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Updated: 20 जुलाई, 2016 05:00 PM
पीयूष बबेले
पीयूष बबेले
  @piyush.babele.5
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यह संवाद लंबे समय से चला आ रहा है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ महात्मा गांधी की हत्या के पीछे था या नहीं था. यही बात पिछले दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी दोहरा दी थी. इसको लेकर एक सज्जन ने अदालत में राहुल के खिलाफ आरएसएस की मानहानि का आपराधिक मुकदमा दर्ज करा दिया. और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि राहुल मुकदमे का सामना कर यह साबित करें कि आरएसएस ने गांधीजी की हत्या की. जाहिर है राहुल गांधी के वकील उनका पक्ष रखेंगे.

लेकिन इतिहास पर नजर डालें तो जो बात आज राहुल गांधी कह रहे हैं, वह बात तो दशकों पहले भारत के पहले गृहमंत्री और बीजेपी और संघ परिवार में खूब सम्मान पाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल भी कह चुके हैं. और सरदार ने यह बात किसी ऐरे-गैरे से नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के मूल दल भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी से कही थी. और पटेल ने यह बात तब कही थी, जब मुखर्जी ने उन्हें पत्र लिखकर इस बात पर आपत्ति की कि आरएसएस का नाम जबरन गांधीजी की हत्या में उछाला जा रहा है. इसे भी संयोग ही कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई 2016 को मुकदमा चलाने की अनुमति दी तो सरदार पटेल ने 18 जुलाई 1948 को यह सख्त खत मुखर्जी को लिखा था.

पढ़ें पत्र का अंश-

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 सरदार पटेल का श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखा पत्र

‘‘प्रांतीय मुख्यमंत्रियों की मीटिंग के बारे में लिखे गए आपके 17 जुलाई 1948 के पत्र के लिए धन्यवाद. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा हिंदू महासभा के बारे में मैं इतना ही कहूंगा कि गांधीजी की हत्या का मुकदमा विचाराधीन है, इसलिए मुझे उसमें इन दो संस्थाओं के हाथ के बारे में कुछ नहीं कहना चाहिए, परंतु हमारी रिपोर्टें जरूर इस बात की पुष्टि करती हैं कि इन दो संस्थाओं की - खास तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की- प्रवृत्तियों के परिणामस्वरूप देश में ऐसा वातावरण पैदा हो गया था, जिसमें ऐसी भीषण करुण घटना संभव हो सकी. मेरे मन में इस संबंध में किसी तरह का संदेह नहीं है कि हिंदू महासभा का अत्यंत उद्दाम वर्ग इस षडयंत्र में शामिल है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रवृत्तियां सरकार और राज्य के अस्तित्व के लिए स्पष्ट खतरा बन गई हैं. हमारी रिपोर्टें दिखाती हैं कि प्रतिबंध के बावजूद वे प्रवृत्तियां खत्म नहीं हुई हैं. बेशक, समय बीतने के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग ज्यादा अवज्ञापूर्ण बनते जा रहे हैं और दिनोंदिन बढ़ती मात्रा में विध्वंसक प्रवृत्तियां चला रहे हैं.’’

इस पत्र के अलावा भी उस जमाने के कई ऐसे पत्र हैं जिसमें सरदार मरते दम तक वीर सावरकर और आरएसएस को गांधीजी की हत्या के संबंध में माफ नहीं कर सके. हां, वे आरएसएस के तत्कालीन प्रमुख माधवराव सदाशिवरराव गोलवलकर को बार-बार यह समझाते रहे कि आरएसएस को विधवंसक प्रवृत्तियां छोड़ देनी चाहिए.

जाहिर है कि जब मानहानि का मुकदमा आगे बढ़ेगा तो वे रिपोर्टें भी जानने को मिलेंगी जिनके आधार पर सरदार पटेल आरएसएस को इस घटना के लिए दोषी मानते थे. यह मुकदमा निश्चित तौर पर आरएसएस के डीएनए को समझने में महत्वपूर्ण साबित होगा.

लेखक

पीयूष बबेले पीयूष बबेले @piyush.babele.5

लेखक इंडिया टुडे में विशेष संवाददाता हैं.

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