राम मंदिर निर्माण का आखिरी मौका क्या भुनाएंगे मोदी?
संघ प्रमुख मोहन भागवत राम मंदिर पर कानून चाहते हैं. ऐसा लगता है जैसे आम चुनाव के मुहाने पर खड़े नरेंद्र मोदी को मोहन भागवत पुराना चुनावी वादा याद दिला रहे हैं.
-
Total Shares
राम मंदिर निर्माण पर संघ कानूनी रास्ता अख्तियार करना चाहता है. संघ के कानूनी रास्ते से मतलब वो नहीं जो सुप्रीम कोर्ट से होकर गुजरता है. संघ राम मंदिर पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से कानून की अपेक्षा कर रहा है.
RSS चीफ मोहन भागवत ने केंद्र की मोदी सरकार को राम मंदिर के लिए कानून बनाने की सलाह दी है. विजयदशमी के मौके पर अपने सालाना भाषण में भागवत ने देश से जुड़े कई मुद्दों पर अपने विचार रखे, लेकिन जोर राम मंदिर को लेकर कानून बनाने पर ज्यादा दिखा.
राम मंदिर पर क्या ये नया और चुनावी पैंतरा है? हाल फिलहाल तो बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे से नजरें बचाती नजर आ रही थी. वैसे चुनाव तो उन तीन राज्यों में भी हो रहे हैं जहां बीजेपी ही सत्ता में है.
विंटर सेशन में राम मंदिर बिल की तैयारी तो नहीं?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के दावे तो किये जाते रहे हैं - लेकिन संसद में कानून बनाकर ऐसा करने की बातें पुरानी लगने लगी थीं.
राम मंदिर निर्माण बीजेपी का शुरुआती एजेंडा रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मस्जिद दौरों और संघ प्रमुख भागवत के मुस्लिम समुदाय की तरफदारी से कुछ और संकेत मिलने लगे थे. फिलहाल अयोध्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और उस पर जल्द सुनवाई शुरू होने का रास्ता साफ हो चुका है.
'कानून लाओ, मंदिर बनाओ'
नरेंद्र मोदी को कुर्सी पर बैठे भी चार साल से ज्यादा हो चुके हैं. वैसे अब भी मोदी सरकार के पास अयोध्या मसले को लेकर बिल लाने का पूरा मौका है. विधानसभा चुनावों के कारण अब संसद का शीतकालीन सत्र दिसंबर में शुरू होने के आसार हैं. पिछले साल ऐसा गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों के चलते हुआ था. शीत सत्र मौजूदा सरकार का आखिरी सत्र होगा और फिर बजट सत्र मध्यावधि बजट के साथ खत्म हो जाएगा.
संघ लाख इंकार करे कि मोदी सरकार में उसका कोई दखल नहीं होता. नागपुर से किसी को किसी मुद्दे पर कोई फोन नहीं होता. फिर भी ये बात गले के नीचे नहीं उतरती. यहां तक कि विदेश राज्य मंत्री पद से एमजे अकबर के इस्तीफे के पीछे भी संघ की ही नाराजगी बड़ी वजह बनी, ऐसा माना जा रहा है.
ये भाषण अभी के लिए है या 2019 खातिर?
ये कहते हुए कि अयोध्या में राम मंदिर बनना ही चाहिये, संघ प्रमुख भागवत ने दो बातों पर जोर दिया है - एक, कोर्ट में केस लंबा खिंच रहा है और दो, रास्ते में राजनीति नहीं आती तो मंदिर कब का बन चुका होता.
मोहन भागवत का कहना रहा, "अब पता चल गया कि वहां मंदिर है, नीचे है... सब सिद्ध हो चुका है. फिर भी न्यायालय में प्रकरण है और लंबा हो रहा है. अब कितना लंबा चलेगा... हिंदू समाज तो कितने वर्षों से राह देख रहा है...'
फिर भागवत ने केंद्र की बीजेपी सरकार को मंदिर निर्माण को लेकर बिल लाने की सलाह दी, "वो प्रकरण लंबा नहीं होना चाहिए. जल्दी निर्णय मिलना चाहिए... और हम कहते हैं कि सरकार कानून बनाए, कानून बना कर मंदिर बनाये..."
मोहन भागवत ने गौर करने वाली एक और बात कही - "...लोग ये पूछ रहे हैं कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार है फिर भी राम मंदिर क्यों नहीं बन रहा?"
संतों की ओर से 6 दिसंबर से मंदिर निर्माण शुरू करने की घोषणा इसी साल जून में की गयी थी. दरअसल, 6 दिंसबर 1992 को ही कारसेवकों ने अयोध्या में मस्जिद गिरा दी थी. मंदिर निर्माण के लिए संतों तारीख वही चुनी है.
हैरानी की बात ये है कि हाल के बीजेपी कार्यकारिणी में पेश राजनीतिक प्रस्ताव में भी राम मंदिर निर्माण का मामला नदारद दिखा. बीजेपी का आधिकारिक स्टैंड भी यही रहा है कि वो अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करेगी.
बड़ी बात तो यही है कि 2019 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है - और उससे पहले बीजेपी को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों की अग्नि परीक्षा से गुजरना भी है.
क्या अब मान कर चलना चाहिये कि मोदी सरकार विंटर सेशन में अयोध्या मसले पर कोई बड़ी तैयारी में जुटी है? क्या संघ प्रमुख ने राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार के अगले कदम का संकेत दे दिया है?
इन्हें भी पढ़ें :
अयोध्या विवाद की सुनवाई का रास्ता साफ, 2019 से पहले भी आ सकता है फैसला
राहुल गांधी खुल कर क्यों नहीं कहते - 'राम लला... मंदिर वहीं बनाएंगे' !
आपकी राय