोशल मीडिया पर लोगों का एक अलग ही पक्ष देखने को मिल रहा है
मुझे कई घंटों से ट्विटर वालों की यह बात नहीं समझ आ रही है कि क्यों वे राहुल को अपना घर दिए पड़े हैं. जबकि 10 जनपथ पर उनकी मां सोनिया रहती हैं. ठीक बग़ल में 24 अकबर रोड पर कांग्रेस का मुख्यालय है. राहुल कहीं भी जाकर रह सकते हैं.
लिफ़ाफ़ी समर्थक अपना घर देने की जगह मन/वोट दें तो राहुल को अधिक बल मिलेगा. पर कांग्रेस की दिक़्क़त ही यही है, उसके पास मन और वोट देने वाले लोग कम और घर देने की बात करने वाले अधिक लोग हैं.
राहुल का साथ टहनियों और पत्तियों पर लटककर नहीं दिया जा सकता है. जड़ सम्भाल कर ही लड़ा जा सकता है भाजपा से… काश यह बात विपक्ष के साथ खड़े तमाम लोग समझते!(मेरे पास किसी नेता को देने के लिए घर नहीं है)
(वित्तीय वर्ष 2021-22 के अनुसार देश में केवल 1,31,390 लोगों की कुल संपत्ति एक करोड़ से ऊपर है)
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