टीम इंडिया के हेड कोच की जवाबदेही तय है, कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कुछ सुना क्या?
माना जा रहा है कि बीसीसीआई (BCCI) ने टीम इंडिया के हेड कोच के लिए राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) का नाम तय कर लिया है. ठीक इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President) पद के लिए अगले साल चुनाव होने हैं. लेकिन, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का नाम अभी से तय है. लेकिन, राहुल द्रविड़ और राहुल गांधी के बीच जिम्मेदारियां लेने को लेकर भारी अंतर है.
-
Total Shares
आगामी टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) के बाद टीम इंडिया (Team India) के हेड कोच रवि शास्त्री का कार्यकाल खत्म हो रहा है. जिसे देखते हुए बीसीसीआई (BCCI) ने नए हेड कोच समेत सपोर्टिंग स्टाफ के पदों के लिए आवेदन मंगाए हैं. अब तक सामने आई कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि टीम इंडिया के हेड कोच (Team India Coach) के लिए राहुल द्रविड़ का नाम तय किया जा चुका है. और, टीम इंडिया के हेड कोच के लिए आवेदन मंगाकर बीसीसीआई केवल खानापूर्ति कर रही है. कहा जा रहा है कि टीम इंडिया (Team India) का कोच बनाने के लिए बीसीसीआई चीफ सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने बड़ी मिन्नतें कर राहुल द्रविड़ को इस पोस्ट के लिए राजी किया है. बीसीसीआई ने हेड कोच के लिए जो विज्ञापन दिया है, उसमें तमाम जिम्मेदारियां निभाने की शर्तें रखी हैं. माना जा सकता है कि इन जिम्मेदारियों को निभाने की राहुल द्रविड़ पुरजोर कोशिश करेंगे.
बीसीसीआई को राहुल द्रविड़ और कांग्रेस को राहुल गांधी पर भरोसा है.
वैसे, देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस में भी इन दिनों पार्टी अध्यक्ष पद को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. हाल ही में हुई कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति (CWC) की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का ही नाम एक बार फिर से सामने आया है. जैसे, बीसीसीआई ने टीम इंडिया के हेड कोच के लिए राहुल द्रविड़ का नाम तय कर लिया है. ठीक इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President) पद के लिए अगले साल चुनाव होने हैं. लेकिन, राहुल गांधी का नाम अभी से तय है. लेकिन, राहुल द्रविड़ और राहुल गांधी के बीच जिम्मेदारियां लेने को लेकर भारी अंतर है. आइए देखते हैं कि टीम इंडिया के कोच के लिए बीसीसीआई की शर्तों और कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से कितनी समानता है? और, राहुल गांधी कहां तक इन शर्तों को पूरा करते हैं?
बीसीसीआई की शर्तें
बीसीसीआई ने हेड कोच पद के लिए जो जिम्मेदारियां और शर्तें तय की हैं, राहुल द्रविड़ उन्हें निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आते हैं. आइए एक नजर में देखते हैं कि बीसीसीआई ने हेड कोच के लिए क्या जिम्मेदारियां और शर्तें तय की हैं...
-
टीम इंडिया के हेड कोच के सफल उम्मीदवार एक ऐसी विश्वस्तरीय भारतीय क्रिकेट टीम बनाने के लिए जिम्मेदार होगा, जो देश-विदेश की सभी परिस्थितियों और क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स में नतीजे देने के लिए तैयार होगी. साथ ही खेल के प्रति अपनी समर्पण भावना के जरिये वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरणा देगा.
-
क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट्स में टीम इंडिया के प्रदर्शन और प्रबंधन को लेकर पूरी जिम्मेदारी हेड कोच की होगी.
-
टीम इंडिया के हेड कोच को स्पेशलिस्ट कोच और सपोर्टिंग स्टाफ का नेतृत्व करना होगा. हेड कोच इन सभी लोगों की भूमिका, प्रदर्शन और ताजा हालातों पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार होगा.
-
हेड कोच की जिम्मेदारी होगी कि वह टीम इंडिया में अनुशासन के नियमों को बनाए रखने, लागू करने और उनकी समीक्षा करेगा.
-
हेड कोच की जिम्मेदारी होगी कि वह नेशनल क्रिकेट अकादमी के प्रमुख के साथ मिलकर एक डेवलपमेंट प्लान तैयार करेगा, जिससे उन खिलाड़ियों में प्रतिभा को बढ़ाया जाए, जो फिलहाल टीम इंडिया का हिस्सा नही हैं. लेकिन, आगे जुड़ सकते हैं.
-
भारत की फर्स्ट क्लास टीमों के कोच को अंतराष्ट्रीय स्तर पर आने के लिए खिलाड़ियों को किस तरह का प्रदर्शन करना होगा, इसके लिए एक प्लान तैयार करना होगा.
-
टीम इंडिया की चयन प्रक्रिया में चयनकर्ताओं के साथ जरूरत पड़ने पर खिलाड़ियों को लेकर और रणनीतिक जानकारियां साझा करना होगा.
-
क्रिकेट के डेवलपमेंट के लिए सलाह और समर्थन देने की जिम्मेदारी हेड कोच को निभानी होगी.
-
हेड कोच को वर्कलोड को मैनेज करने के लिए प्लान बनाने के साथ सपोर्ट स्टाफ की जिम्मेदारियां तय करनी होगी.
बीसीसीआई ने टीम इंडिया के भविष्य और वर्तमान को देखते हुए जिम्मेदारियां तय की हैं.
राहुल गांधी के लिए कैसी होंगी ये जिम्मेदारियां?
टीम इंडिया के हेड कोच की तरह ही राहुल गांधी को भी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कई चुनौतियों का सामना करना है. राहुल गांधी पर कांग्रेस को एक ऐसा सियासी दल बनाने के लिए मेहनत करनी होगी, जो केवल लोकसभा चुनाव ही नहीं, बल्कि विधानसभा से लेकर निकाय चुनावों तक में अपनी सफलता को दोहराए. और, लगातार सफल होने के नतीजे भी देती रहे. इतना ही नहीं राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पार्टी के लिए गंभीर होना पड़ेगा. जिससे भविष्य के कांग्रेस नेताओं को तैयार करने में मदद मिले. लेकिन, राहुल गांधी फिलहाल ये जिम्मेदारी पूरी करते नहीं दिखते हैं. क्योंकि, राहुल गांधी लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिनकी वजह से कहा जा सकता है कि एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर कांग्रेस कमजोर हुई है. असम कांग्रेस के प्रभावी नेताओं में से एक हिमंता बिस्वा सरमा सरीखे सियासी खिलाड़ियों को पार्टी ने खारिज कर परिवारवाद को बढ़ावा दिया. जिसका नतीजा ये निकला कि असम में कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार गिरा. इतना ही नहीं भाजपा में शामिल हुए हिमंता बिस्वा सरमा को पार्टी ने असम का मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस को नेपथ्य में पहुंचा दिया.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को नवजोत सिंह सिद्धू के दबाव में हटाकर राहुल गांधी ने साबित कर दिया कि वह प्रदर्शन से ज्यादा चेहरे को महत्व दे रहे हैं. जो कहीं से भी एक टीम के तौर पर सही निर्णय नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, कांग्रेस को समाजवादी पार्टी की तरह केवल एक राज्य में अपने प्रदर्शन ध्यान नहीं देना है. बल्कि, उसे हर स्तर के चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन कर खुद को स्थापित करना होगा. वहीं, राहुल गांधी ये जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं. क्योंकि, हालिया कार्यसमिति की बैठक के बाद ये बात सामने आई थी कि वह अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने के लिए तैयार नही हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो राहुल गांधी चाहते हैं कि मुश्किल वक्त निकल जाने के बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाएं. जो एक पार्टी लीडर के तौर पर एक कमजोर सोच को दर्शाती है.
राहुल गांधी को कांग्रेस के राज्य स्तरीय नेतृत्व की भूमिका, प्रदर्शन और ताजा हालातों पर नजर रखने के लिए सपोर्टिंग नेताओं की जरूरत होगी. लेकिन, कांग्रेस पार्टी में हर स्तर पर नेतृत्व को लेकर मचे बवाल को देखते हुए राहुल गांधी की राह आसान नजर नहीं आती है. क्योंकि, वह खुद ही नवजोत सिंह सिद्धू जैसे उत्पात मचाने वाले नेताओं को बढ़ावा देते हैं, जो अनुशासन जैसी जरूरी चीजों को नगण्य मानते हैं. एक पार्टी को चलाने के लिए भी अनुशासन बहुत जरूरी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. कांग्रेस में अंदर तक घुस चुके परिवारवाद और गांधी परिवार की चाटुकारिता वाले लहजे ने पार्टी का केवल नुकसान किया है. सचिन पायलट, हिमंता बिस्वा सरमा, ज्योतिरादित्य सिंधिया सरीखे नेताओं को नजरअंदाज कर गांधी परिवार के विश्वासपात्रों को बढ़ावा देने का नतीजा कांग्रेस के सामने है. देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी कैसे इन तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हैं?
आपकी राय