उत्तर-दक्षिण कोरिया की तरह भारत-पाकिस्तान कभी एक नहीं हो सकते, क्योंकि...
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के साथ आने के बाद भारत पाकिस्तान की दोस्ती पर भी बातें हो रही हैं. मगर ऐसे कई कारण हैं जो बता रहे हैं कि ये दोनों मुल्क कभी एक नहीं हो सकते.
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अब इसे वक़्त की ज़रूरत कहें या एक सोची समझी रणनीति 65 सालों तक एक दूसरे के दुश्मन रहे उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया एक दूसरे के दोस्त हो गए हैं. दोनों ही देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने तमाम तरह के शांति समझौते कर जहां एक तरफ दुनिया को अपनी ताकत का परिचय दिया तो वहीं आलोचकों की आलोचना पर भी विराम लगाया. अमेरिका जैसे देश तक ने दोनों ही देशों की इस मुलाकात पर अपना आश्चर्य प्रकट किया है.
अब चूंकि दोनों एक हो गए हैं ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या कभी ऐसे ही भारत पाकिस्तान एक हो पाएंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो इस मुलाकात के बाद दुनिया भर के शांतिप्रिय लोग कयास लगा रहे हैं कि जब उत्तर और दक्षिण कोरिया जैसे एक दूसरे के धुर विरोधी देश एक हो सकते हैं तो भारत पाकिस्तान भी एक दूसरे के दोस्त बन सकते हैं.
एक बड़े वर्ग द्वारा लगातार ये कहा जा रहा है कि अब भारत और पाकिस्तान को भी एक हो जाना चाहिए
हकीकत और फसाने में अंतर है. हकीकत ये है कि इतिहास में कई मौके ऐसे आए हैं जब भारत ने तो अपनी तरफ से दोस्ती का हाथ बढ़ाया मगर हमेशा की तरह तमाम कसमों और वादों के बावजूद पाकिस्तान ने भारत के साथ छल किया. इस बात को यदि बेहतर ढंग से समझना हो तो हम कारगिल युद्ध से पहले के घटना क्रम पर एक नजर डाल सकते हैं. युद्ध से पहले जिस तरह मुलाकातों और आने जाने का दौर चला एक बार तो लगा कि दोनों ही देशों में कुछ अच्छा और सार्थक होने वाला है.वर्तमान में भी पीएम मोदी अपनी तरफ से इस बात का भरसक प्रयास कर रहे हैं कि दोनों ही देशों का आपसी सौहार्द बना रहे मगर जिस तरह पाकिस्तान लगातार सीज़फायर को ताख पर रख कर भारत की सीमा में घुसबैठ कर रहा है उसको देखकर साफ है कि पाकिस्तान अपनी आदत से मजबूर है और इतनी आसानी से मानने वाला नहीं है.
So if the Koreas can do it, when will India and Pakistan follow? Can't change your neighbours friends!????
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 28, 2018
बहरहाल अब जब समाज का एक बड़ा वर्ग इस बात पर अपनी सहमति जता रहा है कि उत्तर और दक्षिण कोरिया की देखा देखी भारत और पाकिस्तान एक हो सकते हैं तो आइए उन कारणों पर नज़र डालें जिनको देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लग जाएगा कि एक दूसरे के धुर विरोधी ये दो देश कभी आपस में एक नहीं हो सकते.
उत्तर और दक्षिण कोरिया को एक होने में समस्या इसलिए भी नहीं आई क्योंकि दोनों ही देश एक ही धर्म का पालन करते हैं
एक न होने की एक बड़ी वजह दोनों देशों के धर्म हैं
भारत में बहुतायत हिंदुओं की है इसी तरह पाकिस्तान मुस्लिम बाहुल्य देश है. अब इस बात को अगर उत्तर और दक्षिण कोरिया के मद्देनजर देखें तो मिलता है कि दोनों ही देशों का धर्म और पूजा पाठ का तरीका लगभग एक जैसा है. हो सकता है इस बात को व्यक्ति नकार दे मगर जब इसे गहनते से देखें तो मिलता है कि दोनों देशों के एक न होने के पीछे की ये एक बड़ी वजह है. कहा ये भी जा सकता है कि यदि आजादी के बाद पूरा एक वर्ग भारत में और दूसरा अगर पाकिस्तान में रहता तो आज ये समस्या इतनी बड़ी न होती. चूंकि दोनों ही देशों में मिले जुले लोग वास करते हैं उसमें भी भारत में मुसलामानों की एक बड़ी संख्या का वास इस समस्या को और भी गंभीर बनाती है. अतः ये कहना कहीं से भी गलत न होगा कि दोनों देशों के एक न होने के पीछे सबसे बड़ी वजह धर्म है.
बात जब भारत पाकिस्तान की दोस्ती की हो तो ये तब ही संभव होगा जब पाकिस्तान की सेना इसपर अपना दखल दे
पाकिस्तान को केवल वहां की सेना ही कर सकती है दुरुस्त
चाहे उत्तर कोरिया हो या फिर दक्षिण कोरिया दोनों ही किसी मामले में कम नहीं हैं. बात जब प्रशासन और शासन की हो तो दोनों ही देशों की सबसे बड़ी खास बात ये है कि दोनों ही देश अपने हुक्मरानों के अनुसार चलते हैं यानी जब किम ने कह दिया है कि वो शांति चाहते हैं तो उनका साथ उनकी सेना भी देगी, अब यदि इस बात को पाकिस्तान के सन्दर्भ में रखकर देखें तो मिलता है कि वहां सेना अगर है राजनीति अलग. पाकिस्तान में सेना कुछ औ कहती है राजनेता कुछ और करते हैं. यदि इस बात को भारत के साथ दोस्ती के बिंदु पर रखकर देखें तो मिलता है कि एक बार भले ही पाकिस्तानी आवाम और नेता भारत से दोस्ती चाह लें मगर वहां की सेना नहीं चाहेगी. इसी तरह अगर सेना ने भारत से दोस्ती के विषय में सोचा तो आवाम और राजनेता साथ नहीं देंगे.
ये बात अचरज में डालने वाली है कि हमेशा ही पाकिस्तान ने भारत के साथ धोखा किया और सीजफायर का उल्लंघन किया
भारत से दोस्ती के लिए पाकिस्तान को बंद करनी होगी अवैध घुसपैठ, सीजफायर का उल्लंघन
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं जब जब बात भारत पाकिस्तान की दोस्ती की आई है तो भारत ही वो देश है जिसने दोस्ती की पहल की है. यदि पाकिस्तान को भारत से हाथ मिलाना है तो उसे सबसे पहले तो भारतीय सरहदों पर लगातार की जा रही घुसबैठ को विराम देना होगा साथ ही उसे सीजफायर का उल्लंघन करना भी बंद करना होगा. जैसा की हम पूर्व में देखते आए हैं वर्तमान परिदृश्य में पाकिस्तान के लिए ये सब बंद करना एक टेढ़ी खीर है.
ये कहना गलत नहीं है कि यदि दोनों ही मुल्कों को साथ आना है तो उन्हें पिछली बातें भूलनी होंगी
भूलनी होंगी अतीत की गलतियां
शायद ये बात सुनने में थोड़ी अटपटी लगे मगर दोस्ती के लिए सबसे जरूरी है अतीत की डायरी में दर्ज हुई गुजरी बातें भूलना. इस मामले में पाकिस्तान उत्तर और दक्षिण कोरिया से सबक लेना होगा. आज दोनों ही देश जिस तरह एक दूसरे से सारे गोले शिकवे भूल के सामने आए हैं वो भारत और पाकिस्तान के मामले में मुश्किल है. दोनों ही देशों के एक न होने के लिए इसे भी एक बड़ी वजह के रूप में देखा जा सकता है.
इन सारी बातों को जानकार बहुत सी चीजें शीशे की तरह साफ हो जाती हैं और बता देती हैं कि ये दोनों ही मुल्क कभी एक नहीं हो सकते. अतः जो लोग इनके एक होने की वकालत कर रहे हैं उन्हें ये सोचना चाहिए कि दोस्ती की पहल के लिए हमेशा भारत ने ही हाथ आगे किया है और जब बारी पाकिस्तान की आई तो उसने और कुछ नहीं बस भारत की पीठ में छूरा घोंपने का काम किया है.
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