मोदी से ज्यादा राहुल गांधी को लेना चाहिए श्रीलंका के हालातों से सबक!
श्रीलंका में आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) से उभरे राजनीतिक संकट से लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को सबक लेने की सलाह दे रहे हैं. जबकि, इस संकट के पीछे सबसे बड़ा कारण श्रीलंका पर लंबे समय तक शासन करने वाला राजपक्षे परिवार है. तो, मोदी से ज्यादा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को श्रीलंका के हालातों से सबक लेना चाहिए.
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भीषण आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका में राजनीतिक हालात भी लगातार खराब होते जा रहे हैं. लोगों में बढ़ रहे गुस्से और आगजनी पर उतारू भीड़ को देखते हुए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और पीएम रानिल विक्रमसिंघे अंडरग्राउंड हो गए हैं. राजनीति में राजपक्षे परिवार के लंबे समय तक काबिज रहने के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. क्योंकि, राजपक्षे परिवार पर भ्रष्टाचार करने और देश से बाहर पैसे भेजने के आरोप लगे थे. लेकिन, इस संकट की असली जड़ परिवारवादी राजनीति ही नजर आती है. तो, कहना गलत नहीं होगा कि श्रीलंका में उपजे राजनीतिक संकट से पीएम मोदी से ज्यादा राहुल गांधी को सबक लेना चाहिए.
श्रीलंका के हालात राहुल गांधी के लिए ज्यादा चिंता बढ़ाने वाले हैं. क्योंकि, जनता का गुस्सा परिवारवादी राजनीति के खिलाफ निकल रहा है.
राहुल गांधी को क्यों लेना चाहिए सबक?
श्रीलंका में आर्थिक संकट की वजह से पैदा हुए राजनीतिक संकट के पीछे वहां के सबसे शक्तिशाली राजनीतिक परिवार राजपक्षे को दोषी माना जा रहा है. इसकी तुलना कांग्रेस से की जाए, तो पार्टी पर गांधी परिवार का ही कब्जा है. और, गांधी परिवार (सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी) के खिलाफ आवाज उठाने वालों का हाल जी-23 गुट (राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध करने वाले) या सीताराम केसरी (सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध करने वाले) जैसा कर दिया जाता है.
श्रीलंका में गोटाबाया राजपक्षे राष्ट्रपति थे, तो महिंदा राजपक्षे कुछ ही महीने पहले तक पीएम पद पर काबिज थे. और, राजपक्षे परिवार के अन्य लोग भी सरकार के अहम पदों पर कब्जा जमाए बैठे थे. अब अगर कांग्रेस की बात की जाए, तो भले ही यूपीए शासनकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रहे हों. लेकिन, यूपीए और नेशनल एडवाइजरी काउंसिल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ही थीं. राहुल गांधी खुलेआम कुर्ते की बांहें चढ़ाते हुए मनमोहन सिंह की सरकार के लाए गए विधेयक को फाड़ देते थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए आदेश गांधी परिवार की ओर से ही जारी होते थे.
श्रीलंका में एक ही परिवार के इर्द-गिर्द घूमने वाली राजनीति ने देश को आर्थिक संकट में धकेल दिया. क्योंकि, लंबे समय तक सत्ता पर कब्जा रखने वाले राजपक्षे परिवार ने भ्रष्टाचार और गलत नीतियां बनाने में सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. ठीक उसी तरह देश की सत्ता पर लंबे समय तक काबिज रहने वाली कांग्रेस ने गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के मामलों में सबको पीछे छोड़ दिया था. 2014 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के सत्ता से बाहर होने की वजह ही भ्रष्टाचार और उसकी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति थी.
आसान शब्दों में कहा जाए, तो परिवारवादी राजनीति ने श्रीलंका का बंटाधार कर दिया. और, भारत में भी लंबे समय तक गांधी परिवार के कब्जे वाली कांग्रेस का ही शासन रहा है. जो बताने के लिए काफी है कि मोदी से ज्यादा राहुल गांधी को श्रीलंका से सबक लेना चाहिए!
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