जब राहुल बोले, दीपू तुमको बेटा मुबारक, कब देखूं....
बड़ी तेजी से बदल रहा है राहुल गांधी का अंदाज. जहां पहले सदन से निकलते ही मोबाइल में बिजी हो गाड़ी में बैठकर निकल जाने वाले राहुल अब अपनी टीम के साथ घुलमिल रहे हैं...मौका कुछ भी हो...
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सालों से लंबित पड़ा जीएसटी बिल पारित हुआ, तो संसद के 4 नंबर गेट से निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मीडिया से मुखातिब हुए और साफ़ कहा कि 18 फीसद कैप के मामले पर सरकार ने नहीं सुनी, हम आगे लड़ेंगे. इसके बाद सियासी खींचतान ख़त्म होने को थी, लेकिन राहुल अचानक अपनी एसपीजी की गाड़ी में बैठने वाले थे कि, पार्टी के युवा एमपी आये और बोले आपसे बात करनी है. फिर क्या था, राहुल बदले से नज़र आये, अपनी गाड़ी छोड़ दी और पैदल निकल पड़े अपने नौजवान सांसदो के साथ.
गंभीर बातचीत में दीपू का बेटा बना हीरो
जीएसटी बिल के बाद बाहर निकले राहुल अपने करीबी सांसदों के साथ थे, मज़ाक और मूड शानदार था. राहुल के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजीव सातव, केसी वेणुगोपाल और दीपेंद्र हुड्डा थे. अचानक वेणुगोपाल ने राहुल से कहा कि, जीएसटी औए दीपू (दीपेंद्र हुड्डा) ने कमाल कर दिया. चौंकते हुए राहुल ने पूछा कि, क्या हुआ? बताया गया कि, दीपू पापा बन गए अभी कुछ देर पहले.
राहुल ने की दीपू से गुज़ारिश, बेटे से मिलाओ
जैसे ही राहुल को मालूम हुआ कि, दीपू पापा बन गए, राहुल ने कहा कि, दीपू मिठाई तो खिलाओ. शरमाते हुए दीपू ने कहा कि, कभी भी. लेकिन मज़ाकिया अंदाज़ सिंधिया का सामने आया. उन्होंने सीधे बोला कि, हम सबको कब बुलाओगे. तभी राहुल बोल पड़े कि, बताओ दीपू बेबी को देखने कब आ जाऊं?
राहुल गांधी |
वेणुगोपाल के मज़ाक पर हंसे राहुल
ये सब चल ही रहा था कि राहुल के करीबी एमपी वेणुगोपाल ने कहा, राहुल जी आप अकेले क्यों जायेंगे, पार्टी की तरफ से व्हिप जारी कर देते हैं, सभी सांसद आएंगे. मज़ेदार बात ये थी कि, ये दीपू सुन नहीं पाये. पूछा क्या कहा जवाब? जानते ही दीपू ने राहुल से कहा कि, आईडिया ठीक है आप सब आईये.
राहुल ने टाइमिंग की ली जानकारी
जब राहुल को पता चला कि, दीपू पापा बन गए तो राहुल ने पुछा कि, बेबी कब पैदा हुआ? दीपू ने कहा कि, 7 बजे. राहुल ने पूछा सुबह? तो दीपू ने कहा कि, नहीं तो क्या, शाम को कब लोकसभा में जीएसटी पास हो रहा था. सभी हंस पड़े.
राहुल के नए अंदाज़ ने किया हैरान
जो राहुल, संसद ख़त्म होते ही मोबाइल पर बिज़ी होकर गाड़ी में बैठकर निकल जाते थे, वो अपनी गाड़ी छोड़कर पैदल अपने युवा सांसदों के साथ संसद में पैदल निकल पड़े और मीडिया से भी मुखातिब हुए. लेकिन व्यक्तिगत तौर पर दीपेंद्र हुडा के बेटे के जन्म की ख़ुशी सबसे बांटने के साथ राहुल ने कोशिश की कि टीम राहुल के अगुवा बनने के लिए वो हर क़दम उठाने को तैयार हैं.
वैसे ये अंदाज़-ए-राहुल है. जो विपक्ष में हैं, वर्ना पहले तो अंदाज़ वो था जब राहुल के पास किसी के लिए वक़्त नहीं था. फिर चाहे वो बड़ा नेता हो या एमपी. वैसे सत्ता से दूरी काफी कुछ सिखाती है, शायद राहुल अब वही सीख रहे हैं.
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