युवा जज़्बे और क्षमता की मिसाल है ऋषि सुनक!
ब्रिटेन में ऋषि सुनक के पीएम बनने ने एक और बात भी साफ़ कर दी है कि किसी प्रजातंत्र में देश के नागरिक को उसके विदेशी मूल के होने की बिना पर कार्यपालिका के उच्चतम पद से वंचित किए जाने की सोच ही बेमानी है. हां, योग्यता अपेक्षित है !
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किसने सोचा था एक भारतीय मात्र बयालीस साल की युवा उम्र में ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनेगा? निःसंदेह ऐतिहासिक पल है, गौरव की बात है उनके लिए और साथ ही भारत राष्ट्र को भी गौरवान्वित किया है उन्होंने. इस होनी ने एक और बात भी साफ़ कर दी है कि किसी प्रजातंत्र में देश के नागरिक को उसके विदेशी मूल के होने की बिना पर कार्यपालिका के उच्चतम पद से वंचित किए जाने की सोच ही बेमानी है. हां, योग्यता अपेक्षित है. इसी तारतम्य में ज़िक्र बनता है सोनिया गांधी का जिन्हें प्रधानमंत्री बनाना तब संभव नहीं हुआ था उनके इटैलियन मूल की होने की वजह से. हालांकि आज विदेशी मूल की बात नज़रंदाज़ हुई ही समझें बशर्ते योग्यता पर सवाल ना हों. सो ‘राहुल गांधी‘ उम्मीद कर सकते हैं यदि लोगों की उम्मीदें बंधी हो ‘ भारत जोड़ो यात्रा ‘ से. हां, सुनक निश्चित ही बेहतर सिद्ध हुए हैं उम्र भी दस साल कम ली और सिर्फ़ 6-7 साल के राजनीतिक करियर में ही ब्रिटेन की सबसे पुरानी कंज़रवेटिव पार्टी में वर्चस्व सिद्ध करते हुए प्रधानमंत्री का पद हासिल कर लिया। और वह भी बिना किसी राजनीतिक परिवार की पृष्ठभूमि के.
ब्रिटेन में ऋषि सुनक का पीएम बनना कई मायनों में एक बड़ी घटना है
एक और बात, सुनक ने उपलब्धि हासिल की है शादीशुदा होकर और साथ ही दो संतानों के पिता के रूप में. ऑन ऐ लाइटर नोट क्या कहें कि यदि राहुल ने शादी कर ली होती तो तो … ख़ैर, अब थोड़ा सीरियस बात कर लें. ऋषि सुनक दौलतमंद हैं, ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों में उनकी गिनती है और उनकी कुल संपत्ति 730 मिलियन पाउंड से भी अधिक है जो अनुमानतः ब्रिटेन के किंग चार्ल्स की संपत्ति से भी अधिक है. परंतु उनकी संपत्ति पॉलिटिक्स की देन नहीं है बल्कि कहा जा सकता है उनका धनाढ्य होना पॉलिटिक्स के लिए है.
हाल ही में वे अपने पुराने स्कूल को 1 लाख़ पाउंड दान देने के बाद चर्चा में आए थे. उनकी कमाई पर भी राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठाये जाते रहे हैं. उनकी पत्नी अक्षता भारतीय आईटी अग्रणी और भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक नारायण मूर्ति की बेटी हैं. इन्फोसिस में शेयरों के कारण अक्षता मूर्ति की निजी संपत्ति भी अच्छी खासी ही नहीं, एक अनुमान के मुताबिक़ वह महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से भी अधिक अमीर हैं.
ऋषि सुनक, बोरिस जॉनसन कैबिनेट में वित्त मंत्री थे. उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने का वादा किया है. देखना दिलचस्प होगा वह किस प्रकार कठिन वित्तीय हालातों से देश को उबार पाते हैं. जैसा हमारा ‘अमूल ‘कह भी रहा है अब - 'नाम तो सुना क होगा! तो आशा कर ही सकते हैं - 'Will UK become Rishi rich ?'
अब देखें सुनक के लिए क्या क्या सुना जा रहा है ? सबसे पहले ससुर नारायण मूर्ति को सुने क्योंकि अमीर ससुराल की वजह से ऋषि हमेशा निशाने पर लिए जाते रहे हैं. मूर्ति ने संतुलित टिप्पणी करते हुए कहा 'ऋषि को बधाई. हमें उन पर गर्व है और हम उनकी सफलता की कामना करते हैं. हमें विश्वास है कि वह यूनाइटेड किंगडम के लोगों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे.'
सुनक पहले अश्वेत भी हैं जो यूके के पीएम बने हैं तो किसी ने कहा कि ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना ब्रिटिश बराक ओबामा मोमेंट है। ओबामा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे. जश्न का माहौल पाकिस्तान में भी है, उनका क्लेम जो है कि सुनक पाकिस्तानी है. एक ट्वीट नज़र आया, 'सुनक गुजरांवाला का एक पंजाबी खत्री परिवार है, जो अब पाकिस्तान में है. ऋषि के दादा रामदास सुनक ने 1935 में नैरोबी में क्लर्क की नौकरी के लिए गुजरांवाला को छोड़ दिया था.
हाल फ़िलहाल ब्रिटेन में कड़वी राजनीतिक तकरार के बीच भारतीय और पाकिस्तानी दोनों ही उनके सत्ता में आने के बारे में अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं; हालाँकि पाकिस्तान में सुनक के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है. ख़ैर, ये सभी बातें तो होती रहेगी, सोशल मीडिया का जमाना है. सौ बातों की एक बात यही शाश्वत है कि वे हिंदू हैं, उन्हें गर्व भी है हिंदू होने में तभी तो गीता में ब्रिटिश सांसद की शपथ ली थी उन्होंने।
हर रविवार वे मंदिर भी जाते हैं ! पहले भारतवंशी वित्त मंत्री के तौर पर 11 डाउनिंग स्ट्रीट पर दिवाली के दीये जलाकर इतिहास भी बनाया था उन्होंने। उनकी पत्नी भारत में ही पैदा हुई, पली बड़ी। मेधावी तो हैं ही वे, सोच भी उम्दा है, सो कोई कारण नहीं है कि वे ब्रिटेन के लिए अच्छा और ख़ास न कर पाएं। वे निश्चित ही ब्रिटिश नागरिकों की आकांक्षाओं पर खरे उतरेंगे चूंकि ईमानदार प्रयास करेंगे ही. और एक बात, वे फ़ैमिली मैन भी हैं.
पता नहीं हमारे राजनेता कब राजनीति से ऊपर उठकर किसी भी घटना या अवसर को देखेंगे ? और जब ऐसा कांग्रेस सांसद शशि थरूर सरीखा मंझा हुआ राजनेता करता है , तरस ही आता है ! सुनक के पीएम बनने में भी उन्होंने मौक़ा ईजाद कर भाजपा पर तंज कस ही दिया. उन्होंने कहा, "कई लेवल पर यह असाधारण बात है। आप देख सकते हैं कि ब्रिटेन ने अपने नस्लवाद को पीछे छोड़ दिया है। ब्रिटेन ने अन्य धर्मों में विश्वास रखने वाले लोगों को स्वीकार करने की जबरदस्त इच्छा दिखाई है और शीर्ष पदों पर उन्होंने उनकी योग्यता को देखा है।
थरूर यहीं रुक जाते तो वह राजनेता कैसे कहलाते ? सो आगे उन्होंने जोड़ दिया,'बीजेपी जैसी पार्टी जिसके पास आज संसद में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है, जो एक चौंकाने वाली स्थिति है, जो पहले कभी नहीं थी। क्या बीजेपी के समर्थक किसी अन्य पृष्ठभूमि के प्रधानमंत्री या इस्लामिक या ईसाई धर्म के बीजेपी सीएम की कल्पना कर सकते हैं? मुझे संदेह है।'
मुद्दे की और यथोचित बात तो यही है कि कंज़रवेटिव पार्टी ने क़ाबिलियत, ऊर्जावान और जज़्बाती युवा को अपना नेता चुना है और इन्हीं माणकों पर जनता पहले ही उन्हें सांसद चुन चुकी है ! ना तो ब्रिटिश जनता और ना ही पार्टी के तमाम नेताओं में कोई दुराव था सुनक के अश्वेत होने से, उनके अल्पसंख्यक होने से (ब्रिटेन में ) और ना ही उनके हिंदू होने से.
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