व्यंग्य : शर्मा जी, बस एक सेल्फी लेनी है हथकड़ी के साथ!
तो क्या खाक छानने के लिए पुलिस में भर्ती हो गये. फिर उन्होंने कमिश्नर की ओर देखते हुए बोला - इससे अच्छा तो घर ही आ गये होते. सारा मूड कचरा कर दिया...
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कमिश्नर ने ऑपरेटर से शर्मा जी के घर फोन लगाने को कहा. ऑपरेटर ने फोन मिलाया और पूछा - शर्मा जी के यहां से बोल रहे हैं? उधर से 'हां' में जवाब आया. असल में, शर्मा जी का कुक लंच के लिए उनसे पूछने गया था. शर्मा जी बाथरूम में थे इसलिए फोन की घंटी बजी तो उसने पिक कर लिया. इसी बीच ऑपरेटर ने कमिश्नर को लाइन पर ले लिया.
सीन - 1
"हेलो..." पुलिस कमिश्नर बोले, "अरे... हे-हे... शर्मा जी?"
आवाज साफ नहीं थी, इसलिए पूछना पड़ रहा था. डर भी लग रहा था कहीं शर्मा जी बिगड़ न जाएं - फोन मिलाकर भी पूछ ही रहा है? फिर भी हिम्मत की.
"आप शर्माजी बोल रहे हैं?" कुक ने समझा 'शर्मा जी के यहां से बोल रहे हैं?'
"हां-हां बोल रहे हैं."
"मैं पुलिस कमिश्नर बोल रहा हूं."
"बोलो..." कमिश्नर को कुछ अजीब लगा. शर्मा जी पेश चाहे जैसे आएं, बोलते तो 'आप' ही हैं, 'तुम' नहीं.
"मैं पुलिस कमिश्नर बोल रहा हूं." कमिश्नर ने इस बार थोड़ा जोर देकर कहा.
"बोलो ना... गेट पर बहुते पुलिस कमिस्नर पहरा दे रहे हैं." ये सुनने के बाद कमिश्नर को समझ आ गया कि बात किसी और से हो रही है. कमिश्नर सोच में पड़ गये. हर कदम पर मुश्किलें हैं. असली नकली का फर्क समझ में ही नहीं आता. कुछ भी करो फेक अकाउंट पीछा ही नहीं छोड़ता. खैर, थोड़ी देर बाद शर्मा जी भी फोन पर आ चुके थे.
सीन - 2
"हां, बोलिए कमिश्नर साहब!"
"अरे सर, एक सेल्फी लेनी है. बस, आपको उतनी देर के लिए हथकड़ी पहननी होगी." सुनते ही शर्मा जी उखड़ गये. "तेरा दिमाग... "
"अरे नहीं सर, बस फोटो के लिए. आप फिक्र न करें उतनी देर के लिए मैं भी पहन लूंगा."
"मजाक छोड़ो काम बोलो. हां, बात सुन. काम हो जाएगा. वहां भी कमिश्नर आप ही बनोगे. चिंता वाली कोई बात नहीं है."
"सर, सर."
"आप बोलो. आप कुछ बोल रहे थे... "
"सर एक पेपर पर साइन करना है."
"कैसा पेपर?"
"सर वो जमानत लेनी होगी आपको."
"जमानत!"
"हां, सर. काफी प्रेशर है तो मंत्री जी बोल रहे थे कि..."
"मतलब, अरेस्ट होना पड़ेगा? कुछ पूछताछ नहीं करोगे. थोड़ा पूछताछ कर लो. सवाल मुझे भी बता दो और मीडिया वालों को भी..."
"नहीं, सर. हां, सर. बस थोड़ी फॉर्मल्टीज हैं. आपको बस कुछ पेपर पर साइन करने होंगे. मैं आपके लिए वकील भी लेता आऊंगा."
"तो आते हैं सर. घर पर."
"नहीं... " कमिश्नर ने सोचा बहुत बुरे फंसे.
लेकिन तभी शर्मा जी ने समझाया कि खुद अपनी गाड़ी से थाने पूछताछ के लिए पहुंचेंगे. फिर वहीं साइन भी कर देंगे.
शर्मा जी पूरे लाव लश्कर के साथ थाने पहुंचते हैं. समर्थक नारेबाजी करते हैं.
सीन - 3
पूछताछ के लिए कमिश्नर के मातहत पहले से ही इंतजार कर रहे थे. कमिश्नर भी थोड़ा हट कर एक चेयर पर बैठे हुए थे. पास में एक पुलिसवाला बयान दर्ज करने के लिए तैयार खड़ा था.
एक अफसर ने पूछा, "साब क्या लेंगे? ठंडा या गरम?
"तुम्हारा दिमाग खराब है?"
"मतलब, चाय कॉफी या... "
"या... में क्या क्या है... "
"जी सर... "
"मतलब कौन सा ब्रांड है..."
"साब यहां थाने में ब्रांड... "
तो क्या खाक छानने के लिए पुलिस में भर्ती हो गये. फिर उन्होंने कमिश्नर की ओर देखते हुए बोला - इससे अच्छा तो घर ही आ गये होते. सारा मूड कचरा कर दिया...
सीन - 4
अफसर: सर, आप पर आरोप है कि आपने एक आदमी को कोर्ट परिसर में पीटा. हमारी रिपोर्ट कहती है कि उस वक्त तो आप...
शर्मा जी: नहीं, मैं कहीं और नहीं था. मीडिया वाले ठीक दिखा रहे हैं मैंने उसे वहीं पटक कर पीटा.
शर्मा जी: 15 फरवरी को आप कहां थे?
शर्मा जी: मैं कोर्ट गया था. बड़े भइया का केस था, तो मैं भला कहीं और कैसे जाता.
(अफसर ने कुछ हिंट देने की कोशिश की जिससे शर्मा जी बोल दें कि शहर में नहीं थे. लेकिन शर्मा जी कहां मानने वाले.)
अफसर: तो सर आपकी फ्लाइट कितने बजे थी.
शर्मा जी: मूर्ख हो एक ही शहर में कोर्ट जाने के लिए मैं फ्लाइट पकडूंगा.
बयान दर्ज करते वक्त वीडियोग्राफी भी हो रही थी. कैमरामैन बाहर से हायर किया गया था. सोच रहा था - अजीब हाल है. सुनते हैं फलां आरोपी पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा. यहां तो पुलिस ही नहीं सहयोग कर रही. सुना था - आरोपी गुमराह कर रहा था. यहां तो पुलिस ही गुमराह कर रही है.
कुछ देर बाद शर्मा जी बाहर निकले. उनके समर्थक जोर जोर से नारेबाजी करते हुए उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिये. बड़ी सी गाड़ी में बैठकर शर्मा जी रवाना हुए. कमिश्नर खिड़की से ही बाहर का नजारा देख रहे थे.
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