राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' पर भाजपा की बौखलाहट स्वाभाविक है!
एक दौर था जब नरेन्द्र मोदी को सबसे ज्यादा टारगेट किया जाता था.उनकी आलोचना की जाती थी. केन्द्र की सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने जिस नेता को सबसे ज्यादा टारगेट किया है, जिस पर सबसे ज्यादा हमले किये गए हैं, वो नेता कोई और नहीं राहुल गांधी ही हैं.
-
Total Shares
चल पड़े जिधर दो डग, बढ़ गये कोटि पग उसी ओर
पड़ गई जिधर दो दृष्टि, गड़ गये कोटि दृग उसी ओर
सोहन लाल द्विवेदी की ये पंक्तियां मैंने आपको पढ़कर सुनाई हैं और इसका संदर्भ राहुल गांधी से है. राहुल गांधी पैदल यात्रा कर रहे हैं. 3570 किलोमीटर की ये यात्रा है. हर दिन तकरीबन 25 किलोमीटर पैदल चलना है. यात्रा की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वो राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' से बढ़कर है. सबकी नजरें उनपर हैं और कांग्रेस के लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती है कि बीजेपी लगातार इस यात्रा को लेकर बात कर रही है, ट्विट कर रही है. भले वो राहुल गांधी पर निशाना ही साध रही हो इस यात्रा के जरिए, लेकिन बात तो कर रही है. 'भारत जोड़ो यात्रा' में सिर्फ राहुल गांधी नजर नहीं आ रहे हैं बल्कि उनके साथ एक पूरा भारत चलता नजर आ रहा है. युवाओं की टोली नजर आ रही है, ऐसा लगता है राहुल गांधी सड़क पर क्या उतरे विरोधियों ने अपने सर सारा आसमान उठा रखा है. बीजेपी लगातार राहुल गांधी पर हमले कर रही है लेकिन राहुल बेखौफ चले जा रहे हैं, जैसे उन्होंने विरोधियों के विरोध को भी अपना लिया है. वो नफरत को हराने की बात कर रहे हैं. राहुल गांधी की पदयात्रा की खास बात ये है कि जहां -जहां पदयात्रा जा रही है वहां की मिट्टी और वहां का पानी जमा किया जा रहा है. जहां राहुल गांधी पदयात्रा लेकर नहीं जा रहे हैं वहां से कार्यकर्ता मिट्टी और पानी लेकर आ रहे हैं. यूं समझ लीजिए कि कश्मीर जाते-जाते पूरे देश की मिट्टी और पानी एक हो जाएगी.
अपनी भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी का आम लोगों से मिलना सत्तापक्ष के बीच खलबली पैदा करता नजर आ ररः है
राहुल गांधी के इस यात्रा का यही सार है. राहुल गांधी की ये यात्रा प्रतिकात्मक रूप से देश को एकजुट करने का संदेश है. यात्रा शुरु करने से पहले खुद राहुल कह चुके हैं कि हमारी लड़ाई बीजेपी से नहीं विचारधारा को लेकर है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा विभिन्न इलाकों और कई मौसम के उतार-चढ़ाव से होकर गुजरेगी. राहुल गांधी ने 7 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की है. भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बीजेपी लगातार राहुल गांधी पर हमला कर रही है.
हाल ही में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल, भारत को जोड़ने चले हैं, अगर कन्याकुमारी ये यात्रा शुरु की तो इतनी निर्लज्जता तो न दिखाते, कम से कम स्वामी विवेकानंद को प्रणाम करके तो बताते स्मृति ईरानी राहुल गांधी पर बोलते हुए ये भी भूल जाती हैं कि बोलते हुए किन शब्दों का प्रयोग कर रही हैं.स्मृति ईरानी के दावों में जरा भी सच्चाई नहीं है क्योंकि हकीकत ये है कि राहुल गांधी ने स्वामी विवेकानंद जी के स्मारक पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया था.
राहुल गांधी की छवि एक सौम्य नेता की है. वो बोलते हुए भी शब्दों का ख्याल रखते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी नेताओं ने सोच लिया है कि राहुल गांधी पर लगातार हमला करना है, भले ही तथ्य कुछ और हो, मुद्दा कोई और हो. लोकसभा चुनाव में करीब डेढ़ साल का समय बचा है, सब कोई अपने तरीके- से चुनाव की तैयारी में लगा हुआ है. नीतीश कुमार भी दिल्ली दौरा कर चुके हैं, राहुल गांधी से भी मिल चुके हैं. सभी अपनी तरफ से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं.
भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल उठाने वाली बीजेपी खुद चुनाव की तैयारियों में लग चुकी है. सवाल, चुनावी तैयारियों को लेकर नहीं है. सवाल, राहुल गांधी को लेकर है. राहुल गांधी की ये यात्रा सबको खटक रही है,खासकर बीजेपी को.राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप चलता रहता है. एक पार्टी दूसरी पार्टी का विरोध करती है, ये आम बात है. लेकिन विरोध किस तरह से किया जा रहा है ? ये मायने रखता है. फिलहाल कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के बीच एक ऐसा ट्वीट किया है जिसे लेकर सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है.
कांग्रेस ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए पोस्ट में RSS की ड्रेस में आग लगी तस्वीर शेयर की है. इस तस्वीर के जरिए कांग्रेस ने आरएसएस-बीजेपी पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने ट्विटर पर तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा,'देश को नफरत के माहौल से मुक्त करने और आरएसएस–बीजेपी द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई को पूरा करने के लक्ष्य की दिशा में हम एक–एक कदम बढ़ा रहे हैं.'
तस्वीर में आरएसएस की ड्रेस में नीचे आग जलती दिखाई दे रही है और धुंआ भी उठ रहा है. तस्वीर पर लिखा है 145 days more to go. कांग्रेस के ट्विट के बाद बीजेपी आगबबूला हो गई है. बीजेपी की तरफ से संबित पात्रा ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी से मैं अपील करता हूं कि तुरंत इस ट्विट को डिलीट करे. कांग्रेस भारत को तोड़ने का काम कर रही है. संबित पात्रा ने कांग्रेस को देशभक्ति भी बताई साथ ही ये भी बताया कि ये वो पार्टी है जो टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ है और भारत माता का अपमान करती है.
बहरहाल हम यहां कांग्रेस की इस यात्रा की बात कर रहे हैं. राहुल गांधी की इस यात्रा में में जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उसमें एक अलग ही राहुल गांधी दिख रहे हैं. लोगों से मिलते हुए राहुल गांधी इतने सहज लग रहे हैं कि विरोधी असहज महसूस करने लगे हैं. अपनी यात्रा में वो छात्रों से भी मिल रहे हैं. महिलाओं से भी मिल रहे हैं. ये यात्रा तमिलनाडु से शुरू होकर केरल, कर्नाटक होती हुई जम्मू-कश्मीर तक जाएगी.इस यात्रा के दौरान तमिलनाडु में एक ऐसा वाक्या हुआ, जिसकी उम्मीद किसी ने भी नहीं की थी.
दरअसल, इस यात्रा के तीसरे दिन राहुल गांधी मार्थन्डम में मनरेगा वर्करों से मिल रहे थे.इसमें महिला वर्कर भी थीं. इस दौरान राहुल गांधी से एक महिला ने ऐसा सवाल किया जिस पर राहुल मुस्कुराने लगे. राहुल गांधी जब मनरेगा वर्करों से बातचीत कर रहे थे, तब एक महिला ने राहुल गांधी की शादी की बात कर दी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ट्विटर पर इसकी चर्चा की है. तस्वीरों में राहुल गांधी कुछ महिलाओं के साथ बात करते हुए दिख रहे हैं.
कई तस्वीरों में देखा गया है कि राहुल गांधी के साथ छोटे-छोटे बच्चे तिरंग लेकर चल रहे हैं.रास्ते में राहुल सभी तरह के लोगों से राहुल मिल रहे हैं. क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग. भारत जोड़ो यात्रा को राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में एक बड़ा टर्निंग प्वांइट बताया जा रहा है. जिस तरह से राहुल गांधी को लोगों का सपोर्ट मिल रहा है,लोगों का साथ मिल रहा है और जिस तरह से समर्पित कार्यकर्ता उनके साथ जुड़ते जा रहे हैं वो कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं. कैप्टन सत्यम ठाकुर अमेरिका में पायलट थे.
उन्होंने यात्रा से जुड़ने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और भारत वापस आकर कांग्रेस में शामिल हो गए. भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए कितने दिनों तक उन्होंने ट्रेनिंग की है. तेलंगाना की कार्तिका इस यात्रा में शामिल हैं. इसी तरह हरियाणा के दिनेश पंडित हैं. दिनेश, जींद के रहने वाले हैं. उनका परिवार कांग्रेस का कट्टर समर्थक है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच ऐसा उत्साह बड़े दिनों बाद देखने को मिल रहा है...ऐसा लगता है कि राहुल गांधी के रूप में उन्हें एक नई उम्मीद दिखाई दी है.
जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी के इस यात्रा में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं भारत के हर वर्ग के लोग, हर धर्म के लोग जुड़ते जा रहे हैं. वैसे भी महंगाई,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का कोई धर्म नहीं होता, कोई जात नहीं होती ..जो लोग इनसे परेशान हैं, त्रस्त हैं, वो सभी राहुल गांधी के साथ जुड़ते चले जा रहे हैं. ये यात्रा उन लोगों को डरा भी रही है जो भारत को सिर्फ मुट्ठी भर की आबादी का देश समझते हैं, राहुल गांधी की ये यात्रा उन्हें भी डरा रही है जो सिर्फ कोई खास रंग पहचानते हैं, नफरत फैलाना जानते हैं.
लेकिन उन लोगों को राहुल, हौसला भी दे रहे हैं जो भारत की बहुसंख्य आबादी को मानते हैं, जो भारत की विविधता का सम्मान करते हैं और जो एक रंग नहीं, सभी रंगों से मुहब्बत करते हैं. देश में कितनी यात्राएं हुई हैं लेकिन भारत जोड़ो यात्रा इस मायने में अलग है क्योंकि इसमें कोई हुड़दंग नहीं..डीजे का शोर नहीं, एक शांति है.. एक अहसास है बदलाव का, नए भारत के निर्माण का. तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने राहुल को झंडा सौंपा है.
जो लोग सोच रहे हैं कि ये यात्रा सिर्फ राहुल गांधी की है या सिर्फ कांग्रेस की है वो या तो बेवकूफ हैं या फिर नादान ..आप पिछले 10 साल का भारत का इतिहास उठा कर देख लीजिए क्या कोई यात्रा नफ़रत और सम्प्रदायिकता के विरुद्ध निकाली गई है, क्या कोई यात्रा देश को एक करने के लिए निकाली गई है. भारत में यात्रा के जरिए कई राजनीतिक आंदोलन सफल हुए हैं.गांधी जी की यात्राएं आज की राजनीति से अलग थी. लेकिन आडवाणी की यात्रा, चंद्रशेखर की यात्रा, मुरली मनोहर जोशी की यात्रा को राजनीतिक रूप से सफल जरूर कहा जा सकता है.
मौजूदा दौर में अखिलेश यादव ने भी यात्रा निकली थी, वाईस जगमोहन रेड्डी को यूं ही नहीं सत्ता मिल गई. उन्होंने भी लोगों के बीच जानें का फैसला किया था. राहुल गांधी, भारत जोड़ो यात्रा से कितने सफल होंगे ये तो समय ही बतलाएगा लेकिन इतना साफ है कि कांग्रेस में एक बड़ा और व्यापक बदलाव जरूर देखने को मिल सकता है. लगातार चुनावी हार से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के टूटे मन को जोड़ने में यात्रा कारगर साबित हो सकती है.
अगर ऐसा होता है तो यकिन मानिए कांग्रेस से ज्यादा इस देश पर राहुल गांधी का उपकार होगा. क्योंकि लोकतंत्र में विपक्ष का नहीं होने का मतलब है, लोकतंत्र का नहीं होना. और राष्ट्रीय स्तर पर आज भी अगर विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के जैसी स्वीकार्यता शायद ही किसी पार्टी में देखने को मिले. देश में अगर सरकार या सत्ता पक्ष के विरोध की बात आती है तो सबसे पहला चेहरा राहुल गांधी का ही आता है. वो लगातार मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ बोल रहे हैं, लड़ रहे हैं.
इस बीच उनपर ईडी की कार्रवाई होती है, कई घंटे बैठाकर उनसे सवाल किया जाता है और बाहर आने के बाद उनका तेवर पहले जैसा ही दिखता है. केन्द्र सरकार के खिलाफ कोई नरमी नहीं वो लगातारि मोदी सरकार के खिलाफ बोले जा रहे हैं. ये भी सच है कि अपनी साफगोई और बेबाकी से कई बार राहुल गांधी ने मोदी सरकार को संकट में डाला है. भले बीजेपी के नेता उन्हें पप्पू कहकर उनका मजाक उड़ाते हों, सोशल मीडिया पर आईटी सेल के जरिए उन्हें हमेशा ट्रॉल किया जाता हो.
परिवार वाद के नाम पर राहुल से ज्यादा हमले संभवत: किसी नेता पर देखने को नहीं मिलते हैं. भारत की सियासी पार्टियों का डेटा निकाला जाए तो तकरीबन सभी पार्टियां परिवारवाद को बढ़ावा दे रही हैं. एक दौर था जब नरेन्द्र मोदी को सबसे ज्यादा टारगेट किया जाता था.उनकी आलोचना की जाती थी. केन्द्र की सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने जिस नेता को सबसे ज्यादा टारगेट किया है, जिस पर सबसे ज्यादा हमले किये गए हैं, वो नेता कोई और नहीं राहुल गांधी ही हैं.
आपकी राय