दांडी मार्च में सरदार पटेल को हीरो बनाकर कांग्रेस पर नमक छिड़का है मोदी ने
दांडी मार्च का वर्णन करते हुए जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में गांधी जी को दरकिनार कर सरदार पटेल को हीरो बनाया है. ये साफ बताता है कि पीएम को मौके पर चौका मारना आता है.
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भारत के इतिहास में 12 मार्च का अहम योगदान है.12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने 78 लोगों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी तक पैदल मार्च किया और अंग्रेजों की नीतियों का अपने अंदाज में विरोध किया था. इस घटना को बीते 89 साल हो चुके हैं. घटना और उसके महत्व को याद करते हुए पीएम मोदी ने ब्लॉग लिखा है. अपने इस ताजे ब्लॉग में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पार्टी और उसकी नीतियों पर निशाना साधा है. पीएम मोदी का मानना है कि गांधीवाद के उलट विचार पेश करना कांग्रेस की संस्कृति का हिस्सा रहा है. पीएम द्वारा लिखे इस ब्लॉग का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि जिस तरह मोदी ने सरदार पटेल को हीरो बनाया है उससे कांग्रेस की बेचैनी अवश्य ही बढ़ेगी.
2019 के आम चुनाव से पहले पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग के जरिये कांग्रेस पर एक बार फिर बड़ा हमला किया है
पीएम ने लिखा है कि, '89 वर्ष पहले आज ही का वो दिन था, जब बापू ने ऐतिहासिक दांडी मार्च की शुरुआत की थी. हालांकि, दांडी मार्च अंग्रेजों के अन्यायपूर्ण नमक कानून का विरोध करने के उद्देश्य से निकाला गया था. लेकिन, इस आंदोलन ने अंग्रेजी शासन की नींव को हिला दिया था. दांडी मार्च अन्याय और असमानता से लड़ने का एक मजबूत प्रतीक बन गया. क्या आपको पता है कि दांडी मार्च की योजना तैयार करने में किसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी? दरअसल, इसके पीछे हमारे महान नेता सरदार वल्लभभाई पटेल थे.
पटेल के विषय में पीएम मोदी लिखते हैं कि, 'वे संगठन की बारीकियों को समझते थे. उन्होंने दांडी मार्च की ना केवल रूपरेखा तैयार की, बल्कि पल-पल उस पर अपनी पैनी नजर भी बनाए रखी थी. अंग्रेज, सरदार साहब से इतने अधिक भयभीत हो गए थे कि उन्होंने दांडी मार्च से कुछ दिन पहले ही उन्हें यह सोच कर गिरफ्तार कर लिया था कि इससे गांधी जी डर जाएंगे. हालांकि, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. क्योंकि अंग्रेजी साम्राज्य से लड़ने का मजबूत इरादा हर मुश्किल और डर पर भारी था.'
महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने लिखा है कि, गांधी जी ने हमें सिखाया है कि कोई भी कार्य करने से पहले हम समाज के उस गरीब से गरीब व्यक्ति की परेशानियों के बारे में सोचें और यह विचार करें कि हमारे द्वारा किया गया कार्य उस व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है. मुझे यह कहते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि हमारी सरकार ने हर क्षेत्र में जो भी कार्य किया है, उसमें इस चिंतन को समाहित किया गया है कि इससे कैसे गरीबी दूर होगी और समृद्धि आएगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की संस्कृति गांधीवादी विचारधारा के बिल्कुल विपरीत हो चुकी है.
बापू के हवाले से पीएम मोदी ने ये भी लिखा है कि, 'बापू ने कहा था,...मेरे लिए भारत की असली आजादी वो है, जब देशवासियों में भाईचारे की अटूट भावना हो.' गांधी जी ने हमेशा अपने कार्यों के माध्यम से ये संदेश दिया कि असमानता और जाति विभाजन उन्हें किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है. दुख की बात है कि कांग्रेस ने समाज को विभाजित करने में कभी संकोच नहीं किया. सबसे भयानक जातिगत दंगे और दलितों के नरसंहार की घटनाएं कांग्रेस के शासन में ही हुई हैं.
बापू ने 1947 में कहा था, 'समाज का नेतृत्व करने वाले सभी बुद्धिजीवियों और नेताओं का कर्तव्य है कि वे भारत के सम्मान की रक्षा करें, चाहे उनका राजनीतिक रुझान कुछ भी हो, चाहे वे किसी भी दल से जुड़े हों. अगर कुशासन और भ्रष्टाचार फलते-फूलते हैं तो देश के गौरव की रक्षा नहीं की जा सकती है. कुशासन और भ्रष्टाचार एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं.'
इसके बाद पीएम मोदी ने अपनी सरकार का जिक्र करते हुए अपने ब्लॉग में बताया कि, हमारी सरकार ने भ्रष्टाचारियों को सजा दिलाने के लिए कठोर क़दम उठाए हैं. लेकिन, देश ने देखा है कि कैसे ‘कांग्रेस’ और ‘भ्रष्टाचार’ एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं. आप किसी भी सेक्टर का नाम ले लीजिए, आपको वहां कांग्रेस का एक घोटाला नजर आ जाएगा. चाहे रक्षा, टेलिकॉम और सिंचाई का क्षेत्र हो या फिर खेल के आयोजनों से लेकर कृषि, ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्र, कोई भी सेक्टर कांग्रेस के घोटालों से अछूता नहीं है. बापू वंशवादी राजनीति की निंदा करते थे, लेकिन ‘Dynasty First’ आज की कांग्रेस का मूलमंत्र बन चुका है.
लोकतंत्र में अटूट आस्था रखने वाले बापू ने कहा था, मेरी दृष्टि में लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है, जो किसी कमजोर व्यक्ति को भी उतना ही अवसर देती है, जितना किसी शक्तिशाली व्यक्ति को.' साथ ही पीएम मोदी ने ये भी लिखा है कि, इसे विडंबना ही कहेंगे कि कांग्रेस ने देश को ‘आपातकाल’ दिया, यह वह वक्त था, जब हमारी लोकतांत्रिक भावनाओं को रौंद डाला गया था. यही नहीं कांग्रेस ने धारा 356 का कई बार दुरुपयोग किया. अगर कोई नेता उन्हें पसंद नहीं आता था तो वे उसकी सरकार को ही बर्खास्त कर देते थे. कांग्रेस ने हमेशा वंशवादी संस्कृति को बढ़ावा दिया. लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी कभी कोई आस्था नहीं रही है. गांधी जी कांग्रेस कल्चर को अच्छी तरह से समझ चुके थे. इसीलिए वे चाहते थे कि कांग्रेस को भंग कर दिया जाए, विशेषकर 1947 के बाद.
बहरहाल, एक ऐसे समय में जब चुनाव सिर पर हो पीएम मोदी ने अपनी कलम को हथियार बनाकर कांग्रेस पर बड़ा हमला किया है. इस पूरे ब्लॉग में पीएम मोदी ने जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दरकिनार करके निर्णायक भूमिका में सरदार पटेल को दर्शाया है, वो ये साफ बता रहा है कि निश्चित तौर पर कांग्रेस की बेचैनी बढ़ेगी.
इस ब्लॉग को इस देश की जनता कैसे देखती है और इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देती है, इसका फैसला आने वाला वक़्त करेगा. मगर आम चुनावों से ठीक पहले जिस हिसाब से पीएम ने ये ब्लॉग लिखा है उसने उस कहावत को चरितार्थ कर दिया है जिसमें कहा गया है कि, 'सौ सुनार की तो एक लुहार की.' देखना दिलचस्प रहेगा कि सुनार की तरह सौ मुद्दों पर प्रधानमंत्री को घेरने वाले राहुल गांधी लुहार यानी पीएम मोदी के इस वार का क्या जवाब देते हैं? वो जवाब देते भी हैं या इसे वैसे ही खारिज कर देंगे जैसे दांडी मार्च में पीएम मोदी ने जवाहल लाल नेहरू को खारिज किया है.
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