विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान में लड़ाई अब कांग्रेस vs कांग्रेस है
राजस्थान में बेहद खराब स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर हंगामा करना शुरू कर दिया है. आगजनी और मार-पीट की घटनाएं भी हो रही हैं. जीत का जश्न मनाने के बजाए कांग्रेस कार्यकर्ता गुटों में बंट कर हंगामा कर रहे हैं.
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चुनावी नतीजे आने से पहले जो लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच थी, अब वो कांग्रेस vs कांग्रेस हो गई है. इसका उदाहरण आपको सड़कों पर दिख जाएगा. भले ही राजस्थान हो, मध्य प्रदेश हो या फिर छत्तीसगढ़ क्यों ना हो, हर जगह कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में झड़प देखने को मिल रही है. लेकिन सबसे खराब स्थिति राजस्थान में पैदा हो गई है जहां कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर हंगामा करना शुरू कर दिया है. आगजनी और मार-पीट की घटनाएं भी हो रही हैं. यूं लग रहा है मानो जीती कांग्रेस हो और मुख्यमंत्री भाजपा का बनने जा रहा है, जिससे कांग्रेस कार्यकर्ता गुस्से में हों. कांग्रेस के दो फाड़ हो चुके हैं. जगह-जगह भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ रहा है. वहीं पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अब तक ये फैसला नहीं कर पाए हैं कि मुख्यमंत्री किसे बनाना है. राहुल के फैसला करने में देरी की वजह से ही सड़कों पर धुआं उठना शुरू हो गया है.
राजस्थान में कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर हंगामा करना शुरू कर दिया है.
राजस्थान में कांग्रेस भले ही जीत गई हो, लेकिन कार्यकर्ताओं में खुशी की जगह एक रोष देखने को मिल रहा है. कार्यकर्ता उग्र होकर सड़कों पर घूम रहे हैं और हंगामा कर रहे हैं. पार्टी दफ्तर के बाहर खड़े लोग दो गुटों में बंट गए हैं. एक गुट सचिन पायलट की तस्वीरों को फूल-माला चढ़ा रहा है और दूसरा गुट अशोक गहलोत की जय-जयकार कर रहा है. भाजपा और कांग्रेस के बीच जनता ने कांग्रेस को चुन लिया है, लेकिन कांग्रेस सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सारथी नहीं चुन पा रही है.
Rajasthan: Supporters of Sachin Pilot block road in Karauli. pic.twitter.com/AlcUQntL0C
— ANI (@ANI) December 13, 2018
अशोक गहलोत ने टीवी के जरिए कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने की अपील की है. वहीं दूसरी ओर, सचिन पायलट ने ट्वीट कर के लोगों से अनुशासन बनाए रखने के लिए कहा है, लेकिन राजस्थान में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. भले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय करने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन उनकी इस कोशिश में जितनी देर होगी, सड़कों पर स्थिति उनती ही अधिक खराब हो सकती है.
सभी कार्यकर्ताओं से शांति एवं अनुशासन बनाए रखने का आग्रह करता हूँ. मुझे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर पूरा विश्वास है, माननीय राहुल गाँधी जी एवं श्रीमती सोनिया गाँधी जी जो फ़ैसला लेंगे उसका हम स्वागत करेंगे.हम सभी कांग्रेस के समर्पित,पार्टी की गरिमा बनाये रखना हम सभी की ज़िम्मेदारी
— Sachin Pilot (@SachinPilot) December 13, 2018
मध्य प्रदेश में भी हालात ऐसे ही हैं. चुनाव के दौरान कांग्रेस ने किसी को भी मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर पेश नहीं किया. ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ ने जी तोड़ मेहनत की और कांग्रेस जीत भी गई. लेकिन अब कांग्रेस में गुटबाजी शुरू हो गई है. एक गुट चाहता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें और दूसरा गुट कमलनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा देखना चाहता है. राहुल गांधी एक के बाद एक कई बैठकें कर चुके हैं, लेकिन अभी तक ये हल नहीं निकाल पाए हैं मध्य प्रदेश की सत्ता किसके नेतृत्व में चलाई जाए. पार्टी दफ्तर के बाहर दोनों ही नेताओं के पोस्टर तक लगा दिए गए हैं.
पार्टी दफ्तर के बाहर दोनों ही नेताओं के पोस्टर तक लगा दिए गए हैं.
जैसा हाल राजस्थान और मध्य प्रदेश में है कुछ वैसी ही तस्वीर छत्तीसगढ़ से भी देखने को मिल रही है. यहां पर मुख्यमंत्री पद का मुख्य चेहरा भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू हैं. कुछ लोग चाहते हैं कि सत्ता बघेल को मिले और कुछ लोग ताम्रध्वज साहू के साथ खड़े दिख रहे हैं. कुछ तो टीएस देव को भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मान रहे हैं. इसी बीच भूपेश बघेल के घर के बाहर समर्थक आपस में भिड़ते हुए भी दिखे थे. खैर, मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला तो आलाकमान ही करेंगे, लेकिन अगर फैसले में अधिक देरी होती है तो हंगामा बढ़ेगा ही.
भूपेश बघेल के घर के बाहर समर्थक आपस में भिड़ते हुए भी दिखे थे.
छत्तीसगढ़ में तो भाजपा और कांग्रेस की जीत में एक बड़ा अंतर है, लेकिन अन्य दोनों जगहों पर ऐसा नहीं है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में हो रही छुट-पुट घटनाओं से तो कांग्रेस को अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान में चिंता करना लाजमी है. खासकर मध्य प्रदेश में, जहां चंद सीटें ही कांग्रेस का पूरा खेल बिगाड़ सकती हैं. कहीं ऐसा ना हो कि कांग्रेस से नाराज होकर कुछ विधायक पाला बदल कर भाजपा से जा मिलें और कांग्रेस जीती हुई बाजी भी हार जाए.
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