Congress infight: पंजाब के बाद अगला नंबर राजस्थान का !
नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले के बाद राजस्थान में सचिन पायलट खेमे को उम्मीद नजर आ रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ लंबे समय से चली आ रही सियासी खींचतान का अंत हो सकता है. इन उम्मीदों को राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन के एक ट्वीट को रिट्वीट करने से और बल मिल गया है.
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पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) की नाराजगी को दरकिनार करते हुए कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. हालांकि, कैप्टन और सिद्धू के बीच अभी सुलह होना बाकी है. अमरिंदर सिंह ने आधिकारिक तौर पर कह दिया है कि जब तक नवजोत सिंह सिद्धू उनसे माफी नहीं मांगेंगे, वो सिद्धू से नही मिलेंगे. लेकिन, नवजोत सिंह सिद्धू के शक्ति प्रदर्शन के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही अमरिंदर सिंह मुलाकात के लिए भी तैयार हो जाएंगे. पंजाब को लेकर किए गए कांग्रेस (Congress) शीर्ष नेतृत्व के फैसले के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान (Rajasthan) को लेकर भी ऐसा ही कोई फैसला लिया जा सकता है.
नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले के बाद राजस्थान में सचिन पायलट (Sachin Pilot) खेमे को उम्मीद नजर आ रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के साथ लंबे समय से चली आ रही सियासी खींचतान का अंत हो सकता है. इन उम्मीदों को राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन (Ajay Maken) के एक ट्वीट को रिट्वीट करने से और बल मिल गया है. दरअसल, कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने एक पत्रकार के दो ट्वीट्स को रिट्वीट किया है, जिसमें कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले की तारीफ की गई है. इस स्थिति में कहा जा सकता है कि इस रिट्वीट ने अशोक गहलोत खेमे की नींद में खलल जरूर डाला होगा.
पंजाब का फैसला आने के बाद माना जा रहा है कि राजस्थान के सियासी विवाद का बी अंत हो सकता है.
ट्वीट का क्या मतलब है?
अजय माकन ने जिन ट्वीट को रिट्वीट किया है, उसमें लिखा हुआ है कि किसी भी राज्य में कोई क्षत्रप अपने दम पर नहीं जीतता है. गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर ही गरीब, कमजोर वर्ग और आम आदमी का वोट मिलता है. मगर चाहे, वो अमरिंदर सिंह हों या गहलोत या पहले शीला या कोई और. मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं कि उनकी वजह से ही पार्टी जीती. 20 साल से ज्यादा अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने कभी अपना महत्व नहीं जताया. नतीजा यह हुआ कि वे वोट लाती थीं और कांग्रेसी अपना चमत्कार समझकर गैर जवाबदेही से काम करते थे. हार जाते थे, तो दोष राहुल पर, जीत का सेहरा खुद के माथे. सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नेतृत्व ने सही किया. ताकत बताना जरूरी था. अजय माकन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, तो इतना आसानी से कहा जा सकता है कि उन्होंने केवल यूं ही अच्छा लगने पर ट्वीट को रिट्वीट नहीं कर दिया होगा.
किसी भी राज्य में कोई क्षत्रप अपने दम पर नहीं जीतता है। गांधी नेहरू परिवार के नाम पर ही गरीब, कमजोर वर्ग, आम आदमी का वोट मिलता है।मगर चाहे वह अमरिन्द्र सिंह हों या गहलोत या पहले शीला या कोई और! मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं कि उनकी वजह से ही पार्टी जीती।1/2
— Shakeel Akhtar (@shakeelNBT) July 18, 2021
इस रिट्वीट के मायने तब और बढ़ जाते हैं, जब उनके पास राजस्थान का प्रभार हो. प्रदेश कांग्रेस के सभी सियासी मसलों को सुलझाने का भार अजय माकन के पास है, तो उनका ये रिट्वीट खुद-ब-खुद ही सारी कहानी कह देता है. अजय माकन ने करीब दो महीने पहले एनबीटी को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि सचिन पायलट कांग्रेस के लिए एसेट हैं. राजस्थान में सरकार बनाने में उनका बड़ा योगदान है और पार्टी आने वाले समय में उन्हें कोई भूमिका सौंपेगी. अजय माकन के इस रिट्वीट को अशोक गहलोत के लिए एक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल, कुछ समय पहले ही सचिन पायलट ने दिल्ली का दौरा किया था. लेकिन, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी थी. लेकिन, माना जा रहा था कि सचिन पायलट को आश्वासन दे दिया गया है कि राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये पायलट खेमे को संतुष्ट कर दिया जाएगा.
कांग्रेस आलाकमान की बात को अनसुना कर रहे गहलोत
इसी महीने राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) के कुछ नेता प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मिलने पहुंचे थे. बताया जा रहा था कि ये वो नेता हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव में 13 निर्दलीयों और बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों से हार गए थे. इन नेताओं का आरोप था कि गहलोत सरकार और संगठन में इनकी अनदेखी की जा रही है. संगठन संभालने का काम पुराने कार्यकर्ताओं की जगह निर्दलीयों और बसपा से आए विधायकों को ही दे दिया गया है. हालांकि, इन नेताओं की अजय माकन से मुलाकात नहीं हो सकी थी. लेकिन, माना जा सकता है कि संगठन में मची इस हलचल से राजस्थान के प्रभारी वाकिफ हो ही गए होंगे.
संगठन में मची इस हलचल से इतर अशोक गहलोत काफी समय से कांग्रेस आलाकमान के मंत्रिमंडल विस्तार के फैसले को टालते आ रहे हैं. उन्होंने काफी हद तक अमरिंदर सिंह वाला फॉर्मूला ही अपना रखा है. अजय माकन लंबे समय से सचिन पायलट को मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सांत्वना दे रहे हैं. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अजय माकन ने अशोक गहलोत से मुलाकात कर उन्हें कांग्रेस आलाकमान के फैसले के अवगत करा दिया था. हालांकि, इसके बावजूद अशोक गहलोत लगातार इसे टालते जा रहे हैं. माना जा रहा था कि अशोक गहलोत ने रणनीति के तहत पंजाब में सिद्धू और कैप्टन के बीच चल रही खींचतान के फैसले का इंतजार किया. अब पंजाब को लेकर फैसला आ चुका है, तो अशोक गहलोत पूरी तरह से वेट एंड वॉच की मुद्रा में आ चुके हैं.
कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया जी ने श्री नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर दी है।श्री सिद्धू को बधाई व शुभकामनाएं।उम्मीद है कि वे कांग्रेस पार्टी की परम्परा का निर्वहन भी करेंगे व सभी को साथ लेकर पार्टी की रीति-नीति को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे। pic.twitter.com/8RDcQG6Yif
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 19, 2021
खैर, अजय माकन के रिट्वीट का असर भी काफी हद तक सामने आ गया है. अशोक गहलोत ने एक ट्वीट के जरिये सिद्धू को बधाई देते हुए सचिन पायलट खेमे के लिए नरमी के संकेत दे दिए हैं. दरअसल, पंजाब में सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अशोक गहलोत पर अपने आप ही दबाव पड़ गया है. हालांकि, कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी सरकार के खिलाफ बगावत करने के लिए अशोक गहलोत भी पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह की तरह ही सचिन पायलट से भी सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की शर्त रख सकते हैं. लेकिन, ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
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