राजस्थान में गेम चेंजर होगी चुनावों से पहले गहलोत सरकार की योजनाएं...
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने अंतिम बजट को पेश करने की तैयारी में हैं और अपनी घोषणाओं को लेकर कॉन्फिडेंट हैं भाजपा के पास गहलोत की योजनाओं को काउंटर करने का कोई खास मुद्दा नहीं है. भाजपा नहीं चाहती है कि पुरानी पेंशन योजना लागू हो. संसद में भाजपा के नेता इसको लेकर बयान दे चुके हैं.
-
Total Shares
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार का आखिरी बजट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं. इसी साल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इस लिहाज से इस बार के बजट को गहलोत खुद गेम चेंजर मान रहे हैं. मुख्यमंत्री गहलोत कहते हैं कि राजस्थान में इस बार एंटी-इनकम्बेंसी नहीं प्रो-एफिसिएंसी है. इसी के चलते कांग्रेस प्रदेश का 30 साल पुराना हर बार सत्ता बदलने का इतिहास बदलेगी. सरकारी योजनाओं से जनता बहुत खुश है. इसका सबूत है राजस्थान में हुए नो उपचुनाव जिनमें कांग्रेस ने सात में जीत हासिल की है. गहलोत मानते हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व में राजस्थान में करीब 550 किलोमीटर लम्बी भारत जोड़ो पद यात्रा निकली थी. कहीं पर भी एंटी इनकम्बेंसी जैसा माहौल देखने को नहीं मिला. यह दिखाता है कि प्रदेश की जनता कांग्रेस के साथ है. हमारा फोकस इस चुनाव में पिछली बार से अधिक सीटें लाकर सरकार रिपीट करने का है. गहलोत कहते हैं कि हमारी सरकार ने 2018 के जनघोषणा पत्र के 80 प्रतिशत वादों को पूरा कर लिया है और बाकी पूरे हो रहे हैं. कुछ घोषणाएं ऐसी हैं जिन्हें बिना केन्द्र सरकार के सहयोग से पूरा किया जाना संभव नहीं है.
राजस्थान में चुनावों से पहले अशोक गहलोत के बड़ा दांव खेलने की तैयारी भाजपा को मुसीबत में डाल सकती है
गहलोत के अनुसार हमने 22 लाख किसानों की 14 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी की है. इसमें राजस्थान सरकार के अंतर्गत आने वाले सभी बैंक शामिल हैं. हर किसान का नाम और राशि जनसूचना पोर्टल पर उपलब्ध है. राष्ट्रीयकृत बैंकों से किसानों के कर्ज का उद्योगपतियों की तरह ही वन टाइम सैटलमेंट करने के लिए पत्र लिख चुके हैं. पर बिना केन्द्र सरकार की परमिशन के यह संभव नहीं है. हम स्पष्ट कह चुके हैं कि किसानों का पूरा हिस्सा हम चुकाएंगे. लेकिन केन्द्र सरकार हमारे प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दे रही है.
इन सब के बीच राजनीतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि गहलोत सरकार की कुछ ऐसी लोकप्रिय योजनाएं हैं जो आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए चुनौती बनेंगी. राजस्थान में साढ़े सात लाख सरकारी कर्मचारी हैं. मुख्यमंत्री गहलोत ने एलान कर दिया है कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जायेगा. भाजपा के सामने ये बड़ी चुनौती हो गई है. केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि किसी भी हालत में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाए. अब जहां गहलोत सरकार के सामने पुरानी पेंशन के लिए बजट जुटाने की चुनौती है. वहीं भाजपा के सामने इस दांव से निपटने की. देश के हर प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग उठ रही है.
इसी साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के एक लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारियों को स्थायी कर दिया है. कांग्रेस सरकार का ये बड़ा दांव है. भाजपा के सामने गहलोत के इस दांव को काउंटर करने की बड़ी चुनौती है. देशभर में रसोई गैस की कीमतें 1100 रुपये प्रति सिलेंडर पहुंच चुकी हैं. अशोक गहलोत सरकार ने चार साल पूरे होने पर एलान कर दिया कि बीपीएल कार्ड धारकों और उज्जवला गैस योजना के अंतर्गत जिन्हें गैस चूल्हा मिला है. उन्हें 500 रुपये में ही रसोई गैस सिलेंडर दिया जाएगा. इस दायरे में आने वाले लोग सालभर में 12 गैस सिलेंडर सब्सिडी पर ले सकते हैं. इसका फायदा राजस्थान के करीब पांच लाख से ज्यादा परिवारों को मिलेगा.
मुफ्त बिजली को लेकर इस समय देश के कई राज्यों में खूब सियासत हो रही है. राजस्थान सरकार ने पहले से ही इसे लागू कर दिया है. राजस्थान में प्रतिमाह 100 यूनिट बिजली खपत करने वालों को 50 यूनिट बिजली मुफ्त दी जा रही है. 150 यूनिट तक बिजली खपत करने वालों के लिए तीन रुपये प्रति यूनिट और 150 से 300 यूनिट बिजली खपत करने वालों को सरकार की तरफ से दो रुपये प्रति यूनिट की छूट दी जा रही है. प्रदेश में 38.18 लाख घरेलू परिवारों का व 85 लाख किसानों का बिजली बिल शून्य कर दिया गया है. बिजली के लिये सरकार ने 16 हजार करोड़ रुपए का वार्षिक अनुदान दिया है.
किसानों को कृषि बिजली कनेक्शनों पर 1000 रुपये प्रति माह का अतिरिक्त अनुदान दिया जा रहा है. आने वाले बजट में बिजली पर अनुदान को और बढ़ाया जा सकता है. राजस्थान सरकार हर साल छात्राओं को मुफ्त स्कूटी बांट रही है. छात्राओं और उनके परिवार के बीच पकड़ बनाने के लिए गहलोत सरकार का ये बड़ा दांव माना जा रहा है. प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना भी चलाई जा रही है. सरकार का दावा है कि वृद्धजन, विशेष योग्यजन, विधवा और एकल नारी सहित प्रदेश के करीब एक करोड़ लोगों को पेंशन दी जा रही है.
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 10 लाख रुपये तक का निःशुल्क इलाज मिलता है. प्रदेश में अब तक करीब 26 लाख मरीजों को 2963 करोड़ रुपये से निःशुल्क इलाज दिया गया है. आने वाले समय में गहलोत सरकार प्रदेश की 1.35 करोड़ महिलाओं को फ्री स्मार्टफोन देगी. प्रदेश सरकार के अनुसार राजस्थान में ग्रामीण ओलंपिक दुनिया का सबसे बड़ा खेल आयोजन था जिसमें 30 लाख से ज्यादा लोगों ने भाग लिया था. 26 जनवरी से शहरी ओलंपिक खेलों का शुभारंभ भी होने जा रहा है.
बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाले 93000 प्रतिभाशाली बच्चों को टैबलेट दिए जाएंगे. इसमें तीन साल तक इंटरनेट फ्री की सुविधा होगी. गहलोत सरकार के अनुसार अब तक 1.32 लाख सरकारी नौकरियां दी गईं. 1.21 लाख सरकारी भर्तियां प्रक्रियाधीन हैं. एक लाख अतिरिक्त पदों पर भर्ती प्रस्तावित है. सरकार का दावा है कि स्कूल और कॉलेज जाने वाली 20,000 बालिकाओं को हर साल स्कूटी का वितरण किया जा रहा है. राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना से हर साल 200 बच्चों की विदेश में पढ़ाई का खर्च सरकार उठा रही है.
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना शहरों में 100 दिन के रोजगार मिलने की गारंटी है. सरकार का दावा अब तक करीब साढ़े तीन लाख जॉब कार्ड जारी किए गए हैं. राज्य सरकार मनरेगा में 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार दे रही. प्रदेश में 870 इंदिरा रसोइयां खोली जा चुकी हैं. जहां आठ रुपये में गरीब लोगों को पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण भोजन खिलाया जा रहा. राज्य सरकार प्रति थाली 17 रुपये का अनुदान देती है.
राजनीतिक विश्लेषको का कहना है कि राजस्थान समेत देश के तमाम लोग महंगाई समेत कई तरह की समस्याओं से परेशान हैं. खासतौर पर कोरोना के बाद से लोगों की आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है. नौकरियों का संकट और अलग-अलग तरह की बीमारियों ने लोगों का मनोबल तोड़ दिया है. ऐसे समय सरकार की तरफ से मिलने वाली हर राहत लोगों को अच्छी लगती है. दिल्ली नगर निगम और हिमाचल प्रदेश के नतीजे इस बात के उदाहरण हैं. चुनाव के नजदीक ही सही कांग्रेस ने ये सारे काम करने शुरू कर दिए हैं.
ऐसे में अगर कांग्रेस अंदरूनी कलह को सही कर ले तो इन योजनाओं का फायदा आने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सकता है. भाजपा के पास इन योजनाओं को काउंटर करने का कोई खास मुद्दा नहीं है. भाजपा नहीं चाहती है कि पुरानी पेंशन योजना लागू हो. संसद में भाजपा के नेता इसको लेकर बयान दे चुके हैं. इसी तरह संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने और सस्ती बिजली मुहैया कराने जैसे मुद्दे भी भाजपा को परेशान कर सकते हैं. राजस्थान में भाजपा के पास सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा कानून व्यवस्था है. इसके अलावा जातीय समीकरण को भी भाजपा मजबूत बनाने की कोशिश करेगी. यदि चुनावी साल में कांग्रेस अपनी सही रणनीति बनाने में कामयाब रहती है तो उसको फिर जीतने से कोई भी पार्टी नहीं रोक पायेगी.
आपकी राय