क्या राहुल गांधी 'किक' फिल्म के सलमान खान बनने की चाहत रखते हैं?
भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से सवाल पूछा गया कि इस यात्रा से आपको क्या मिला है? जिसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि 'राहुल गांधी को मैंने बहुत सालों पहले छोड़ दिया है. राहुल गांधी आपके दिमाग में है, मेरे दिमाग में है ही नहीं. समझने की कोशिश करो, ये हमारे देश की फिलॉसफी है.' क्या इस जवाब का संबंध सवाल से जोड़ा जा सकता है.
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनमें कई तरीके के बदलाव यानी ट्रांसफॉर्मेशन आए हैं. हाल ही में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा कि 'इस यात्रा ने उन्हें धैर्य रखना सिखाया है.' वैसे, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का असल उद्देश्य क्या है? ये कोई यक्ष प्रश्न नहीं है. सभी जानते हैं कि 2014 के बाद से ही लगातार कमजोर पड़ रही कांग्रेस के लिए एक ठोस राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाली जा रही है. लेकिन, राहुल गांधी को ऐसा लगता है कि उनकी इस सियासी मंशा को कोई समझ ही नहीं रहा है.
2014 में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की एक फिल्म आई थी 'किक.' उस फिल्म के अंत में सलमान खान डायलॉग मारते हैं कि 'मेरे बारे में इतना मत सोचना, मैं दिल में आता हूं. समझ में नहीं.' ऐसा लगता है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी ऐसी ही किसी फिलॉसफी को फॉलो करते हैं. ऐसा कहने की वजह भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से पूछा गया एक सवाल है. दरअसल, राहुल गांधी से पूछा गया था कि इस यात्रा से आपको क्या मिला है? जिसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि 'राहुल गांधी को मैंने बहुत सालों पहले छोड़ दिया है. राहुल गांधी आपके दिमाग में है, मेरे दिमाग में है ही नहीं. समझने की कोशिश करो, ये हमारे देश की फिलॉसफी है.'
कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि राहुल गांधी का अपने बयानों पर कोई कंट्रोल है ही नहीं.
किसी कांग्रेसी नेता या कार्यकर्ता के अलावा शायद ही कोई अन्य शख्स इस जवाब का पूछे गए सवाल से संबंध स्थापित कर सकता है. कुछ दिनों पहले तक भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी 70 के दशक वाले एंग्री यंग मैन के अवतार में नजर आ रहे थे. भाजपा-आरएसएस से लेकर वीर सावरकर तक पर राहुल गांधी की आक्रामकता देखने लायक थी. लेकिन, जब से भारत जोड़ो यात्रा ने मध्य प्रदेश में प्रवेश किया है. राहुल गांधी का एक अलग ही अवतार सबके सामने नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश में हिंदू या हिंदुत्व की परिभाषा बताने की जगह राहुल गांधी अपने धैर्य की तारीफों के पुल बांध रहे हैं.
मतलब कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि राहुल गांधी का अपने बयानों पर कोई कंट्रोल है ही नहीं. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के जरिये अपनी पुरानी छवि को पीछे छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, इस तरह की फिलॉसफी के बलबूते अगर वो ऐसा सोच रहे हैं. तो, उन्हें समझना चाहिए कि जिस तरह से राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके इस जवाब पर केवल एक आदमी ने ताली बजाई थी. तो, उनकी भारत जोड़ो यात्रा का असर भी जनता पर इसी अनुपात में होगा. आसान शब्दों में कहें, तो राहुल गांधी की योजना तो बहुत अच्छी है. लेकिन, वो इसे सही तरीके से एग्जीक्यूट करने में कामयाब नहीं हो पा रहे है.
वैसे, मुझे इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होगा कि मेरे पास इतना दिमाग नहीं है कि मैं राहुल गांधी की कही इस बात का मतलब समझ सकूं. और, संभव है कि मेरी राजनीतिक समझ अपरिपक्व हो. लेकिन, राहुल गांधी के बयानों से नहीं लगता है कि वो राजनीति को लेकर गंभीर हैं. क्योंकि, ऐसे तर्क और जवाब शायद ही किसी गंभीर व्यक्ति से सुनने को मिलेंगे. खैर, हो सकता है कि राहुल गांधी 'किक' फिल्म के सलमान खान बनने की चाहत रखते हैं. जो दिल में तो आते हैं. लेकिन, समझ में नहीं.
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