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Updated: 03 जनवरी, 2023 12:57 PM
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शिक्षा, रोजगार और कतिपय अन्य के सिलसिले में गृह राज्य से दूर रह रहे करोड़ों भारतीय मतदाताओं के लिए मतदान में हिस्सा लेना एक चुनौती रहा है. चुनाव आयोग पहली बार एक ऐसी रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रदर्शन करने वाला है, जिससे अपने गृह राज्य से दूर प्रवासी भी चुनावों में वोट दे सकेंगे. चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि उसने एक नए ईवीएम का प्रारूप विकसित किया है, जिसके जरिए एक बार में एक मतदान केंद्र से कई निर्वाचन क्षेत्रों में मत डाला जा सकेगा. आयोग इस नए ईवीएम का प्रदर्शन 16 जनवरी, 2023 को करेगा. इसके लिए उसने सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है.

सो यदि ये नया आरईवीएम चुनाव प्रक्रिया में शामिल हुआ तो जो गृह प्रवासी जहां है वहीं से मतदान कर सकेगा. पार्टियों को नया ईवीएम पसंद आता है या नहीं, यह तो प्रदर्शन के बाद ही पता चलेगा, लेकिन निःसंदेह यह एक बड़ी समस्या के समाधान की तरफ चुनाव आयोग का पहला कदम है. दरअसल चुनावों में कम मतदान प्रतिशत चुनाव आयोग के लिए लगातार चिंता का सबब बना हुआ है और फिर लोकतंत्र की मजबूती की दृष्टि से भी यह वाकई चिंताजनक है कि कई चुनावी क्षेत्रों में करीब आधी आबादी की मतदान में सहभागिता नहीं होती.

चुनाव आयोग के मुताबिक़ 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 45.36 करोड़ लोग प्रवासी थे, यानी अपने गृह राज्य से दूर रह रहे थे. यह संख्या उस समय की आबादी का करीब 37 प्रतिशत थी. लोग नौकरी, व्यापार, शादी जैसे कई कारणों की वजह से अपने गृह राज्यों से दूर चले जाते हैं. कई मतदाताओं के लिए हर चुनाव में मतदान के लिए लौटना मुश्किल हो जाता है. नई जगह पर मतदाता के रूप में पंजीकरण करवाना भी आसान नहीं होता. इन वजहों से कई लोग कई साल तक मतदान में हिस्सा नहीं ले पाते हैं.

Election, India, Election Commission, Prime Minister, Narendra Modi, BJP, Congressकम मतदान प्रतिशत चुनाव आयोग के लिए चिंता का विषय रहा है ऐसे में रिमोट वोटिंग सर्कार को बड़ी रहत देगी

 

हालांकि कई लोगों में मतदान के प्रति उदासीनता भी रहती है खासकर शहरी क्षेत्रों में और युवा वर्ग में भी. इसके निवारण के लिए आयोग समय समय पर जागरूकता अभियान चलाता रहता है. परंतु रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन , यदि लागू हो गयी, निश्चित ही प्रवासी मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में शामिल कर मतदान प्रतिशत बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा.

परंतु अभी दिल्ली दूर है इस मायने में कि चुनाव आयोग को कई कानूनी , तकनीकी और राजनितिक अड़चनों को पार करना है. जिस तरह मतदान परिचय पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने के प्रस्ताव पर अनगिनत सवाल उठे थे और अंततः इस प्रक्रिया को ऐच्छिक ही रखना पड़ा, उसी प्रकार अब आरईवीएम को लेकर भी विपक्षी दल तमाम शंकाएं उठा रहे हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि अगर विभिन्न क्षेत्रों की ईवीएम दूसरे स्थानों पर होंगी तो संदेह पैदा हो सकता है और इससे लोगों का चुनाव प्रणाली में भरोसा कमजोर होगा.

अपनी बात के सपोर्ट में जयराम ने हालिया गुजरात चुनाव के हवाले से बताया कि 'गुजरात में इस बार हमने संदिग्ध मतदान संख्या भी देखी, जिससे पता चला कि मतदान के आखिरी घंटे में 10-12% मतदाताओं ने वोट डाला था. यह प्रत्येक वोट डालने के लिए असंभव सा 25-30 सेकंड का समय बताता है. जबकि वोट डालने के लिए आपको कम से कम 60 सेकंड चाहिए. अब कल्पना करें कि क्या इन संदिग्ध पैटर्न को बहु-निर्वाचन क्षेत्र की वोटिंग मशीन के माध्यम से अन्य स्थानों पर बढ़ाया जा सकता है.

यह सिस्टम में विश्वास को गंभीरता से कम करेगा.' और नहीं तो किसी महान नेता ने कह दिया कि एडवांस टेक्नोलॉजी का विरोध मुनासिब नहीं है, लेकिन इन्हीं टेक्नोलॉजी के सहारे ही तो कई तरह के फ्रॉड भी हो रहे हैं. कुल मिलाकर जितने मुंह उतनी बातें ! ऊपर से तमाम हेडलाइनों का सार निकालें तो ईवीएम पर संदेह दूर नहीं हुए तो रिमोट वोटिंग सिस्टम की तैयारी क्यों ?

दूसरी तरफ पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, जो अमूमन कटु लेकिन सही आलोचना करते हैं, ने इसे शानदार पहल बताया है और कहा है कि यह अच्छी बात है कि आयोग यह सब लोकतांत्रिक तरीके से कर रहा है. लोकतंत्र का हित इसी बात में है कि घरेलू प्रवासियों के मतदान से दूर रहने की समस्या के समाधान के लिए नकारात्मक की बजाए सकारात्मक रवैया अपनाया जाए.

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लेखक

prakash kumar jain prakash kumar jain @prakash.jain.5688

Once a work alcoholic starting career from a cost accountant turned marketeer finally turned novice writer. Gradually, I gained expertise and now ever ready to express myself about daily happenings be it politics or social or legal or even films/web series for which I do imbibe various  conversations and ideas surfing online or viewing all sorts of contents including live sessions as well .

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