जब बात देश की हो तब तो अपनी गंदी राजनीति मत कीजिए..
कोई दलाली की बात कर रहा है तो कोई मूल में खोट की! अगर पतन का स्तर यही रहा तो लगता है अगला अध्याय गाली गलौज ही प्रतीत हो रहा है. और जब राजनीति का स्तर इतना निम्न हो तो फिर राष्ट्र की कौन सोचता है.
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29 सितम्बर को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पूरा देश एक साथ खड़ा हो गया. चाहे वामपंथी हों, दक्षिण पंथी या मुख्य धारा के दल, सभी ने इसका समर्थन किया. कुछ ही दिन बीते और लगता है लगभग हर दल इसपर राजनीतिक रोटी सेंकने में लगी है.
बीजेपी ने सर्जिकल स्ट्राइक को चुनावी हथियार बनाना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर पीओके में सर्जिकल स्ट्राईक पर भारतीय सेना और भारतीय सरकार को बधाई देते हुए पोस्टर और होर्डिंग लगाए गए हैं. ऑपरेशन सेना ने किया था पर इन पोस्टरों में सैनिको के बजाए भाजपा नेताओं को बधाई दिया गया.
खबर आई की प्रधानमंत्री मोदी ने निर्देश दिए हैं कि पाकिस्तान और सर्जिकल स्ट्राइक पर सेना ही बोले. इसके बावजूद रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर भाजपा की एक रैली में इस पर खुल कर बोले. लगता है कि बीजेपी सर्जिकल स्ट्राइक के सहारे यूपी एवं पंजाब की चुनावी वैतरणी पार करने के मूड में है.
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की. लेकिन साथ ही इसके सबूत दिखाने को भी कहा. अपने इस बयान के कुछ घंटो बाद ही वो पाकिस्तान में ट्रेंड करने लगे. पाकिस्तान के कई यूजर्स ने केजरीवाल को हीरो बताते हुए ट्विट किए और केजरीवाल की सर्जिकल स्ट्राइक के सबूतों की मांग को जायज ठहराया.
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कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने सर्जिकल स्ट्राइक को 'फर्जी' करार दिया तो पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि भारतीय सेना ने पहले भी नियंत्रण रेखा पार करके सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. कांग्रेस पार्टी ने भी प्रधान मंत्री से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत दिखाने की मांग की.
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी. लेकिन फिर उन्होंने नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला किया और प्रधानमंत्री पर जवानों के खून की दलाली करने का आरोप लगाया. राहुल गांधी के 'खून की दलाली' वाले बयान पर जवाब देने अमित शाह खुद मैदान में आ गए. कहा- कांग्रेस उपाध्यक्ष का ये बयान सेना और देश की जनता का अपमान है और दलाली तो कांग्रेस के मूल में है. वो यहां तक कह गए कि लगता है कि राहुल के मूल में ही खोट है.
बस देखते जाइए, राजनीति और कितने नीचे जाएगी... |
इसके जबाब में कपिल सिब्बल मैदान में आये एवं कहा कि जिन्होंने जेल की हवा खाई है वो आज हमें बताएंगे कि किसके मूल में खोट है. जो एक्स्टर्न हुए हों, तड़ीपार हुए हों, वो हमें बताएंगे कि किसके मूल में खोट है, जिनके खिलाफ मर्ड़र के मुकदमें हों वो आज हमें बताएंगे कि राहुल गांधी जी के मूल में खोट है. सिब्बल ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि 'जैश ए मोहम्मद को तो भाजपा ने ही खड़ा किया. कौन थे जो मसूद अजहर को कंधार छोड़कर आए थे. इनके विदेशमंत्री तो मसूद अजहर को छोड़ने कंधार गए थे'.
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अब जबाब देने की बारी भाजपा की थी. केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल ने जिस तरह भाजपा को जैश-ए-मोहम्मद का जनक बताया है, उनके इस बयान से सबसे ज्यादा खुश पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई होगी. फिर बोले की, कांग्रेस की 'राहुलभक्ति' आज देशभक्ति पर भारी पड़ गई है. उन्होंने कहा, 'अगर राहुल गांधी की टिप्पणी शर्मिंदगी थी, तो कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस शर्मिंदगी की पराकाष्ठा है'. उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल ने जिस तरह की शब्दावली का इस्तेमाल किया, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर जैसे व्यक्तिगत आरोप लगाए, उनका जवाब देना जरूरी था.
देशहित से जुड़े मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और सभी राजनीति दलों को मिलकर आतंकवाद का विरोध करना चाहिए. ये तो आदर्श स्थिति है. सभी पार्टिया कहती हैं की वो तो इस धर्म का पालन करती हैं पर विपक्षी नहीं. दुर्भाग्य से आज ऐसा प्रतीत हो रहा है की न केवल राष्ट्र हित के मुद्दे पर राजनीति हो रही है बल्कि इस राजनीति का स्तर भी गर्त को छू रहा है .
राहुल गांधी प्रधानमंत्री को जवानों के खून के दलाल कह रहे हैं तो अमित शाह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मूल में खोट देखते हैं. और इसके जबाब में कांग्रेस सत्ताधारी भाजपा के अध्यक्ष को तड़ीपार और मर्ड़र के मुकदमें झेलने वाला बता रही हैं. अगर पतन का स्तर यही रहा तो लगता है अगला अध्याय गाली गलौज ही प्रतीत हो रहा है. और जब राजनीति का स्तर इतना निम्न हो तो फिर राष्ट्र की कौन सोचता है.
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