Rihanna के लिए तो कंगना ही काफी हैं, अमित शाह ने फालतू में एक Tweet खर्च कर दिया
पॉप सिंगर रिहाना (Rihanna) के ट्वीट को लेकर अमित शाह (Amit Shah Tweet) को भाव देने की कोई जरूरत नहीं थी. अव्वल तो कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ही काफी थीं - अगर इतना ही जरूरी था तो बीजेपी की तरफ से बयान जारी किया जा सकता था.
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रिहाना (Rihanna) सेलीब्रिटी हैं. स्टार हैं, वो कुछ भी कह दें. कुछ भी अपनी टाइमलाइन पर शेयर कर दें - टॉप ट्रेंड में तो आना ही है. एक ही नहीं, बल्कि कई मुल्कों के ट्रेंड में. पब्लिक तो शेयर दर शेयर करती रहेगी. दोस्त वाह वाह करेंगे - और बाकी रिएक्शन भी होंगे ही.
पॉप स्टार रिहाना का CNN की रिपोर्ट को करीब दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे हैशटैग #FarmersProtest के साथ शेयर करना भारत में बहस का मुद्दा बन गया है. बहस तो होनी ही थी, रिहाना ने अपनी फील्ड से जरा हटके ट्वीट जो किया था.
ट्विटर की आम जनता ने तो रिहाना के ट्वीट पर रिएक्ट किया ही, देश की जानी मानी हस्तियों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है - बॉलीवुड सेलीब्रिटी से लेकर क्रिकेट खिलाड़ियों तक.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी कम नहीं हुई हैं - और ऐसा करने वालों में राहुल गांधी अकेले नहीं हैं.
थोड़ी हैरानी तब हुई जब भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने रिहाना के ट्वीट की प्रतिक्रिया स्वरूप बयान भी जारी कर दिया, लेकिन ज्यादा हैरानी तब हुई जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी एक ट्वीट कर बोले भारत की एकता के खिलाफ कोई भी प्रोपेगैंडा नहीं चलने वाला.
बेशक किसी को भी इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती - चाहे वो कोई ऐरा-गैरा हो या फिर कोई नामी गिरामी हस्ती ही क्यों न हो.
सवाल यहां ये है कि रिहाना हैं कौन? रिहाना का एक ट्वीट भारतीय जनमानस के लिए कितना मायने रखता है?
आखिर रिहाना का निजी हैसियत से किया गया एक ट्वीट क्या इतना महत्वपूर्ण हो जाता है कि विदेश मंत्रालय को आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी करनी पड़े? क्या भारत के मामले में रिहाना का एक ट्वीट इतना अहम हो जाता है कि देश के गृह मंत्री को रिएक्ट करने के लिए आगे आना पड़ता है?
रिहाना कितनी बड़ी स्टार हैं या कितनी संपत्ति की मालकिन हैं, इससे फर्क क्या पड़ता है - क्या ऐसा नहीं लगता कि रिहाना पर रिएक्ट करने के लिए तो अपनी कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ही काफी रहीं, अमित शाह (Amit Shah Tweet) को तो एक भी ट्वीट खर्च करने की कोई जरूरत नहीं थी.
रिहाना की हैसियत भारत के लिए कितनी अहम है?
रिहाना के ट्वीट पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया में पॉप सिंगर को सलाह दी गयी है कि विरोध प्रदर्शन के बारे में हड़बड़ी में टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की जांच परख कर लेनी चाहिये. विदेश मंत्रालय की नजर में मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया पर हैशटैग और टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाने की न तो आतुरता ठीक होती है और न ही ये जिम्मेदारी भरी होती हैं. विदेश मंत्रालय का कहना है कि कृषि सुधारों को लेकर किसानों के महज एक छोटे तबके में कुछ आपत्तियां हैं, लेकिन उस पर जिम्मेदारी के साथ टिपप्णी करनी चाहिये.
रिहाना को अमित शाह की तरफ से इतना भाव देने की कोई जरूरत ही नहीं थी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विदेश मंत्रालय के ट्वीट को अपनी टिप्पणी के साथ रीट्वीट किया है. अमित शाह लिखते हैं, 'कोई भी प्रोपेगैंडा भारत की एकता को डिगा नहीं सकता. कोई भी भारत को नयी ऊंचाइयां हासिल करने से रोक नहीं सकता... भारत एकजुट है और मिलकर तरक्की की राह पर बढ़ रहा है.
No propaganda can deter India’s unity!
No propaganda can stop India to attain new heights!
Propaganda can not decide India’s fate only ‘Progress’ can.
India stands united and together to achieve progress.#IndiaAgainstPropaganda#IndiaTogether https://t.co/ZJXYzGieCt
— Amit Shah (@AmitShah) February 3, 2021
अब सवाल उठता है कि रिहाना की टिप्पणी आखिर अमित शाह को इतनी महत्वपूर्ण क्यों लगी कि वो खुद इस मसले पर बयान देने के लिए आगे आये? बेशक रिहाना फोर्ब्स की 2012 की सोशल नेटवर्किंग सुपरस्टार की सूची में पहला स्थान हासिल कर चुकी हैं. बेशक रिहाना 2012 और 2018 में टाइम मैगजीन की 100 सबसे ज्यादा असरदार शख्सियतों की लिस्ट में जगह बना चुकी हैं. बेशक वो पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की कुछ पॉलिसी और ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के लोगों को अमेरिका में एंट्री न देने की नीतियों के खिलाफ मुखर रही हों, तो भी भारत को इससे कोई फर्क क्यों पड़ना चाहिये - अमेरिकी लोग जाने और अमेरिकी सरकार जानें.
सवाल ये भी उठता है कि रिहान की भारत में प्रासंगिकता क्या है - न तो वो राहुल गांधी हैं जो लगातार मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार किये रहते हैं और न ही वो राकेश टिकैत हैं जो दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर दो महीने से ज्यादा वक्त से पश्चिम यूपी के किसानों के साथ डेरा डाले हुए हैं.
ऐसा भी तो नहीं कि रिहाना चीन को रिप्रजेंट करती हैं या फिर पाकिस्तान की नुमाइंदगी करती हैं - न ही वो संयुक्त राष्ट्र के किसी ऐसे प्रोग्राम की ब्रांड एंबेसडर हैं जिस कैपेसिटी में उनका कोई बयान भारत सरकार के लिए महत्वपूर्ण हो जाता हो?
ज्यादा से ज्यादा बारबाडोस की सरकार ने रिहाना को अपना एंबेसडर बनाया है, तो भी भारतीयों की सेहत पर क्या फर्क पड़ता है. वो बारबाडोस की रहने वाली हैं और दुनिया भर में अपने मुल्क का नाम रोशन करती फिर रही हैं तो बारबाडोस के लिए गौरव की बात स्वाभाविक है.
रिहाना को तो सबसे माकूल जवाब फिल्म स्टार कंगना रनौत से ही मिल गया था, 'कोई भी इनके बारे में इसलिए बात नहीं कर रहा क्योंकि ये किसान नहीं हैं, ये आतंकवादी हैं, जो भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं - ताकि चीन... चुपचाप बैठ जा मूर्ख, तुम्हारी तरह हम अपने देश को नहीं बेचते!'
No one is talking about it because they are not farmers they are terrorists who are trying to divide India, so that China can take over our vulnerable broken nation and make it a Chinese colony much like USA... Sit down you fool, we are not selling our nation like you dummies. https://t.co/OIAD5Pa61a
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) February 2, 2021
वैसे भी कंगना रनौत के पास ऐसे रिएक्शन देने का अच्छा खासा अनुभव है. वैसे भी कंगना रनौत के ज्यादातर रिएक्शन ऐसे ही होते हैं जो सत्ताधारी बीजेपी और उसके नेताओं को सूट करता हो. उद्धव ठाकरे को कंगना रनौत के मुंह से तू-तड़ाक् करते हुए सुन कर बीजेपी में खुशी तो हुई ही होगी. वैसे भी कंगना रनौत देश के लिए इतनी महत्वपूर्ण हैं तभी तो बड़े तामझाम वाली सुरक्षा व्यवस्था मिली हुई है - रिहाना क्या वो तो किसी से भी आसानी से निबट लेंगी.
रिहाना एक दुनिया भर में शोहरत हासिल कर चुकी सेलीब्रिटी हैं. कोई दो राय नहीं है कि जब वो बोलती हैं तो दुनिया की एक बड़ी आबादी तक उनकी आवाज बड़े आराम से एक झटके में पहु्ंच जाती है, लेकिन निजी हैसियत में रिहाना का दिया गया एक बयान इतना भी मायने नहीं रखता कि भारत सरकार का विदेश मंत्रालय बयान जारी कर रिएक्ट करे - और उसे आगे बढ़ाते हुए देश के गृह मंत्री उसे रीट्वीट करें!
अव्वल तो ऐसे बयानों पर साध्वी प्रज्ञा, साध्वी निरंजन ज्योति, साक्षी महाराज या बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ही रिएक्ट करने के लिए स्वयंभू अधिकृति हैं - लेकिन अगर रिहाना की टिप्पणी की इतनी ही अहमियत समझ आ रही थी तो बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा भी काफी थे. ज्यादा से ज्यादा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा एक बयान जारी कर देते, आखिर बीजेपी का दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होना किस दिन काम आएगा. सरकार को तो ऐसी मामूली चीजों को सिर्फ नजरअंदाज करना चाहिये.
काउंटर कैंपेन भी तो उपाय है
किसानों के मुद्दे पर हुई ऐसी टिप्पणियां करने वाली रिहाना अकेली नहीं हैं. रिहाना की ही तरह पर्यावरणवादी एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और पॉर्न स्टार मिया खलीफा ने भी किसानों के मुद्दे और उनकी प्रोटेस्ट साइट पर इंटरनेट काटे जाने का मुद्दा उठाया है.
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि तीनों ही महशहूर हस्तियों ने एक के बाद एक, एक निश्चित अंतराल पर सोशल मीडिया पर टिप्पणी की है. बल्कि ये कहना बेहतर होगा कि महज 24 घंटे के भीतर ही ऐसा किया गया है - और निश्चित तौर पर ये किसी मुहिम का हिस्सा हो सकता है.
बीजेपी की महिला मोर्चा की सोशल मीडिया इंचार्ज प्रीति गांधी ने अपने ट्वीट में यही बात समझाने की कोशिश भी की है. प्रीति गांधी लिखती हैं, जगमीत सिंह का रिहाना को शुक्रिया कहना - और जगमीत सिंह के आतंकियों से संबंध होने वाली बात को आपस में जोड़ कर देखना चाहिये.
Join the dots!!!#IndiaAgainstPropoganda pic.twitter.com/Cuw66c8oXF
— Priti Gandhi - प्रीति गांधी (@MrsGandhi) February 3, 2021
अगर वाकई रिहाना, थनबर्ग और खलीफा के ट्वीट भारत विरोधी किसी मुहिम का हिस्सा है तो भी उसके खिलाफ काउंटर कैंपेन चलाया जा सकता है, न कि भारत सरकार की तरफ से किसी औपचारिक प्रतिक्रिया की जरूरत थी. सिर्फ चीन और पाकिस्तान ही नहीं, ऐसी बहुत सारी भारत विरोधी ताकते हैं जिनको मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत है - रिहाना के लिए तो सरकार की तरफ से इग्नोर कर देना ही काफी है.
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