Republic Day 2021: गणतंत्र दिवस पर इस बार कई बातें पहली बार होंगी...
भारतीय गणतंत्र (Republic Day 2021) के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि दिल्ली में दो परेड आयोजित होंगी. एक परेड हर साल की तरह राजपथ पर होगी, लेकिन दूसरी पहली बार राष्ट्रीय राजधानी से सटी सीमाओं पर. दूसरी परेड केंद्र सरकार के लिए मुसीबत से कम नहीं है.
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देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान, कितना बदल गया इंसान... साल 1954 में आई फिल्म नास्तिक का ये गाना राष्ट्र कवि प्रदीप ने लिखा और गाया था. आजादी के कुछ सालों बाद ही लिखा गया ये गीत देश के असल हालात को बयां करता है. आज इंसान ही नहीं पूरा हिन्दुस्तान बदल गया है. समाज बदल गया है, लोग बदल गए हैं. लोगों के मुद्दे बदल गए हैं. उनकी प्राथमिकताएं बदल गई हैं. इतना ही नहीं कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया को बदल दिया है. इस बदलाव से इस बार गणतंत्र दिवस भी अछूता नहीं है. 26 जनवरी 1950 के बाद इस साल कई ऐसे बदलाव दिख रहे हैं, जो पहले कभी नहीं हुए. आइए इन बदलावों पर एक नजर डालते हैं.
26 जनवरी 2021 (Republic Day). इस साल करीब 54 साल बाद ऐसा होगा कि गणतंत्र दिवस के मौके पर कोई चीफ गेस्ट नहीं होगा. पहले ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन को भारत आने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उनके देश में कोविड-19 एक नए स्ट्रेन के बढ़ते प्रकोप के चलते उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी. इसके बाद भारत ने भी कोरोना महामारी की वजह से किसी दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष को बतौर चीफ गेस्ट नहीं बुलाया. इससे पहले साल 1952, 1953 और 1966 की गणतंत्र दिवस परेड के दौरान भी कोई चीफ गेस्ट मौजूद नहीं था. जानकारी के मुताबिक इस बार ध्वजारोहण यानी झंडा फहराने का कार्यक्रम 26 जनवरी मंगलवार को सुबह 8 बजे निर्धारित किया गया. इसके बाद परेड का संचालन होगा.
इस साल होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड हमेशा याद रखी जाएगी.
कोरोना महामारी के अलावा इस बार गणतंत्र दिवस समारोह केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे उग्र विरोध प्रदर्शन के साए में आयोजित किया जाएगा. हजारों की संख्या में किसान पिछले कई महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की जा रही है. कोरोना और किसान आंदोलन को देखते हुए भी गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में बड़े बदलाव किए गए हैं. इस बार आपको परेड रूट की लंबाई, झांकी और दर्शकों की संख्या पर असर देखने को मिलेगा. बताया जा रहा है कि पिछले वर्षों के मुकाबले इस साल 1.25 लाख की जगह केवल 25 हजार दर्शकों को ही प्रवेश की अनुमति होगी. आम लोगों के लिए तो महज 4500 टिकट ही जारी किए गए हैं.
इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में कोरोना महामारी के मद्देनजर सोशल डिस्टेसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. परेड में शामिल होने वाली टुकड़ियों की संख्या 144 से घटाकर 96 कर दी गई है. इतना ही नहीं लोगों के बीच सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनने वाला मोटरसाइकिल स्टंट प्रोग्राम इस बार आयोजित नहीं किया जा रहा है. इस साल परेड की लंबाई भी कम होगी. पहले परेड की लंबाई 8.2 किलोमीटर तक होती थी, जोकि विजय चौक से होती हुई लाल किले तक जाती थी. इस बार लेकिन विजय चौक से नेशनल स्टेडियम तक यह 3.3 किलोमीटर ही लंबी होगी. परेड नेशनल स्टेडियम में समाप्त होगी. हालांकि, लाल किले पर झांकियों के प्रदर्शन की अनुमति दी जाएगी. इस बार परेड में 32 झांकियां शामिल होंगी.
Farmer's Republic Day Tractor Parade: भारत के गणतंत्र दिवस के इतिहास में एक घटना पहली बार इस साल होने जा रही है. इस साल दिल्ली में एक नहीं दो परेड होंगी. एक आधिकारिक परेड राजपथ पर होगी, जिसमें शामिल होंगे देश के बड़े-बड़े नेता, अधिकारी और कुछ चुनिंदा लोग. वहीं दूसरी परेड का आयोजन किसान संगठनों द्वारा किया जा रहा है. नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसान इस बार 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड का आयोजन कर रहे हैं. इसके लिए दिल्ली से सटे टीकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर करीब एक लाख ट्रैक्टर पहुंच चुके हैं. दावा किया जा रहा है कि परेड इतनी लंबी होगी कि कई घंटे इसे खत्म होने में लग जाएंगे. किसानों की परेड केंद्र में बैठी मोदी सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रही है.
जब से नया कृषि कानून लागू हुआ है, मोदी सरकार को लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है. सबसे पहले एनडीए शामिल अकाली दल ने साथ छोड़ा, उसके बाद विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. पिछले कई महीनों से पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं. सरकार को कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें. कानून न उगला जा रहा है, न निगला. लगातार कई दौर की बातचीत होने के बाद भी किसान मानने को तैयार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप और कमेटी बनाए जाने के बाद भी हल निकलने के आसार नहीं दिख रहे. इसी बीच किसानों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड ने सरकार के लिए और मुसीबत खड़ी कर दी है. किसान है कि मानते नहीं, सरकार है कि झुकती नहीं.
किसानों का ट्रैक्टर परेड सरकार और पुलिस के लिए मुसीबत है.
उधर, ट्रैक्टर परेड और गणतंत्र दिवस परेड के मद्देनजर दिल्ली पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्सेस ने सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाल ली है. परेड में सबसे ज्यादा ट्रैक्टर टीकरी बॉर्डर से ही दिल्ली में आएंगे. इसीलिए यहां व्यवस्था सबसे ज्यादा चाक-चौबंद है. पुलिस ने शर्त रखी है कि एक ट्रैक्टर पर तीन से ज्यादा लोग नहीं बैठेंगे. इस दौरान सुरक्षा बलों और किसानों के अलावा कोई नहीं होगा. परेड के तय रूट के अलावा आसपास की सड़कों पर भी डायवर्शन का प्लान तैयार किया गया है. टीकरी बार्डर से 63 से 64 किलोमीटर, सिंघु बार्डर से 62 से 63 किलोमीटर और गाजीपुर बार्डर से 46 किलोमीटर का ट्रैक्टर रैली का रुट तय किया गया है. किसान सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर से ही दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे.
इतना ही नहीं कई और भी ऐसी चीजें हैं, जो पहली बार हो रही हैं. भारतीय वायुसेना की पहली महिला फाइटर पायलट लेफ्टिनेंट भावना कांत गणतंत्र दिवस परेड में झांकी का हिस्सा होंगी. वह इस परेड में शामिल होने वाली पहली महिला फाइटर पायलट होंगी. राफेल लड़ाकू विमान भी पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होगा. बांग्लादेश सेना का एक सैन्य बैंड भी परेड में भाग लेगा. इस साल बांग्लादेश ने अपनी स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ मनाई है. केंद्रशासित लद्दाख की झांकी पहली बार राजपथ पर दस्तक देगी. इस बार एंट्री और एग्जिट गेट की संख्या बढ़ाई गई है. इसके अलावा कोविड बूथ भी बनाए जाएंगे, जिसमें डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ मौजूद रहेंगे. हर गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग की तैयारी की गई है.
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