शराब दुकानें खोलने की अब तक की सबसे ताकतवर सरकारी दलील!
लॉकडाउन (Lockdown) के इस दौर में शराब की बिक्री (Sale of Liquor) को लेकर जो बातें राजस्थान (Rajasthan) के कांग्रेसी विधायक (Congress MLA) ने सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) से कहीं हैं उनकी काट निकालना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि शराब को लेकर ये अब तक की सबसे शक्तिशाली सरकारी दलील है.
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भारत में कोरोना का संक्रमण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. लॉक डाउन 2.0 अपने अंतिम पड़ाव में है मगर जैसे एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं लग यही रहा है आने वाले दिनों में हालात जटिल होंगे. एक तरफ बीमारी, उसका खौफ़ उसकी जटिलताएं हैं दूसरी तरफ वो लोग हैं जिनकी पसंद या ये कहें कि शौक शराब है. ऐसे लोगों की परेशानी को राजस्थान के विधायक ने समझा है और इनके लिए ज़बरदस्त दलील दी है.राजस्थान के सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने प्रदेश में शराब की दुकानें खोलने की अपील सूबे के सीएम अशोक गहलोत से की है. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि जब कोरोना वायरस हाथों को अल्कोहल से धोने पर साफ हो सकता है तो इसे पीने से गले का वायरस भी जरूर साफ हो जाएगा.
शराब की बिक्री को लेकर जो तर्क कांग्रेस के विधायक ने सीएम गहलोत को दिए हैं उन्हें शायद ही कोई पचा पाए
हो सकता है पहली नजर में ये बातें विचलित कर दें लेकिन सच यही है. कांग्रेस विधायक ने न केवल चिट्ठी लिखी बल्कि इस मौके पर अवैध शराब का भी मुद्दा उठाया है. विधायक भरत सिंह ने लिख है कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के कारण शराब की दुकानें बंद हैं. आर्थिक घाटे से राज्य सरकार की कमर टूट रही है. वहीं शराब नहीं मिलने से इसका अवैध धंधा पनप रहा है. सूबे में लॉकडाउन के चलते सभी जिलों में अपराध पर काफी कमी आई, लेकिन अवैध शराब का धंधा काफी बढ़ा है.
विधायक जी इसे प्रॉफिट एंड लॉस और बाजार से जोड़कर भी देख रहे हैं. सीएम गहलोत को लिखे पत्र में उन्होंने शराब के व्यापार को स्व-रोजगार की संज्ञा दी है.कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने कहा है कि, अवैध शराब का धंधा करने वालों के लिए यह स्व-रोजगार योजना है और साथ ही ये पैसा कमाने का सुनहरा अवसर भी है लेकिन इसका नुकसान सरकार के राजस्व को झेलना पड़ रहा है.
Bharat Singh Kundanpur, Congress MLA from Sangod has written to Rajasthan CM Ashok Gehlot for opening liquor shops in the state. The letter reads, "When #coronavirus can be removed by washing hands with alcohol, then drinking alcohol will surely remove virus from the throat". pic.twitter.com/ToVPomDI1Z
— ANI (@ANI) May 1, 2020
विधायक ने अपने पत्र में अवैध शराब के चलते लोगों की मौत और स्वास्थ्य पर इसके बुरे असर का भी जिक्र किया है और बताया कि इससे राज्य के भरतपुर में दो लोगों की मौत हो गयी है. विधायक ने सरकार की ओर से बढ़ाई गई एक्साईज ड्यूटी की बात करते हुए कहा कि बेहतर यही होगा कि सरकार शराब की दुकानें खोल दे. इस फैसले से पीने वालों को शराब मिलेगी और सरकार को राजस्व मिलेगा.
सीएम अशोक गहलोत को लिखे इस पत्र में जो बात सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रही है वो है विधायक की वो अनूठी दलील जिसमें तर्क दिया गया है कि 'जब अल्कोहल से हाथों को धोने से कोरोना वायरस साफ हो सकता है, तो शराब पीने से निश्चित रूप से गले का वायरस साफ हो जाएगा. अवैध शराब पीकर जान गंवाने से तो ये कहीं अच्छा है.
गौरतलब है कि राजस्थान के भरतपुर में ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें कोरोना के इस दौर में दो लोगों की मौत ज़हरीली शराब से हुई है जो राज्य सरकार के लिए एक अलग ही चुनौती है. लॉक डाउन के कारण शराब के क्रय विक्रय पर पाबंदी है इसलिए वो लोग बड़ा परेशान हैं जिन्हें शराब की लत है.
जिक्र शराब का हुआ है तो बता दें कि शराब ने पंजाब से लेकर कर्नाटक तक सभी राज्य सरकारों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं. शराब का कारोबार हो नहीं रहा है तो राज्य सरकारों को भी इस आर्थिक संकट के दौर में काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं अगर सोशल मीडिया का रुख किया जाए तो ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जिनका कहना है कि लॉक डाउन जब खुलना हो खुले मगर शराब मुहैया कराई जाए ताकि उसे पीकर लोग अपने घरों में रह सकें.
शायद आपको सुनकर हैरानी हो मगर इस बीच तमाम खबरें ऐसी भी सामने आई हैं जिनमें लोग तीन गुनी कीमतों पर शराब ले रहे हैं साथ ही इसका सीधा फायदा उन लोगों को हो रहा है जो लोग कच्ची शराब के धंधे में थे. भले ही चोरी चुप्पे हो मगर इन्होंने अपना प्रोडक्शन डबल कर दिया है और इस मुश्किल समय में शराब के बाजार में इन्हीं लोगों की बादशाहत है.
बहरहाल, ज़िक्र राजस्थान के कांग्रेस विधायक और सीएम अशोक गहलोत को लिखी उनकी चिट्ठी का हुआ है तो बता दें कि ये अब तक की सबसे मजबूत सरकारी दलील है जिसका तोड़ शायद ही किसी के पास हो. सीएम गहलोत इस चिट्ठी का कितना संज्ञान लेते हैं फैसला वक़्त करेगा लेकिन जो मौजूदा हालात हैं वो ये साफ बता रहे हैं कि लोग भले ही कोरोना से न मरें लेकिन शराब न मिलने का गम ज़रूर इन लोगों की जान ले लेगा.
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