गहलोत- पायलट की 'नाक की लड़ाई' में कट रही है कांग्रेस की नाक...
राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच का गतिरोध किसी भी सूरत में ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है. सचिन पायलट के भीतर क्या चल रहा है इसे लेकर राजनीतिक हलकों में तरह तरह की बातें की जा रही हैं.
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कांग्रेस नेता सचिन पायलट के मित्र भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कैबिनेट में शामिल होने से पहले मीटिंग कर रहे थे तब राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट मंहगाई के ख़िलाफ़ जयपुर शहीद स्मारक पर 40 डिग्री तापमान में कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं के साथ धरना दे रहे थे. ठीक उसी वक़्त जयपुर के मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान के भेजे गए दो प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ राजस्थान के सियासी संकट को ख़त्म करने के लिए मीटिंग कर रहे थे.
यह तीनों तस्वीरें अलग अलग है मगर तीनों का रिश्ता कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट के भूत और भविष्य से जुड़ी हुई कहानी से है. सचिन पायलट के भीतर क्या चल रहा है इसे लेकर राजनीतिक हलकों में तरह तरह की बातें की जा रही हैं. कुछ लोग कहते हैं कि सचिन पायलट ख़ुद के अंदर के द्वंद से जूझ रहे हैं तो कुछ लोग कहते हैं कि पायलट उलझन में हैं. पहली तस्वीर पर चर्चा करें तो यह बात सच है कि BJP सचिन पायलट को अपने पास चाहती थी और चाहती है. आज के दिन का सच तो यही है कि पायलट BJP के पास होकर दूर निकल गए हैं.
सिंधिया की तस्वीर के साथ देर रात तक सोशल मीडिया पर बहस चलती रही कि क्या सचिन पायलट भी राष्ट्रपति भवन में BJP के मंत्री के रूप में शपथ लेंगे? कहा जाता है कि BJP ने आख़िरी वक़्त तक सचिन पायलट का इंतज़ार किया. गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता भी यही चाह रहे थे कि सचिन पायलट BJP के पाले में आ जाएं.
राजस्थान में महंगाई के खिलाफ कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठे सचिन पायलट
गांधी परिवार के बाहर सचिन पायलट अकेले ऐसे नेता हैं जो कांग्रेस के स्टार प्रचारक की भूमिका पूरे देश में निभाते हैं. चाहनेवालों की ज़बरदस्त टीम राजस्थान में है और इसके अलावा जातीय आधार उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लेकर जम्मू कश्मीर तक है. मगर कहा जाता है कि सचिन पायलट के इच्छा तारे पाने की नहीं बल्कि चांद पाने की है. वह केंद्र में मंत्री बनने के बाज़ार राजस्थान में संघर्ष कर मुख्यमंत्री का पद चाहते हैं. ऐसा नहीं है कि उनका सपना था मगर जिस तरह के हालात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ उनके चल रहे हैं अब सचिन पायलट की ज़िद है.
दूसरी तस्वीर जयपुर के शहीद स्मारक पर नज़र आयी जब महंगाई के ख़िलाफ़ महिला कांग्रेस के धरने में सचिन पायलट पहुंचे हुए थे और महंगाई से ज़्यादा सचिन पायलट तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं के नारे गूंज रहे थे. यह नारा लगते हुए सचिन पायलट चाहकर भी नहीं रोक सकते हैं क्योंकि जानने वाले जानते हैं कि सचिन पायलट संघर्ष कर रहे हैं. सचिन पायलट यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और BJP पर जमकर बरसे.
BJP और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनका प्रहार दो धारी था. पहला कि वह संदेश देना चाहते हैं कि BJP के ख़िलाफ़ राजस्थान में अकेला संघर्ष कर रहे हैं और दूसरा कांग्रेस आलाकमान को दिखाना चाहते हैं कि वह कांग्रेस के लिए पसीना बहा रहे हैं. साल भर पहले सचिन पायलट के सामने कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों की फ़ौज सर झुकाए रहती थी वह सचिन पायलट भीषण गर्मी में जयपुर के पार्षद मनोज मुदगल और पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल के साथ BJP पर हमला बोल रहे थे.
सचिन पायलट जैसे क़द्दावर नेता के लिए यह आसान काम नहीं है मगर सचिन पायलट यह दिखाना चाहते हैं कि वह लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं. सचिन पायलट के आने की ख़बर सुनकर कोई भी मंत्री और कांग्रेस का पदाधिकारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ़ से घोषित BJP के विरोध कार्यक्रम में नहीं पहुंचा. भाजपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष और सचिन पायलट के बेहद क़रीबी रहे प्रताप सिंह खाचारियावास और प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षामंत्री गोबिन्द सिंह डोटासरा भी इस प्रदर्शन से दूर रहे.
आप समझ सकते हैं कि सचिन पायलट अपनी खोई हुई ज़मीन पाने के लिए ज़ीरो से शुरुआत कर रहे हैं. मगर वो उनके संघर्ष और जिद्दीपन की इंतेहा है कि अपने ईगो को किनारे रखकर वह कांग्रेस को लीड करते हुए राजस्थान में दिखना चाहते हैं. इससे पहले फिर से बिल को लेकर भी सचिन पायलट राजस्थान में राज्य के अलग अलग हिस्सों में सड़क पर उतरे मगर कांग्रेस में उसे तवज्जो नहीं दी गई. इसलिए कहा जा सकता है कि पायलट के लिए यह राह आसान नहीं है क्योंकि ये तीसरी तस्वीर मुख्यमंत्री निवास से अलग आ रही थी.
तीसरी तस्वीर थी जिसमें कांग्रेस के आला कमान का डाकिया बनकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन जयपुर आए हुए थे. अजय माकन जयपुर तो आ जाए मगर मुख्यमंत्री से कब मिलेंगे यह तय नहीं हो पा रहा था. कुछ देर उन्होंने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीटिंग की रस्मअदायगी की तब जाकर मुख्यमंत्री निवास से बुलावा आया. मुख्यमंत्री निवास में जाने से पहले वह आला कमान का संदेश मीडिया के सामने कह गए कि मैं मंत्रिमंडल में विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों के लिए जयपुर आया हुआ हूं तो पूछा गया कि कब होगा उन्होंने कहा -वर्क इन प्रोग्रेस.
रात को तीन घंटे 20 मिनट तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ अजय माकन रहे मगर बात बनी नहीं. फिर सुबह एक घंटे चालीस मिनट तक मुख्यमंत्री निवास में दोबारा बैठे रहे और यह कहकर रवाना हुए कि असहमति नहीं है. यानी अजय माकन का दौरा वर्क इन प्रोग्रेस से शुरू हुआ था और असहमति नहीं से ख़त्म हो गया है. सचिन पायलट बस इतना भर कह पाए कि प्रदेश के प्रभारी ने कुछ कहा है तो मैं उसे गंभीरता से लेता हूं.
सचिन पायलट के लिए सब्र का समंदर बनने का यह भी इम्तिहान और इंतहा ही है. ख़बर आयी कि कांग्रेस की अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बातचीत की है और कहा है कि जुलाई में गहलोत पायलट विवाद को ख़त्म किया जाए. मगर कांग्रेस आलाकमान इतना मज़बूत नहीं है कि अशोक गहलोत को निर्देश दे सके लिहाज़ा अजय माकन से बात बनी नहीं और अब कहा जा रहा है कि अगले सप्ताह एक बार फिर से सोनिया गांधी से चर्चा करने के बाद अजय माकन दुबारा आएंगे.
मसला यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट को लोगों को एडजस्ट करने के लिए तैयार नहीं हैं. जबकि सचिन पायलट कह रहे हैं कि जो लोगों ने हमारे साथ बुरे वक़्त में साथ दिया है उनको हम छोड़कर कांग्रेस की राजनीति में आगे नहीं बढ़ना चाहते हैं और अशोक गहलोत के संदेश नहीं देना चाहते हैं कि वह कमज़ोर पड़ गये हैं बल्कि यह बताना चाहते हैं कि सचिन पायलट को हमने हाशिये पर धकेल दिया है.
कांग्रेस के अंदर यह लड़ाई अब गहलोत और पायलट की नाक की लड़ाई बन गयी है जिसमें कांग्रेस की नाक काटी जा रही है. सचिन पायलट वापस से राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं या फिर कांग्रेस का महासचिव बनकर पार्टी की सेवा करना चाहते हैं यह भी साफ़ नहीं है. मुख्यमंत्री अशोक गालो सचिन पायलट के पसंद के विधायकों को उनके कोटे से मंत्री बनाएंगे और बनाएंगे तो कितना बनाएंगे यह भी विवाद का विषय है.
अशोक गहलोत की राजनीतिको तो जानते हैं वह जानते हैं कि उनकी राजनीति में नए इंकार है ना इकरार है बस इंतज़ार है. सचिन पायलट के लिए यह नर्व वार बन चुका है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट और उनके लोगों को फ़्रस्टेट का देना चाहते हैं, सचिन पायलट यह समझते हैं लिहाज़ा हर क़दम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं. गहलोत के लोग लगातार यह समझाने में लगे हुए हैं कि सचिन पायलट हैं जो गलती की है वह अक्षम्य है.
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस में या फिर सचिन पायलट के लिए भविष्य की वह चौथी तस्वीर कौन सी है. सचिन पायलट को लगता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद राजस्थान में मैदान ख़ाली है इसलिए इंतज़ार का फल मीठा होता वाली कहावत को चरितार्थ किया जा सकता है. पायलट जिस रास्ते पर हैं वह थकाऊ और उबाऊ है मगर पायलट के लिए विकल्प सीमित हैं.
जो गलतियां की गई है उसे ठीक किया जा सकता है मगर क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया को जो अहमियत BJP ने दी है वह कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को कभी दे पाएगा या फिर जिस तरह से सचिन पायलट सड़क पर उतार का संघर्ष कर रहे हैं क्या कभी मुख्यमंत्री निवास में बैठ पाएंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लोग कहते हैं कि गहलोत जीते जी यह होने नहीं देंगे और सचिन पायलट के लोग कह रहे हैं इसके लिए हम जान की बाज़ी लगा देंगे.
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