राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने से ज्यादा खूबसूरत विचार बच्चों की परवरिश पर है
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर महिला आरक्षण (Women Reservation Bill) की बात करके 2024 का एजेंडा साफ कर दिया है, लेकिन दिवाली डिनर (Diwali Dinner) के मौके पर तमिलनाडु के लोगों से अपने बच्चों की परवरिश को लेकर जो विचार साझा किया है, वो ज्यादा अच्छा है.
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2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसा सवाल पूछे जाने पर राहुल गांधी ने इतना ही कहा भर था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में लौटती है तो वो प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं. उसके बाद तो चुनाव मैदान में ही बीजेपी नेताओं ने घेर लिया कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने की हड़बड़ी है. ये बात अलग है कि तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी ने भले कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया लेकिन खुद भी तब सरकार बनाने में नाकाम रही. हां, कांग्रेस एचडी कुमारस्वामी की की गठबंधन सरकार में हिस्सेदार जरूर रही जो करीब सवा साल बात ऑपरेशन लोटस की भेंट भी चढ़ गयी.
2019 के आम चुनाव से पहले भी एक बार प्रधानमंत्री बनने संदर्भ राहुल गांधी के सामने आया, लेकिन तब उनसे पूछा गया था कि ममता बनर्जी या मायावती के प्रधानमंत्री बनने की नौबत आने पर उनको आपत्ति होगी क्या - राहुल गांधी का जवाब नहीं में था, लेकिन 2018 के आखिर में तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनवा कर राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार बन गये.
2019 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने जब से इस्तीफा दिया तब से वो कांग्रेस अध्यक्ष का पद लेने को भी तैयार नहीं हैं - हालांकि, हाल की कांग्रेस कार्यकारिणी में राहुल गांधी ने अपने करीबियों को अधीर हो जाने के लिए नहीं छोड़ा और ढाढ़स बंधाते हुए बोले - विचार करेंगे.
दिवाली डिनर (Diwali Dinner) के एक खास मौके पर जब तमिलनाडु से बुलाये गये कुछ खास मेहमानों का सवाल तो उसी संदर्भ में रहा, लेकिन थोड़ा आगे बढ़ कर पूछ लिया गया था - प्रधानमंत्री बन जाने के बाद राहुल गांधी का पहला फैसला क्या होगा?
राहुल गांधी का जवाब भी राजनीतिक ही रहा और चुनावी माहौल के मुताबिक भी. जैसे यूपी में प्रियंका गांधी ने 40 फीसदी महिलाओं को विधानसभा चुनाव में टिकट देने का वादा किया है, राहुल गांधी लगता है कांग्रेस के उसी एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं - राहुल गांधी के जवाब से लगता है कि सिर्फ 2022 का यूपी चुनाव ही नहीं बल्कि उसके दो साल बाद 2024 के आम चुनाव में भी कांग्रेस महिलाओं (Women Reservation Bill) के मुद्दे पर ही खुद को फोकस करने जा रही है.
बच्चों को विनम्रता क्यों सिखाना चाहते हैं राहुल गांधी?
2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान तमिलनाडु में राहुल गांधी की ज्यादा दिलचस्पी देखी गयी थी. विदेश दौरे से लौटते ही राहुल गांधी जल्ली कट्टू देखने गये और बाद में भी चुनाव प्रचार के लिए जाते रहे. 21 मार्च को राहुल गांधी तमिलनाडु में कन्याकुमारी के दौरे पर थे.
क्या राहुल गांधी महिला आरक्षण का मुद्दा बीजेपी के साथ साथ ममता बनर्जी को भी काउंटर करने का प्लान कर रहे हैं?
कन्याकुमारी के सेंट जोसेफ मैट्रिक हायर सेकंडरी स्कूल के स्टूडेंट्स के साथ राहुल गांधी का पुश-अप चैलेंज काफी चर्चित रहा. राहुल गांधी ने वहां छात्रों के साथ डांस भी किया था - और दिवाली के मौके पर उन छात्रों और स्कूल के शिक्षकों के साथ उनकी फिर से मुलाकात हुई है, लेकिन दिल्ली में.
दरअसल, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने स्कूल के छात्रों और शिक्षकों के साथ ही दिवाली डिनर का आयोजन किया था. राहुल गांधी डिनर के मौके का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है. वीडियो एडिट किया हुआ है. डिनर को लेकर राहुल गांधी अपने स्टाफ से पूछ रहे हैं कि छोले भटूरे की व्यवस्था हो सकती है क्या? और फिर वही सर्व भी किया जाता है. दक्षिण के लोगों को उत्तर का व्यंजन. दक्षिण और उत्तर को लेकर विधानसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी के एक बयान पर विवाद भी हुआ था क्योंकि बात अमेठी की हार से जुड़ी लगी. राहुल गांधी ने राय जाहिर की थी कि दक्षिण के लोग राजनीतिक तौर पर उत्तर भारत से बेहतर होते हैं.
Interaction and dinner with friends from St. Joseph’s Matric Hr. Sec. School, Mulagumoodu, Kanyakumari (TN). Their visit made Diwali even more special. This confluence of cultures is our country’s biggest strength and we must preserve it. pic.twitter.com/eNNJfvkYEH
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 6, 2021
डिनर पर बातें तो बहुत हुई होंगी, लेकिन राहुल गांधी की तरफ से शेयर किये गये वीडियो में उनके वही जवाब शेयर किये गये हैं जो उनका राजनीतिक मैसेज लोगों तक पहुंचा सकें. प्रधानमंत्री बनने पर पहले फैसले का जवाब राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण तो है ही, लेकिन बच्चों की परवरिश से जुड़े प्रश्न का उत्तर उनके भाव लोक का बेहतरीन स्केच दिखा रहा है.
राहुल गांधी ने जो जवाब दिया है उसके साथ उनका अलग आत्मविश्वास झलक रहा है. वैसे भी तमिलनाडु के स्कूलों में अपने कार्यक्रम में राहुल गांधी ज्यादा ही कम्फर्टेबल नजर आता है और काफी लाइट मूड में होते हैं. 'नाम तो सुना ही होगा' और 'कॉल मी राहुल, नॉट सर' जैसी उनकी बातें फिल्मी डायलॉग की तरह सुनने को मिलती रही हैं.
वीडियो में राहुल गांधी कहते हैं, "अगर मुझसे कोई ये पूछे कि आप अपने बच्चे को कौन सी एक चीज सिखाएंगे, तो मैं कहूंगा विनम्रता - क्योंकि विनम्रता से आपको चीजों की समझ आती है."
यहां तक कि पहले शादी को लेकर होने वाले सवाल पर भी शरमाते हुए रिस्पॉन्ड करने वाले राहुल गांधी ने बड़े आराम से बताया है कि वो अपने बच्चों को क्या सिखाएंगे? ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योकि ये उसके आगे का सवाल रहा - और प्रधानमंत्री पद को लेकर भी ये नहीं कि बनना चाहेंगे या नहीं, बल्कि, ये कि प्रधानमंत्री बन गये तो सबसे पहले क्या करेंगे?
आगे आगे देखो होता है क्या?
यूपी चुनाव में महिलाओं को टिकट देने की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के ऐलान के बाद, राहुल गांधी ने बस इतना ही कहा था, 'ये तो शुरुआत है,' लेकिन तमिलनाडु से आये मेहमानों के माध्यम से वो ये कहते हुए से लगते हैं, 'आगे आगे देखो होता है क्या?'
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में डीएमके के साथ गठबंधन होने का तो कांग्रेस को भी फायदा मिला लेकिन बाकी राज्यों में तो 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों से भी बुरा हाल रहा. बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस के महागठबंधन साथी आरजेडी के नेता आक्रामक तो हुए ही थी, राहुल गांधी अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गये थे.
बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पक्की कराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइलेंट वोटर का जिक्र किया था. प्रधानमंत्री मोदी का कहना रहा, 'अखबारों में, टीवी चैनलों पर एनडीए को बहुमत मिलने पर चर्चा हो रही थी... साइलेंट वोटर की... चुनाव नतीजों में उनकी गूंज सुनाई देने लगी है.'
प्रधानमंत्री ने आगे बताया, 'भाजपा के पास साइलेंट वोटर का एक ऐसा वर्ग है, जो उसे बार-बार वोट दे रहा है... निरंतर वोट दे रहा है... ये साइलेंट वोटर हैं - देश की माताएं, बहनें, महिलाएं, देश की नारी शक्ति.'
BJP has a large group of silent voters that is voting them repeatedly. The women, the Nari Shakti of our country are the silent voters for us. From rural to urban, women have become the largest group of silent voters for us.- PM @narendramodi pic.twitter.com/jGjqQ2abIJ
— BJP (@BJP4India) November 11, 2020
बिहार में पहले भी नीतीश कुमार को महिलाओं का जबरदस्त समर्थन मिलता रहा है. बिहार में शराबबंदी लागू किये जाने के पीछे भी महिला वोट बैंक ही है, लेकिन चार दिन में 40 लोगों की जहरीली शराब से मौत हो जाने के बाद नये सवाल खड़े हो गये हैं - अब तो ऐसा लगता है राहुल गांधी की भी नजर साइलेंट वोटर पर टिक गयी है.
लगता तो ऐसा है कि कांग्रेस भी फिर से यूपी के रास्ते ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नजर टिका ली है और 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने की घोषणा उसी एक्सपेरिमेंट का हिस्सा है. हालांकि, यूपी के अलावा चार और राज्यों में विधानसभा चुनावों में महिलाओं को लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा जैसा चुनावी वादा अभी तक सामने नहीं आया है. पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का का भी इतना ही कहना रहा कि यूपी की प्रभारी होने के नाते ये प्रियंका गांधी का फैसला है - और बाद में राहुल गांधी ने अपनी तरफ से जोड़ दिया है कि ये तो महज शुरुआत है.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 2018 में संसद में महिला आरक्षण विधेयक लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिख चुके हैं. तब कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से मॉनसून सत्र में महिला आरक्षण विधेयक लाने की मांग की थी और बिल का सपोर्ट करने का भरोसा दिलाया था. हालांकि, तब इसे बीजेपी के तीन तलाक बिल के काउंटर के तौर पर देखा गया था. महिला आरक्षण बिल की कौन कहे, मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल भी चुनावों तक टाल दिया और 2019 में सत्ता में वापसी के बाद चुनाव वादे के तौर पर कानून बना दिया.
राहुल गांधी से साल भर पहले 2017 में सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैसी ही एक चिट्ठी लिखी थी. सोनिया गांधी ने पत्र के जरिये याद दिलाया था कि कांग्रेस की सरकार ने 2009 में ही महिला आरक्षण बिल राज्य सभा में पास करा दिया था, लेकिन लोक सभा में अटका रह गया. सोनिया गांधी ने सलाह दी थी कि लोक सभा में मोदी की पार्टी बीजेपी बहुमत में है, लिहाजा बिल को पास कराये.
पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 के बाद से तो यही देखने को मिल रहा है कि राहुल गांधी कदम कदम पर ममता बनर्जी को 2024 के लिए निकटतम प्रतिद्वंद्वी मान कर चल रहे हैं. ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे के बीच विपक्षी नेताओं के साथ राहुल गांधी की ताबड़तोड़ मीटिंग और तृणमूल कांग्रेस नेता के गोवा दौरे के आखिरी दिन कांग्रेस नेता का धावा बोल देना संकेत तो यही दे रहा है.
अब सीधा सा सवाल ये है कि क्या ममता बनर्जी के मुकाबले प्रियंका गांधी वाड्रा को महिला अधिकारों के चैंपियन के तौर पर खड़ा कर राहुल गांधी काउंटर करने की तैयारी कर रहे हैं?
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