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Updated: 17 फरवरी, 2017 07:52 PM
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बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 33 साल पहले घटी एक घटना याद दिलाई. 33 साल पहले समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पर एक जानलेवा हमला हुआ था. ऐसा माना जाता है कि ये हमला कांग्रेस पार्टी के इशारे पर किया गया था. उस वक्त राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. मुलायम सिंह तब चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोक दल के नेता थे और विधान परिषद् में विपक्ष के नेता थे.

8 मार्च 1984 को हिंदी के दैनिक अखबार जनसत्ता में छपी खबर में लिखा गया था कि-

"4 मार्च को लोकतांत्रिक मोर्चा के उत्तर-प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष और विधान-परिषद् में विपक्ष के नेता मुलायम सिंह यादव पर जानलेवा हमला किया गया. बाइक पर सवार दो लोगों छोटेलाल और नेत्रपाल ने हमला किया था. मुलायम सिंह की गाड़ी के आगे ये लोग बाइक लेकर चल रहे थे. बाइक चलाने वाले छोटेलाल को मौके पर ही मार गिराया गया जबकि नेत्रपाल गंभीर रुप से घायल है. हमले के वक्त मुलायम सिंह मैनपुरी ज़िला स्थित कुर्रा पुलिस स्टेशन के माहिखेड़ा गांव से इटावा वापस लौट रहे थे.

श्री यादव ने संवाददाताओं से कहा कि वह 2 मार्च के बाद से इटावा जिले के दौरे पर हैं और सार्वजनिक बैठकों में भाग ले रहे हैं. 4 मार्च को 5 बजे के आस-पास उन्होंने इटावा और मैनपुरी के बॉर्डर पर स्थित झींगपुर गांव में लोगों को संबोधित करने के बाद वो माहीखेड़ा गांव में अपने एक दोस्त से मिलने गए थे. मैनपुरी से वो लगभग 9.30 बजे निकले और मुश्किल से 1 किलोमीटर दूर तक ही चले होंगे उन्हें अपनी गाड़ी के आगे गोलियों की आवाज़ सुनाई देने लगी.

mulayam_650_021717024625.jpg33 साल पहले बाल-बाल बचे थे नेता जी

ड्राइवर ने देखा कि आगे चल रहे दो बाइक सवार गाड़ी के सामने कूद पड़े और फायरिंग शुरु कर दी. मुलायम सिंह के साथ चल रहे पुलिसवालों ने जवाबी फायरिंग की. हमलावरों और पुलिसकर्मियों के बीच ये फायरिंग करीब आधे धंटे तक चली. हमलावरों के तरफ से गोलीबारी बंद होने के बाद सुरक्षाकर्मी मुलायम सिंह को एक जीप में 5 किलोमीटर दूर कुर्रा पुलिस स्टेशन तक लेकर गए.

गोली लगने से छोटेलाल की मौके पर ही मौत हो गई थी. वो एक प्राइमरी स्कूल टीचर था और मुलायम सिंह के साथ ही चल रहा था. नेत्रपाल को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मुलायम सिंह की कार पर 9 गोलियों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे. सभी गोलियां गाड़ी के उसे हिस्से में चलाई गई थी जिधर नेता जी अक्सर बैठते हैं.

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बिना किसी का नाम लिए मुलायम सिंह ने कहा कि 'ये उनकी हत्या करने की सोची-समझी साजिश थी और उन्हें भगवान ने ही बचाया है. मुझे कुछ दिन पहले बताया गया था कि मुझ पर जानलेवा हमला हो सकता है. लेकिन मैंने उसपर ध्यान नहीं दिया था.' घटना के समय मुलायम सिंह यादव के साथ मौजूद कारहाल के पूर्व विधायक नत्थू सिंह यादव ने पत्रकारों को बताया कि इटावा और मैनपुरी में लोक दल के कार्यकर्ता डर के साए में जी रहे हैं.

लोकदल के ईटावा ईकाई के अध्यक्ष महाराज सिंह यादव ने राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री बलराम सिंह यादव के समर्थकों पर हमले का आरोप लगाया. महाराज सिंह ने ये भी कहा कि अब कांग्रेस पार्टी अपराधियों के जरिए राजनीति करना चाहती है.

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