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Updated: 29 जनवरी, 2015 11:51 AM
धीरेंद्र राय
धीरेंद्र राय
  @dhirendra.rai01
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9/11 को अंजाम देने वाले 19 में से 15 आतंकी सऊदी अरब के ही थे. तो अमेरिका को हमला किस पर करना चाहिए था ? लेकिन पूरे अरब वर्ल्ड में आज यदि अमेरिका का सबसे भरोसेमंद साथी कोई है तो वह है सऊदी अरब. अमेरिकी खूफिया एजेंसियों के मुताबिक आज भी दुनिया के आतंकी संगठनों को सबसे ज्यादा फंडिंग सऊदी अरब के लोगों और वहां की कुछ संस्थाओं से हो रही है, लेकिन अमेरिका है कि उसे आतं‍क के खिलाफ लड़ाई में अपना सबसे बड़ा साझेदार बताता है. क्या रहस्य है इस दोस्ती का-

दोस्ती: अमेरिका के साथ...

सऊदी अरब और अमेरिका की घनिष्ठता शीत युद्ध के समय से है. सऊदी अरब ने कम्युनिस्ट विचारधारा को इस्लाम विरोधी तक करार दिया था. ऐसे में जब अफगानिस्तान से रूस को धकेलने की बात आई तो सऊदी अरब ने अमेरिका की भरपूर मदद की. उस दौर से ही अमेरिका के सैन्य ठिकाने सऊदी अरब में हैं.  -9/11 हमले में सऊदी नागरिकों के शामिल होने की बात आई तो वहां की सरकार ने बिना आनाकानी किए कार्रवाई की. अमेरिका का भरोसा और बढ़ा.-2003 में आतंकियों ने सऊदी अरब की राजधानी रियाद के उस इलाके में धमाके किए, जहां ज्यादातर विदेशी रहते थे. उस घटना के बाद से इस अरब देश में आतंकियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाए गए.-अरब देशों में अमेरिका का सबसे बड़ा बिजनेस सऊदी अरब से ही होता है. वह अमेरिका को सस्ता पेट्रोलियम देता है और कई अन्य उत्पादों का आयात करता है.

फंडिंग: आतंकियों के पक्ष में...

2005 में यूएस ट्रेजरी विभाग के अधिकारी ने कांग्रेस के सामने बयान दिया कि सऊदी सरकार से अनुदान पाने वाली कई चैरिटी संस्थाएं पिछले 25 साल से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी विचारधारा भड़काने वालों की मदद कर रही हैं, जो आतंकवाद पनपा रहे हैं.-2003 में स्टेट डिपार्टमेंट के पूर्व अधिकारी ने कांग्रेस के समक्ष बयान दिया कि सऊदी अरब की चैरिटी संस्था अल-हरमैन इस्लामिक फाउंडेशन ने मिस्र के आतंकी संगठन गामा अल-इस्लामिया की फंडिंग की. -मई 2004 में स्टेट डिपार्टमेंट के उसी पूर्व अफसर ने यह भी बयान दिया कि सऊदी अरब की दो सबसे बड़ी चैरिटी संस्थाओं इंटरनेशनल इस्लामिक रिलीफ ऑर्गेनाइजेशन और द वर्ल्ड मुस्लिम लीग दुनियाभर में मौजूद इस्लामिक आतंकी संगठनों की मदद कर रही हैं.-सऊदी चैरिटेबल कम्युनिटी का एक शख्स वैल हमजा जुलैदन के बारे में बताया गया कि वह अलकायदा से जुड़े कई आतंकियों की मदद करता है. खासतौर पर ऐसे आतंकी, जो दक्षिणी यूरोप में सक्रिय हैं.-इतना ही नहीं, 9/11 कमीशन की जांच रिपोर्ट के मुताबिक अलकायदा ने अपने कारनामों को अंजाम देने के लिए कई सऊदी लोगों और चैरिटी संस्थाओं से पैसे और अन्य तरह से मदद ली. हालांकि कमीशन ऐसे कई मामलों के बावजूद यह सबूत नहीं जुटा पाया कि आतंकियों को मिलने वाली सऊदी मदद के बारे में वहां की सरकार को भी जानकारी थी या नहीं.

सऊदी अरब की जड़ में है कट्टरता

सऊदी अरब ही दुनिया का वह एकमात्र देश है, जो जेहाद के दम पर बना है. 1932 में वहां के एक कबीलाई सरदार अब्दुलअजीज अल-सऊद ने एक बड़े हिस्से पर कब्जा किया और अपने नाम पर ही उसे एक देश के रूप में घोषित कर दिया. अपनी सत्ता को मजबूती देने के लिए उसने इलाके के असरदार लोगों (वहाबियों) को साथ लिया. वहाबी कट्टर इस्लामी मान्यताओं को मानने वाले थे. इस तरह सऊदी अरब में एक कट्टर इस्लामी कानूनों वाली हुकूमत ने काम करना शुरू किया.

पेट्रोलियम का पैसा और मक्का की अहमियत

1950 के दशक में सऊदी अरब में पेट्रोलियम का पता चला. 60 और 70 के दशक में तो इसकी बदौलत पैसा बरसने लगा. लेकिन वहाबियों को चाहिए थी मुल्क में इस्लामी कट्टरता. 1965 में वहाबियों ने देश में लगी सभी तस्वीरों को तोड़फोड़ कर हटा दिया. इस तर्क के हवाले से कि इस्लामी में तस्वीरें जायज नहीं हैं. वहाबियों ने सऊदी बादशाह की तस्वीरें भी हटा दीं. पुलिस और वहाबियों में इतना संघर्ष बढ़ा कि इसमें सऊदी के किंग फैजल की हत्या कर दी गई. हालांकि इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ. 1979 में तो वहाबियों के एक गुट ने हज के दौरान मक्का पर हमला बोल दिया और पवित्र मस्जिद को अपने कब्जे में ले लिया. करीब दो सप्ताह वहां संघर्ष चला और कई लोगों की जान गई. इसके बाद से सऊदी सरकार ने इस पवित्र जगह पर नियंत्रण को कभी कमजोर नहीं होने दिया.

बादशाहत भी बची रहे और रुतबा भी बढ़ता रहे

उस दौर में जबकि पूरे अरब में तानाशाही के खिलाफ और लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन हो रहे थे, वहां सऊदी अरब की बादशाहत कायम रही. मिस्र, लीबिया, ट्यूनिशिया, सीरिया, इराक, इरान, यमन, फिलिस्तीन, सूडान जैसे अरब देशों में उथल-पुथल मची रही, लेकिन सऊदी अरब से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. वहां की हुकूमत अपने पेट्रोल और मक्का-मदीना से जुड़ी अर्थव्यवस्था पर एकाधिकार से ही खुश है.

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लेखक

धीरेंद्र राय धीरेंद्र राय @dhirendra.rai01

लेखक ichowk.in के संपादक हैं.

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