राजस्थान में कोरोना संक्रमित लोग खतरनाक खेल खेलते रहे, सरकार सोती रही
राजस्थान में कोरोना वायरस (Rajasthan Coronavirus cases) के पैर पसारने का मामला किसी अपराध से कम नहीं है. कोरोना संक्रमित लोगों ने खुद को छुपाने की साजिश रची. और जब तक अशोक गेहलोत सरकार (Ashok Gehlot govt) नींद से जागी, कोरोना का दानव बस के बाहर हो चुका था.
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राजस्थान में कोरोना वायरस (Rajasthan Coronavirus cases) तेजी से पैर पसार रहा है. अगर राजस्थान की जनसंख्या को देखें तो आबादी महज छह करोड़ के आसपास है, मगर कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मामले (Total coronavirus cases) में दिल्ली से बराबरी कर रहा है. सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है. यह किसकी लापरवाही है. कनिका कपूर (Kanika Kapoor) का मामला मीडिया में हाईलाइट हो रहा है मगर इस देश में कई सारे कनिका कपूर हैं जिन्होंने लाखों लोगों की जिंदगी दांव पर लगा दी है.
कभी-कभी गुस्से में लोग कह देते हैं कि हिंदुस्तान तो पढ़े-लिखे जाहिलों का देश है. भारत के नागरिक होने के नाते यह बात हमें भी बुरी लगती है कि जिस देश में इतने महान और ज्ञानी लोग हुए हैं, उस देश को जाहिलों का देश कहना ठीक नहीं है. लेकिन यह भी कहा जाता है कि किसी समाज का असली चेहरा विपत्ति में ही सामने आता है, अगर इस नजरिए से हम देखे तो वाकई में कह सकते हैं कि देश में जाहिलों की कोई कमी नहीं है जिनकी लापरवाही की वजह से देश कोरोना वायरस का दंश झेल रहा है.
राजस्थान में जब कोरोना वायरस का पहला मामला इटैलियन टूरिस्ट में सामने आया था तभी आवाज उठी थी कि सरकार कोरोना वायरस से संक्रमित देशों से लोगों के आने पर रोक क्यों नहीं लगा रही है, मगर हमारी सरकारें दूसरों की गलतियों से नहीं सीखीं.
राजस्थान में कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान के लिए जो तेजी दिखाई गई है, उसमें काफी देर हो गई है.
कहते हैं महान वह नहीं कहलाता है जो अपनी गलतियों से सीखे, महान वह बनता है जो दूसरों की गलतियों से सीखे. मगर हम इस मुश्किल घड़ी में भी चूक गए. हमने इतनी लापरवाही की कि हमारे यहां कोरोना वायरस से संक्रमित देशों से लोग आते रहे और हम बेखबर चैन से सोते रहे. अभी दो इटैलियन टूरिस्टों का मामला खत्म भी नहीं हुआ था कि एक बुजुर्ग दुबई से कोरोनावायरस लेकर आ गए. इसके बाद 24 साल का एक लड़का स्पेन कोरोना वायरस लेकर आ गया. तब भी यह मामला उठा कि यह सरकार हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी है. कोरोना वायरस तेजी से फैल जाएगा. सरकार बाहर से आने वाले लोगों को क्वॉरेंटाइन करने की कोई व्यवस्था क्यों नहीं कर रही है. पर तब सरकार शुतुरमुर्ग की तरह जमीन में सिर गाड़ कर सोच रही थी कि कोरोना वायरस नाम का शिकारी उसे देख नहीं रहा है.
इसके बाद 8 मार्च को इटली में रहने वाला झुंझुनू का परिवार दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा और सीधे टैक्सी लेकर गांव चला आया. गांव में घूमता रहा और जब 16 मार्च को दोस्तों के साथ पार्टी करने के दौरान उसकी तबीयत खराब हुई तब वह अस्पताल पहुंचा. रिपोर्ट में पति, पत्नी और बच्चे तीनों कोरोना वायरस के पॉजिटिव निकले. अब ऐसा हड़कंप मचाया है कि पूरे झुंझुनू में कर्फ्यू लगा है और परिवार के तीनों लोगों को जयपुर में आइसोलेशन में भर्ती कराया गया हैं.
इसके बाद स्पेन में नौकरी कर रहे पढ़े-लिखे 30 साल की दंपत्ति की भी बात कर लेते हैं. ढाई साल के बच्चे के साथ ये लोग दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे और टैक्सी लेकर सीधे जयपुर में होटल में आ गए. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें पता था कि वह पॉजिटिव हैं. उनकी जांच पहले ही स्पेन में हो चुकी थी. तबीयत बिगड़ने पर ये अस्पताल पहुंचे,लेकिन उससे पहले बड़ी संख्या में लोगों के संपर्क में आ चुके थे. अब टैक्सी ड्राइवर से लेकर होटल कर्मचारी तक सब आइसोलेशन में हैं. अभी यह हड़कंप मचा ही था कि जयपुर के रंगोली गार्डन जैसे पॉश सोसाइटी में एक महिला इंग्लैंड से आकर रह रही थी वह कोरोना पॉजिटिव निकली. 18 मार्च को स्विट्जरलैंड के होटल में काम करने वाला युवक दिल्ली एयरपोर्ट से निकला और सीधे अपने फागी गांव चला गया वहां तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल आया तो वह भी करोना पॉजिटिव निकला.
अब समझ में नहीं आता है कि किसको दोष दिया जाए. देश के इन जाहिल नागरिकों को जिनकी वजह से आज हजारों लोग कोरोना वायरस के खतरे से जूझ रहे हैं या फिर उस सरकार की जो मीडिया में चाक चौबंद व्यवस्था के दावे तो करती है मगर बाहर से आने वाले लोगों को अभी तक क्वॉरेंटाइन नहीं कर रही है और दिल्ली एयरपोर्ट से निकलकर सीधे अपने गांव और शहर में जाकर लोगों को संक्रमित कर रहे हैं.
पढ़ाई लिखाई व्यक्ति को इंसान नहीं बना सकती है. इंसान बनाने के लिए तो संस्कार और सोच होनी चाहिए. इनमें से ज्यादा लोग पढ़े-लिखे ही हैं जो गंवारों की तरह हरकत कर रहे हैं. अब भीलवाड़ा के डॉक्टर साहब को ले लीजिए. इनसे बड़ा कोई डॉक्टर नहीं है भीलवाड़ा में और न इनके अस्पताल से बड़ा कोई अस्पताल वहां है. मगर सऊदी अरबिया से आए अपने दोस्त को घर में रखा और फिर पूरे शहर के मरीजों का इलाज भी करते रहे. अब हालात ऐसे हैं कि भीलवाड़ा में कर्फ्यू है और डॉक्टर साहब समेत अस्पताल के 6 लोगों में कोरोना वायरस होने की पुष्टि हो गई है.
कुछ लोग कह रहे हैं कि भारत लोकतांत्रिक देश है. इसमें चीन की तरह सख्ती नहीं की जा सकती क्योंकि लोग एयरपोर्ट पर चिल्लाना शुरू कर देते हैं कि हमें गोली मार दो. मगर 20 मार्च के बाद अगर सख्ती हो सकती है तो इसके 15 दिन पहले सकती क्यों नहीं हो सकती थी, यह समझ में नहीं आ रहा है. राजस्थान की सरकार कहती है कि बाहर से आने वाले लोगों को केंद्र की सरकार ने दिल्ली एयरपोर्ट पर नहीं रोका. माना कि केंद्र सरकार ने भारी गलती की है मगर राजस्थान सरकार ने अपने संसाधन क्यों नहीं बढ़ाए कि जिसके आधार पर इन्हें खबर मिल पाती कि कौन लोग इन देशों से आकर किन-किन शहरों में रह रहे हैं.
राजस्थान सरकार अब जागी है. 31 मार्च तक पूरे राज्य को लॉकडाउन कर देने का निर्देश दिया है. छोटे-छोटे शहरों कस्बों में ऐसे लोगों को पकड़कर जयपुर लाया जा रहा है, जो पिछले 15 दिनों में विदेश से आकर छुपे हुए रह रहे थे. और इन्हीं की वजह से कोरोना वायरस फैल रहा था. हद ये हो गई है कि क्वारंटाइन किए गए लोग हंगामा मचा रहे हैं. इनके सरकार की यह सख्ती अगर पहले हो जाती, तो राज्य को लॉकडाउन नहीं करना पड़ता.
अब बात केंद्र सरकार की. देश जिस संकट की घड़ी से गुजर रहा है उसे देखते हुए नरेंद्र मोदी को कड़े फैसले लेने होंगे और लोगों को जबरन आइसोलेशन में भेजना होगा. वरना भारत को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जयपुर की सड़कों पर आज का नजारा था कि थाने की पुलिस दौड़ा-दौड़ा कर दुकानें बंद करवा रही थी. लोगों की भीड़ को भगा रही थी. देश के लोगों को इतनी भी परवाह नहीं है कि अगर सरकार कहती है कि दो-चार दिन दुकानें बंद रखें और धारा 144 का सम्मान करें तो सरकार की बात को माने. अगर जनता नहीं मानती है तो सरकार के पास अब सख्ती के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. देश ने नरेंद्र मोदी पर कई कड़े फैसले लेने के बावजूद भरोसा किया है. उम्मीद की जा रही है कि वह इस बार भी कोई कड़े फैसले लेंगे और इस तेजी से फैलते संक्रमण को रोकेंगे.
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