करोड़पति सांसद देश का मान बढ़ा रहे हैं!
ये करोड़पति सांसद देश की सेवा के लिए अपने मूल्यवान समय को समर्पित करके देश की महान सेवा कर रहे हैं. और यही करोड़पति सांसद अपने सांसद होने की ड्यूटी को पूरा करने के लिए करदाताओं के पैसे से वेतन पाते हैं.
-
Total Shares
हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2004 से 2014 तक लोकसभा उम्मीदवारों की औसत कुल संपत्ति 116 प्रतिशत बढ़ी है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में 16वीं लोकसभा सबसे अमीर है. इसमें 543 सांसद में से 442 करोड़पति हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव में लड़ने के लिए पार्टियों में वैसे उम्मीदवारों को चुनने की प्रवृत्ति बढ़ रही है जो अपने "चुनाव का खर्च" खुदी ही उठा सकते हैं. ये एक बहुत ही शानदार कदम है.
सांसदों को देश के प्रतिनिधि माना जाता है. ऐसे में भारत की सम्पन्नता को जानने के लिए अपने अति संपन्न विधायकों/सांसदों से बेहतर सबूत और क्या हो सकता है?
करोड़पति सांसदों के होने के अपने फायदे हैं. अपने सांसदों की अमीरी को देखकर महत्वाकांक्षी आम आदमी प्रेरित होगा. ये सांसद उनका आदर्श बनेंगे. अब वो यहां तक कैसे पहुंचे ये विवाद का विषय हो सकता है. लेकिन सच्चाई ये है कि वे यहां पहुंच गए हैं. वे राजनीति को फिर से बदलने में भी मदद करते हैं. अब क्योंकि उम्मीदवार के रूप में उनके पास खर्च करने के लिए अपना पैसा होता है, इसलिए अब उनकी पार्टियों को रैलियों, प्रचार, और कभी-कभी शराब बांटने और मतदाताओं को खरीदने के लिए तिकड़म लगाने और पैसे खर्च करने की जरुरत नहीं होगी.
माल्या को पहले कांग्रेस ने फिर भाजपा ने राज्यभा में बिठाया
साफ बात ये है कि नेताओं को ही इस बात का ख्याल रखना होगा.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट कहती है कि यदि आप करोड़पति हैं, तो आप भारत में चुनाव जीतने की 10 गुना अधिक संभावना रखते हैं. और इसमें आप 'अनुचित प्रथाओं' को भी गिनते हैं, तो आप खुद से ही बेईमानी कर रहे हैं. भारतीय जनता समझदार है. आखिर एक झोला वाले नेता के बदले करोड़पति प्रतिनिधि किसे रास नहीं आएगा? यह लोकतंत्र की भावना ही है जिसने लोकसभा में 82 प्रतिशत करोड़पति सांसदों को भेजा है.
हालांकि इसमें भी बाजी राज्यसभा ने ही मारी है. अरे आखिर वो सिर्फ कहने को ही 'उच्च सदन' थोड़े है. यहां लगभग 90 प्रतिशत सदस्य करोड़पति हैं.
संविधान सभा, जब राज्यसभा की भूमिका पर बहस कर रही थी, तो उन्हें इससे काफी उम्मीदें थी. एन गोपालस्वामी अय्यंगर ने इसे ऐसे सदन के रूप में संबोधित किया जो "भावनाओं में लिए गए फैसलों" पर लगाम लगाएगा. लोकनाथ मिश्रा ने इसे "एक गभीर और संयत कर देने वाला, एक समीक्षा सभा, एक ऐसा सदन जो गुणवत्ता के लिए खड़े होने वाला सदन. और इसके सदस्य अपने अधिकार का प्रयोग विशेष समस्याओं के बारे में अपनी गंभीरता और ज्ञान के साथ आंकलन करने के लिए करेंगे. और वो जो कहेंगे उनकी बातों को सुना जाएगा..."
जाहिर है कि इस असाधारण सी जगह में अपनी सीट पाने के लिए उस दावेदार को भी सर्वोत्तम होना होगा.
2014 में आंध्रप्रदेश के एक सांसद ने लोकसभा में पेपर स्प्रे छिड़क दिया था. लोकसभा अध्यक्ष खांसते हुए बाहर निकलीं
राज्यसभा सांसदों को विधायकों द्वारा चुना जाता है या राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है. और उन्होंने उत्कृष्ट काम किया है- सबसे अमीर राज्यसभा सांसद बिहार से जेडी (यू) के महेंद्र प्रसाद हैं. वो दो दवा कंपनियों और 4,078.40 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. उसके बाद जया बच्चन का नंबर है जिनकी संपत्ति 1,001.63 करोड़ रुपये है. उनके बाद बिहार से भाजपा के सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा हैं. सिन्हा सुरक्षा सेवा फर्म एसआईएस के मालिक हैं. इनकी संपत्ति 857.11 करोड़ रुपये है. राज्यसभा में सदस्य होने के अलावा जया बच्चन और सिन्हा में एक और समानता है. एक तरफ जहां जया के पति श्री अमिताभ बच्चन का नाम पनामा पेपर लीक में आया है तो वहीं सिन्हा जी के नाम को भी इसमें जगह मिली है.
लोकसभा में करोड़पति सांसदों को भेजने में सबसे ज्यादा योगदान आंध्र प्रदेश की तीन पार्टियों टीडीपी, टीआरएस और वाईएसआरसीपी का है. इन्होंने 50 करोड़ रुपये से अधिक की औसत संपत्ति वाले करोड़पति सांसदों को सबसे ज्यादा संसद भेजा. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि आंध्रप्रदेश से कांग्रेस के पूर्व और करोड़पति सांसदों में से एक एल राजगोपाल, 2014 में संसद में आंध्रप्रदेश के बंटवारे वाले बिल के पेश होने पर इतना गुस्सा हो गए कि उन्होंने संसद में मिर्च स्प्रे स्प्रे कर दिया था.
अमीर सांसदों के होने का एक और फायदा है. जब भी उनकी बात को अनदेखा किया गया तो वो किसी बकवास पर नहीं उतरे बल्कि उन्होंने सीधी एक्शन किया. ये वही क्वालिटी है जो आज के समय में हमारे देश के युवा और बेचैन लोगों को सीखने की जरूरत है.
अब भले ही "अच्छे दिन" का नारा भाजपा ने लोकप्रिय किया हो, लेकिन वो कांग्रेस थी जिसने राज्यसभा में सबसे पहले 'किंग ऑफ गुड टाइम्स' विजय माल्या की इंट्री कराई थी. हालांकि बीजेपी ने भी इसमें अपने हिस्से का काम किया, और दूसरी पारी के लिए उनकी सदस्यता का समर्थन किया.
16वीं लोकसभा में, चार सबसे अमीर सांसद व्यवसायिक परिवारों से हैं. यहां पर लोग क्रॉनी कैपिटलिज्म का आरोप लगा सकते हैं. लेकिन ये बात तो हर कोई जानता है कि पूंजी अच्छी होती है. पूंजी की जरुरत होती है. और फिर पूंजी किसे पसंद नहीं है?
ये करोड़पति सांसद देश की सेवा के लिए अपने मूल्यवान समय को समर्पित करके देश की महान सेवा कर रहे हैं. लेकिन हम इस तथ्य पर भी गर्व महसूस कर सकते हैं कि राष्ट्र भी कृतघ्न नहीं है. करोड़पति सांसद अपने सांसद होने की ड्यूटी को पूरा करने के लिए करदाताओं के पैसे से वेतन पाते हैं. हमारी कृतज्ञता को ध्यान में रखते हुए और, सच्चे नेताओं की तरह, सांसदों ने फरवरी के बजट सत्र में अपने वेतन में 100 प्रतिशत वृद्धि कर ली.
ये करोड़ों की बात हैं. सच्ची में.
ये भी पढ़ें-
मलेशिया की संसद में भूत ! सच जानकर शर्म आएगी सोशल मीडिया पर
मानसून सत्र: बहस की बौछार होगी या हंगामे की बाढ़ आएगी?
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा में नामांकन पर अपनी ही कही बात को भूला दिया
आपकी राय