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Updated: 04 जून, 2021 09:42 AM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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भारत सरकार की ओर से सोशल मीडिया कंपनियों के लिए जारी की गई गाइडलाइंस पर लगभग सभी प्लेटफॉर्मस् ने सहमति जता दी है. माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर से कांग्रेस की कथित टूलकिट के चक्कर में दिल्ली पुलिस की पूछताछ भी जारी है. इन सबके बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल की गांधी ने ट्विटर पर लोगों की छंटनी कर उन्हें 'अनफॉलो' करना शुरू कर दिया है. अनफॉलो किए गए लोगों में स्टैंड अप कॉमेडियन से लेकर मीडिया जगत से जुड़े भी कई नाम शामिल हैं. जिन 63 लोगों को अनफॉलो किया गया है, उस लिस्ट में अहमद पटेल, तरुण गोगोई औऱ राजीव सातव जैसे दिवंगत नेता भी शामिल हैं.

कांग्रेस पार्टी की ओर से राहुल गांधी की इस 'अनफॉलो रणनीति' को अकाउंट रिफ्रेश की प्रक्रिया बताया जा रहा है. लेकिन, राहुल गांधी के इस अचानक लिए गए 'ट्विटर एक्शन' पर तमाम सवाल खड़े होने लगे हैं. दरअसल, अनफॉलो किए गए लोगों की लिस्ट में कई ऐसे नेता और पत्रकार शामिल हैं, जिन्हें कथित तौर पर कांग्रेस और राहुल गांधी के काफी करीब माना जाता है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या राहुल गांधी ट्विटर पर लोगों को 'अनफॉलो' कर कोई संदेश देना चाह रहे हैं?

कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से 'दरबारी' संस्कृति के बोलबाले का आरोप लगाया जाता रहा है.कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से 'दरबारी' संस्कृति के बोलबाले का आरोप लगाया जाता रहा है.

'दरबारी' संस्कृति से दूरी

कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से 'दरबारी' संस्कृति के बोलबाले का आरोप लगाया जाता रहा है. यहां तक कहा जाता है कि कांग्रेस को कमजोर करने में कुछ 'लुटियंस नेताओं और पत्रकारों' का बड़ा हाथ रहा है, जो जमीनी सच्चाई से कोसों दूर रहे हैं. इन लोगों पर सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनल्स पर भी कांग्रेस के दरबारी होने के आरोप लगते रहे हैं. माना जा रहा है कि ऐसे लोगों से खुद को दूर कर राहुल गांधी कांग्रेस में अंदर तक घर कर चुकी दरबारी संस्कृति को किनारे लगाना चाहते हैं. एक तरह से राहुल गांधी इन दिनों सफाई अभियान में जुटे हुए हैं. पांच राज्यों में हुए हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं रहे हैं. तमिलनाडु को छोड़ दिया जाए, तो बाकी के चार राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है.

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पहले से ही तमाम मुश्किलों से घिरा हुआ है. जी-23 नेताओं ने पिछले साल से ही राहुल गांधी को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं. इससे इतर पंजाब और राजस्थान में कांग्रेस के अंदर सियासी खींचतान जारी है. कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव भी लगातार टलता जा रहा है. इन सबके बीच अनफॉलो किए गए लोगों की वजह से भी कांग्रेस को अप्रत्यक्ष रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ता है. केंद्र की मोदी सरकार पर 'गोदी मीडिया' के जो आरोप कांग्रेस लगाती है, वह इन लोगों की वजह से उसे भी कटघरे में खड़ा कर देते हैं. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी इन लोगों से दूरी बनाकर लोगों में कांग्रेस की एक नई साफ-सुथरी छवि को प्रोजेक्ट करना चाह रहे हैं, जो दरबारी संस्कृति को छोड़कर आगे बढ़ चुके है.

गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर राजस्थान में सचिन पायलट की ताजपोशी होना तय है.गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर राजस्थान में सचिन पायलट की ताजपोशी होना तय है.

एक तीर से कई शिकार

अगर कांग्रेस अध्यक्ष के पद की बात करें, तो कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद लेने से इनकार कर दिया है. वह अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से ही लगातार कहते रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति आना चाहिए. अब तक राहुल गांधी को मनाने की जितनी भी कोशिशें की गई हैं, वो सब बेकार हो चुकी हैं. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी बीते साल से ही ऐसे संकेत देती नजर आई हैं. कहा जा सकता है कि इस बार राहुल अपने फैसले पर अडिग हो चुके हैं.

कयास लगाए जा रहे हैं कि सोनिया गांधी के करीबी कांग्रेस नेताओं में शामिल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली लाने की कवायद की जा रही है. राजस्थान की सियासी फिजाओं में घुलती जा रही तपिश को शांत करने के लिए अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बैठाकर एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिशें हो रही हैं. गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर राजस्थान में सचिन पायलट की ताजपोशी होना तय है. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे के साथ अशोक गहलोत की सांठ-गांठ के आरोपों का अंत हो जाएगा. पायलट खेमे में बढ़ा असंतोष शांत होगा और गहलोत खेमे के नाराज विधायकों को भी इस फैसले से राहत मिलेगी.

राहुल गांधी इसी साल एक पार्टी मीटिंग में कहते नजर आए थे कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में होते, तो सीएम बन गए होते.राहुल गांधी इसी साल एक पार्टी मीटिंग में कहते नजर आए थे कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में होते, तो सीएम बन गए होते.

बड़े बदलावों का संकेत

असम में कांग्रेस की पृष्ठभूमि से आने वाले नेता हिमंता बिस्व सरमा को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने जो दांव खेला है, कांग्रेस के पास अभी तक उसकी काट नहीं है. कहा जा रहा है कि सचिन पायलट की ताजपोशी के साथ भाजपा में शामिल हो चुके राहुल गांधी के पूर्व करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की जाएगी. राहुल गांधी इसी साल एक पार्टी मीटिंग में कहते नजर आए थे कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में होते, तो सीएम बन गए होते. लेकिन, वो भाजपा में बैकबेंचर बन गए हैं. मैंने उनसे कहा था कि एक दिन आप मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन, उन्होंने अलग रास्ता चुन लिया. राहुल गांधी भाजपा की रणनीति के खिलाफ खुलकर बैटिंग करने का मन बना चुके हैं. गहलोत को गद्दी पर बिठाकर कांग्रेस आने वाले समय में भाजपा को उसी की रणनीति से पटखनी देने की तैयारी कर रही है.

अशोक गहलोत के नाम पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की भी आसानी से सहमति मिलने की संभावना है. गांधी परिवार के करीबी होने के बावजूद कांग्रेस में उनकी छवि एक कद्दावर नेता की है. गहलोत के नाम पर जी-23 नेताओं का असंतोष भी खत्म हो जाएगा. कयास हैं कि राहुल गांधी केवल ट्विटर ही नहीं कांग्रेस में भी 'बदलाव' लाने की कोशिशों में जुट गए हैं. हालिया विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के सामने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और भाजपा पर राहुल गांधी लाख निशाने साध रहे हों, लेकिन ममता बनर्जी लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं. अगर यही हाल रहा, तो 2024 में विपक्ष के नेता की कुर्सी भी कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगी. हालांकि, इसकी संभावना कम है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भविष्य में राहुल गांधी के लिए मुश्किल हो सकती है.

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. ये बदलाव ट्विटर तक सीमित नहीं रहेंगे. आने वाले समय में दरबारी संस्कृति से लेकर परिवारवाद तक कांग्रेस से कई चीजें गायब होने की संभावना है. राहुल गांधी राजनीति को पार्ट टाइम से फुल टाइम जॉब बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं. बीते कुछ समय में राहुल गांधी ने केंद्र की भाजपा सरकार को कई सुझाव दिए थे, जिनमें से कुछ को मोदी सरकार ने लागू भी किया है. कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी ट्विटर पर लोगों को 'अनफॉलो' कर कांग्रेस में एक बड़े बदलाव के संदेश का संकेत दे रहे हैं.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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