रामगोपाल यादव की वापसी से क्या खत्म हो गया सपा का संकट ?
उत्तर प्रदेश में महाभारत अगले साल होनी है, लिहाजा सभी सैनिकों को साथ लेकर मुलायम सिंह ने बड़ी ही चतुराई से पहले उन्हें अपनी उंगलियों पर नचाया और अब एक साथ मुट्ठी में कर लिया है.
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राम गोपाल यादव का पार्टी में वापसी के साथ ही सपा में चल रहा ग्रह युद्ध अब शांति की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में असली महाभारत की लड़ाई अगले साल लड़ी जानी बाकी है, लिहाजा सभी सैनिकों को साथ लेकर सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने बड़ी ही चतुराई से पहले उन्हें अपनी उंगलियों पर नचाया अब मुट्ठी में एक साथ कर लिया है. फर्क इतना है कि रामगोपाल यादव के निलंबन पर शिवपाल यादव के हस्ताक्षर थे और अब वापसी पर पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह के.
शिवपाल यादव ने 23 अक्टूबर को पार्टी से रामगोपाल यादव का पार्टी से निकाल दिया था. |
तब शिवपाल ने रामगोपाल पर आरोप लगाया था कि रामगोपाल सीबीआई से बचने के लिए बीजेपी से मिल गए हैं. शिवपाल ने यह भी कहा था कि रामगोपाल का बेटा अक्षय और बहू घोटाले में फंसे हैं व सीबीआई जांच से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं. गौरतलब है कि रामगोपाल यादव का बेटा-बहू नोएडा के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह के घोटाले में आरोपी हैं.
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असली सवाल अब यह है कि यह शांति मुलायम कुनबे को कब तक एक रख पाएगी? क्या अब टिकटों को लेकर मारामारी नहीं होगी, टिकटों को लेकर अखिलेश-रामगोपाल बनाम शिवपाल-अमर सिंह-मुख्तार अंसारी नहीं होगा? इसका जवाब तो शायद आने वाला समय ही बताएगा, यह खासकर दिलचस्प होगा की जहां अखिलेश साफ सुथरी छवि के लोगों को अपने साथ चाहेंगे वहीं दूसरा ग्रुप एनकेन प्रकारेण अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए सभी प्रकार के लोगों को टिकट के लिए मारामारी करेगा.
चुनाव के बाद का परिदृश्य
यदि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव में जीत जाती है तो पार्टी में शांति रहेगी, क्यूंकि यह नहीं भूलना चाहिए कि मुलायम सिंह अब भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. और चुनाव जीत जाने के बाद उन्हें अगर थोड़ा भी अगर बगर दिखाई दिया तो वे खुद को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने से नहीं चूकेंगे. लेकिन अगर पार्टी किन्हीं कारणों से सत्ता तक नहीं पहुंच पाई तब अखिलेश बनाम शिवपाल की लड़ाई सरे आम हो जायगी और पार्टी विभाजन के कगार तक भी जा सकती है.
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अब वापसी की लिए इनकी बारी
अखिलेश के सबसे बड़े सारथी तो वापस आ गए हैं लेकिन उनकी युवा टीम की कब वापसी होगी इस पर शायद मुलायम सिंह जल्द ही फैसला लेंगे. जिन्हें निकाला गया था. अरविंद प्रताप यादव, सुनील सिंह यादव, सदस्य विधान परिषद्, आनंद भदौरिया, सदस्य विधान परिषद्,मोहम्मद ईबाद, अध्यक्ष प्रदेश यूथ, ब्रजेश सिंह यादव, संजय लाठर, गौरव दुबे, दिग्विजय सिंह देव. सुनील सिंह यादव और आनंद भदौरिया दोनों अखिलेश यादव के बेहद करीबियों मैं हैं. अरविंद प्रताप यादव राम गोपाल यादव के सगे भांजे हैं. देखना है इनकी वापसी कब तक होती हैं .
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