मध्य प्रदेश में जमीन तलाशती सपा कहीं कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी न फेर दे
वर्तमान में समाजवादी पार्टी भी मध्य प्रदेश में अपनी जमीन तलाशना चाहती है. समाजवादी पार्टी की आकांक्षा कांग्रेस के लिए आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष के लोक सभा चुनावों में समस्या उत्पन्न कर सकती है.
-
Total Shares
समाजवादी पार्टी ने कुछ समय पहले यह संदेश दिया है कि वह मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा सकती है. इस विषय पर समाजवादी पार्टी का रुख अभी पूरी तरह से साफ नहीं है. अखिलेश यादव कभी कहते हैं कि वह मध्य प्रदेश विधानसभा की सारी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, तो वह कभी कांग्रेस से हाथ मिलाने की बात करते हैं. यह बात अभी स्पष्ट नहीं है कि वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, गठबंधन करेंगे या अकेले मैदान में उतरेंगे. पर इतना तो तय है कि समाजवादी पार्टी अपने आपको उत्तर प्रदेश से बाहर फैलते हुए देखना चाहती है. आने वाले समय में पार्टी एक प्रादेशिक पार्टी से बढ़कर अपने आप को राष्ट्रीय दल में विकसित होते हुए देखना चाहती है.
समाजवादी पार्टी अपने आपको उत्तर प्रदेश से बाहर फैलते हुए देखना चाहती है
प्रत्येक राजनीतिक दल का यह अधिकार है कि वह जनता के बीच जाकर अपने विचारों को उनके समक्ष रखे. उन विचारों पर विश्वास करना या नकार देना यह जनता का विशेषाधिकार है. वर्तमान में समाजवादी पार्टी भी मध्य प्रदेश में अपनी जमीन तलाशना चाहती है. समाजवादी पार्टी की आकांक्षा कांग्रेस के लिए आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष के लोक सभा चुनावों में समस्या उत्पन्न कर सकती है.
सपाअपने बल पर चुनाव लड़े या कांग्रेस से सीटों के तालमेल की अपेक्षा करे, दोनों ही स्थितियों में कांग्रेस नुकसान में होगी
उत्तर प्रदेश में पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मिलकर लड़ा था. समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के लिए 105 सीटें छोड़ी थी, परंतु कांग्रेस सिर्फ 7 सीट ही जीत पाई थी. मध्य प्रदेश के संदर्भ में समाजवादी पार्टी अपने बल पर चुनाव लड़े या कांग्रेस से सीटों के तालमेल की अपेक्षा करे, दोनों ही स्थितियों में कांग्रेस नुकसान में होगी. मध्य प्रदेश में अभी तक कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने सामने की लड़ाई रही है. उत्तर प्रदेश के ताल मेल की दुहाई देकर यदि समाजवादी पार्टी कांग्रेस से सीटों की मांग करती है तो कांग्रेस को न चाहकर भी समाजवादी पार्टी को संतुष्ट करना पढ़ सकता है. दूसरी ओर यदि समाजवादी पार्टी ने अपने बल पर चुनाव लड़ा तब भी वह कांग्रेस के वोट ही काटेगी.
समाजवादी पार्टी का मध्य प्रदेश में आगमन 2019 चुनावों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. यदि अखिलेश यादव को मध्य प्रदेश में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं तो शायद वह लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से उत्तर प्रदेश से बाहर की सीटों पर लड़ने की इच्छा भी व्यक्त कर दे. समाजवादी पार्टी की रणनीति देख बहुजन समाज पार्टी भी आक्रामक रूप अपना सकती है. अतः इन विधानसभा चुनावों का असर लोक सभा चुनाव पर पड़ना तय है.
ये भी पढ़ें-
कारण जो बताते हैं कि, कर्नाटक का नया मुख्यमंत्री लम्बी रेस का घोड़ा नहीं है!
2019 लोकसभा चुनाव में भी कामयाब हो सकता है 'कर्नाटक मॉडल' बशर्ते...
आपकी राय