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Updated: 08 जनवरी, 2018 04:27 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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बड़ी उम्मीदों के साथ हम रेल यात्रा करते हैं. उम्मीद होती है सुरक्षी की, ट्रैफिक जाम से बचते हुए अपने गंतव्य तक जल्दी पहुंचने की और साथ ही एक आरामदायक यात्रा की. हालांकि, रेलवे ने यात्रियों की उम्मीदों को सिर्फ चकनाचूर ही किया है. लगातार हो रही रेल दुर्घटनाएं और सरकार पर उठ रहे सवालों ने पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु को रेलवे की जिम्मेदारी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. उनके बाद सरकार ने जिसे ये जिम्मेदारी दी है, वो भी हमारी उम्मीदों को तोड़ते हुए हाथ खड़े करते नजर आ रहे हैं. उन्होंने खुद को 'मजबूर' बता दिया है. मौजूदा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में जो बयान दिया है, उससे यह तो साफ है कि अब यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है. क्योंकि जो जिम्मेदारियां अहम ओहदों पर बैठे इन लोगों की हैं, उसका ठीकरा तो ये एक दूसरे के सिर पर ही फोड़ेंगे. कुछ ऐसा ही किया पीयूष गोयल ने. यात्रियों की परेशानियों के सामने खुद को मजबूर बताते हुए इस बार भी गोयल जी ने पल्ला झाड़ लिया है.

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'ये काम हमारा नहीं है'

दिल्ली से कोलकाता जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस के फर्स्ट क्लास कोच से 2 महिला सांसदों का सामान चोरी हो गया. मामला तो पुराना है, लेकिन इन सांसदों ने इस बात को राज्यसभा में उठाया. आए दिन सियासी बहसबाजी की भेंट चढ़ जाने वाली राज्यसभा में कई दिनों बाद आम आदमी की सुरक्षा से जुड़ा ये मुद्दा तो उठा, लेकिन पीयूष गोयल ने इससे ऐसे किनारा किया मानो कोई इंसान दूध में से मक्खी निकाल कर फेंकता हो. सीपीएम सांसद झरना दास और बीजेडी सांसद सरोजनी हेम्ब्रम ने अपनी आपबीती राज्यसभा में बताते हुए आम आदमी और उनके सामान की सुरक्षा का मुद्दा उठाया. पीयूष गोयल ने इस पर साफ कह दिया कि सुरक्षा तो राज्य का विषय है. रेलवे पुलिस तो सिर्फ रेलवे की संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा करती है. रेल मंत्री ने साफ कर दिया कि वह इस मामले को लेकर काफी मजूबर हैं. उनका कहना है कि चोर तो टिकट लेकर चढ़ते हैं, तो उनका पता कैसे चलेगा. उन्होंने यह जरूर कह दिया कि वह जल्द ही ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगवाने की योजना बना रहे हैं. खुद गोयल भी मानते हैं कि चोरी के 14,934 मामलों का उन्हें पता चला है. खैर जो भी हो, रेलवे हमेशा से न तो यात्रियों की जान की गारंटी देता है, ना सामान की.

पैसे वसूले, सुविधा के नाम पर ठेंगा

राज्यसभा में ही कांग्रेस के पीएल पुनिया ने भी एक अहम मुद्दे की ओर लोगों का ध्यान खींचा. उन्होंने कहा कि रेलवे ने बहुत सारी ट्रनों को सुपरफास्ट का दर्ज देकर यात्रियों से करोड़ों रुपए वसूले, लेकिन कोई भी ट्रेन समय पर नहीं पहुंच रही. उन्होंने तो ऐसी स्थिति में यात्रियों का किराया तक लौटाने की बात कह दी. इस पर भी रेल मंत्री ने वही किया, जो अभी तक का हर मंत्री करता आया है. पीयूष गोयल ने इस दिक्कत का ठीकरा पुरानी सरकारों पर फोड़ते हुए रेलवे के बुनियादी ढांचे पर सवाल उठा दिए. ये बात सही है कि बुनियादी ढांचा सही होना जरूरी है तभी अच्छी सुविधा दी जा सकती है, लेकिन जनता एक सरकार को धूल चटाते हुए दूसरे को सत्ता में इसलिए नहीं लाती कि वह सिर्फ पुरानी सरकार पर हर चीज का ठीकरा फोड़ दे. ऐसे में दूसरों की नाकामी गिनाकर राजनीति चमकाने के बजाय धरातल पर उतर कर काम करने की जरूरत है.

एंटी कोलेजन डिवाइस जैसा सीसीटीवी का हाल ?

कुछ साल पहले ट्रेनों की भिडंत से बचने के लिए एंटी कोलेजन डिवाइस लगाने की योजना बनाई गई थी. रेलवे की पब्लिक अंडरटेकिंग 'कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड' ने एंटी कोलेजन डिवाइस का पेटेंट भी करा लिया है, जिसे राजाराम बोज्जी ने बनाया है. इस डिवाइस का दक्षिणी रेलवे में सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया जा चुका है. कुछ ट्रेनों में यह लग भी गया है, लेकिन अभी तक देश की अधिकतर ट्रेनें इस सुविधा से महरूम हैं. सब कुछ होने के बावजूद अगर एंटी कोलेजन डिवाइस हर ट्रेन में नहीं लग पा रहा है तो सीसीटीवी लगाने की योजना पर कोई क्या भरोसा करेगा.

जो कर सकते वो भी नहीं कर पा रहे

किसी सुविधा को सही से न दे पाने के लिए भले ही रेलवे के बुनियादी ढांचे और पुरानी सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया जाए, लेकिन इससे सिर्फ रेलवे की नाकामी ही दिखाई देती है. रेलवे उन दिक्कतों का भी समाधान नहीं कर पा रहा है, जिसका बुनियादी ढांचे से कोई लेना-देना नहीं है. जैसे कोहरा. हर साल कोहरा होता है और ट्रेनें लेट होती है, बहुत सी ट्रेनें रद्द भी होती हैं, लेकिन इसका समाधान नहीं निकाला जा सका है. न तो किसी ट्रेन में फॉग लाइट जैसी कोई सुविधा शुरू की जा रही है, ना ही कुछ ऐसा किया जा रहा है जिससे ट्रेन के ड्राइवर को सिग्नल दूर से ही दिखाई दे जाएं. हर बात का ठीकरा पुरानी सरकार पर फोड़ना किसी समस्या का समाधान नहीं है.

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