संजय राउत पर ED के ऐक्शन से उद्धव ठाकरे पर क्या असर पड़ेगा?
जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम संजय राउत (Sanjay Raut) को ले जा रही थी तो भगवा लहरा कर ये जताने की कोशिश किये कि वो हिंदुत्व की लड़ाई लड़ रहे हैं - उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बयान से भी ऐसा ही लगता है - क्या महाराष्ट्र के लोग भी ऐसा ही सोचते हैं?
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संजय राउत (Sanjay Raut) के घर पर छापेमारी और पूछताछ करीब नौ घंटे तक चली - और उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया. अधिकारियों के हवाले आई मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि पूछताछ के लिए दो-दो समन भेजे जाने के बाद भी संजय राउत प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं हुए थे.
शिवसेना सांसद संजय राउत के खिलाफ पात्रा चाल घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ये ऐक्शन लिया है. ईडी अधिकारियों के रेड डालने के कुछ ही देर बाद संजय राउत के वकील भी पहुंच गये और जांच पड़ताल के बाद अधिकारियों ने उनको घर के अंदर जाने दिया.
ईडी के अधिकारियों ने संजय राउत पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है. खबर ये भी है कि ईडी ने संजय राउत को 20 और 27 जुलाई को समन जारी करके तलब किया था, लेकिन सांसद होने के नाते मॉनसून सत्र के कारण व्यस्त होना बताकर वो पेश नहीं हुए. संजय राउत 7 अगस्त तक पेशी से छूट चाहते थे.
जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से छापेमारी की कार्रवाई हुई संजय राउत के समर्थक उनके घर के बाहर जमा होने लगे. ईडी अधिकारी अर्ध सैनिक बल को साथ लेकर पहुंचे थे ताकि किसी तरह का विरोध हो तो स्थिति को संभाला जा सके. संजय राउत के घर के बाहर जुटे कुछ शिवसैनिक नारेबाजी भी कर रहे थे. जब अधिकारी संजय राउत को साथ ले जाने लगे तो समर्थकों ने रास्ता रोक लिया था.
शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने संजय राउत को हिरासत में लिये जाने को मराठी आवाज से जोड़ कर पेश किया है. ईडी के ऐक्शन को केंद्र की बीजेपी सरकार से जोड़ते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वो उन लोगों का गला घोंटना चाहते हैं जो हिंदुओं, मराठियों और शिवसेना के लिए आवाज उठा रहे हैं.
जब ईडी की टीम संजय राउत को लेकर निकली तो शिवसेना सांसद ने भगवा गमछा लहरा कर अपनी तरफ से लोगों कोई खास संदेश देने की कोशिश की. असल में संजय राउत ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि ईडी की कार्रवाई हिंदुत्व पर हमले जैसी है - और हिंदुत्व के लिए लड़ाई लड़ने के कारण ही उनके साथ ये सब हो रहा है.
संजय राउत बार बार दोहरा रहे हैं कि कुछ भी हो जाये वो न झुकेंगे और न ही शिवसेना छोड़ेंगे - क्या वास्तव में उनके पास दूसरी पार्टियों से कोई ऑफर है?
दबाव की बात में कितना दम?
महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनने के ठीक एक दिन बाद, 1 जुलाई को संजय राउत प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हुए थे - और तब यही कह रहे थे कि जब भी बुलाया जाएगा, वो जरूर हाजिर होंगे. अब जो बात सामने आयी है, ये बताया जा रहा है कि वो दो बार समन मिलने के बाद भी हाजिर नहीं हुए और वकील के माध्यम से 7 अगस्त के बाद ऐसा करने की सूचना भिजवाये थे.
क्या संजय राउत के बाद उद्धव ठाकरे के बाकी करीबियों का भी नंबर आ सकता है?
प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने जब उनके घर छापा डाल कर दफ्तर चलने के लिए कहा तो भी वो तैयार नहीं हो रहे थे - और कभी सांसद होने की बात बोल कर तो कभी कोई और वजह बता कर टालमटोल कर रहे थे. हालांकि, छापेमारी की खबर आने के साथ ही संजय राउत की गिरफ्तारी की आशंका जतायी जाने लगी थी.
पेशी के लिए पहली बार ईडी का नोटिस मिलने के बाद संजय राउत बड़े दबाव में होने की बात कर रहे थे. बाद में भी जब भी शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बात होती, संजय राउत ऐसा जिक्र करना नहीं भूलते. एक बार कहा भी था कि उन पर भी गुवाहाटी जाने का बहुत दबाव था, लेकिन वो तैयार नहीं हुए.
ईडी की कार्रवाई के दौरान भी संजय राउत के कई ट्वीट आये. ये सारे ही ट्वीट मराठी में हैं. बाकी बातों के बीच संजय राउता का ईडी के एक्शन पर दो बातें समझाने में ज्यादा जोर दिखा.
एक, जिसे संजय राउत ने ट्विटर पर ही शेयर किया है, 'मैं दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की सौगंध खाता हूं कि मेरा किसी घोटाले से कोई संबंध नहीं है.'
और दूसरा, ट्विटर पर ही लिखा है, 'मैं मर जाऊंगा, लेकिन शिवसेना को नहीं छोडूंगा.'
ऐसा लगता है पहले भी और अब भी संजय राउत अपनी बातों से यही समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि शिवसेना न छोड़ने के चलते ही उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई हो रही है. जिस दबाव की वो बात कर रहे थे, उसका आशय भी, उनके हिसाब से वैसा ही लगता है.
सवाल ये है कि दबाव की बात करके संजय राउत महाराष्ट्र के लोगों के सामने विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं या फिर उद्धव ठाकरे के प्रति निष्ठावान बने रहने की कोशिश कर रहे हैं?
संजय राउत के लिए राहत की बात एक ही है कि उद्धव ठाकरे ने भी उनकी निष्ठा पर भरोसा जताया है. उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया में भी वही भाव महसूस होता है जिसकी तरफ संजय राउत लगातार इशारे करते चले आ रहे थे - वो खास दबाव.
उद्धव ठाकरे ने संजय राउत के खिलाफ ऐक्शन को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का अगला चरण बताया है. हाल ही में राज्यपाल कोश्यारी ने एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र के विकास में मराठी लोगों के योगदान को नकार दिया था - और राज्यपाल के बयान के खिलाफ सत्ता पक्ष और विपक्ष का हर नेता एक सुर में बोल रहा था.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को टारगेट करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा है, 'लोग डर और धमकियों की वजह से उधर जा रहे हैं... वो हिंदुओं को बांटना चाहते हैं, ताकि हिंदुओं और मराठियों को बचाने वाली कोई पार्टी ना बचे.'
संजय राउत के खिलाफ हुई ईडी की कार्रवाई को उद्धव ठाकरे ने बेशर्म साजिश करार दिया है - और कहा है कि साजिश को धराशायी करना जरूरी हो गया है. उद्धव ठाकरे ने CJI एनवी रमन्ना के बयान का भी हवाला दिया है, 'मुख्य न्यायाधीश कहते हैं कि अपने राजनीति प्रतिद्वंदियों के साथ दुश्मन की तरह व्यवहार न करें, लेकिन एक नया दौर शुरू हुआ है.'
राउत के विरोधी क्या कह रहे हैं?
संजय राउत के दबाव वाली बात पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी प्रतिक्रिया जतायी है. संजय राउत का दावा रहा है कि उनके ऊपर गुवाहाटी जाने का भी दबाव था - और बाद में भी वैसा ही दबाव बना रहा, लेकिन वो किसी भी सूरत में शिवसेना नहीं छोड़ेंगे. ऐसा कहते कहते संजय राउत अक्सर बाला साहेब ठाकरे का भी हवाला देते हैं. खुद को बेकसूर बताने के लिए अब तो वो बाल ठाकरे की कसम भी खा चुके हैं.
शिवसेना न छोड़ने के संजय राउत के दावे पर एकनाथ शिंदे का कहना है, 'उन्हें बुलाया किसने है? हम तो नहीं बुला रहे... न बीजेपी...
एकनाथ शिंदे कहते हैं, 'मैं साफ कह देता हूं... अगर कोई ईडी के डर से हमारे साथ जुड़ने की बात कह रहा है तो मेरी विनती है मत आओ हमारे साथ... हम ईडी या दबाव डाल किसी को नहीं बुला रहे हैं... हमारे साथ जो लोग जुड़े उन पर कोई दबाव नहीं रहा.'
प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को लेकर एकनाथ शिंदे का कहना रहा, प्रवर्तन निदेशालय ने पहले भी जांच की थी. अगर वो कुछ गलत नहीं किये तो डर क्यों रहे हैं?
एकनाथ शिंदे की ही तरह, केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने भी जांच एजेंसी का बचाव किया है. दानवे का कहना है कि सीबीआई और ईडी स्वतंत्र रूप से काम करते हैं और कार्रवाई का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.
अमरावती से सांसद नवनीत राणा का तो सीधा आरोप है कि संजय राउत ने गरीबों का पैसा खाया है - और उनको तो पहले ही गिरफ्तार हो जाना चाहिये था. नवनीत राणा को उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहते महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का जाप करने की घोषणा की थी.
कोई कॉमन कनेक्शन है क्या?
प्रवर्तन निदेशालय के छापे के ठीक पहले संजय राउत एक ऑडियो को लेकर खासे चर्चा में रहे. एक महिला ने वकोल पुलिस स्टेशन में संजय राउत के खिलाफ रेप और हत्या की धमकी देने का आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की है.
महिला का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में वो प्रवर्तन निदेशालय को अपना बयान दे चुकी हैं और ये धमकी का मामला उसी से जुड़ा है. महिला की तरफ से पुलिस को सौंपे गयी ऑडियो क्लिप में एक पुरुष की आवाज है जो कई बार गाली दे रहा है.
बहरहाल, मुद्दा ये है कि संजय राउत या उद्धव ठाकरे ईडी पर राजनीतिक दबाव में काम करने जो आरोप लगा रहे हैं वो कहां तक तर्कसंगत लगता है? देखें तो संजय राउत के खिलाफ भी ईडी ने वैसे ही कार्रवाई की है जैसे एनसीपी नेता और तत्कालीन मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ किया था.
पश्चिम बंगाल में पार्थ चटर्जी की भी गिरफ्तारी मिलती जुलती लगती है. बस एक फर्क है कि उनकी करीबी महिला अर्पिता मुखर्जी के घरों से 50 करोड़ कैश और बहुत सारे गहने भी मिले हैं. महिला का दावा है कि सारे कैश पार्थ चटर्जी ने ही रखवाये थे.
एक कॉमन बात तो यही है कि तीनों ही नेताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का ही आरोप लगा है. हालांकि, तीनों ही अलग अलग मामलों में अपनी अपनी वजहों से ईडी के शिकार हुए हैं. तीनों ही मामलों में निशाने पर केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ही आ रही है - और ये भी है कि तीनों ही नेताओं की पार्टियां और बीजेपी आपस में राजनीतिक विरोधी भी हैं - सबसे बड़ी बात ये तीनों ही अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हद से ज्यादा हमलावर रहे हैं और आक्रामक तरीके से विरोधी नेताओं पर निजी हमले भी करते रहे हैं.
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