CAA protest शाहीन बाग से हटकर सोशल मीडिया पर शिफ्ट
अब जबकि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने कोरोना वायरस (Corona Virus) का हवाला देकर दिल्ली स्थित शाहीनबाग़ (Shaheenbagh Anti CAA protest) के धरने को ख़त्म करा दिया है तो मामले का ट्विटर (Twitter)पर आना लाजमी था. पक्ष में हों या विरोध में मामले पर लोगों के अपने तर्क हैं.
-
Total Shares
कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर हड़कंप मचा हुआ है. कुछ स्थानों पर लॉक डाउन (Lockdown) तो कहीं पर कर्फ्यू (Curfew) लोग अपने अपने घरों में रहने को मजबूर हैं. बीमारी कितनी जटिल है, अदांजा इसी से लगा सकते हैं कि पूरे विश्व में 3 लाख से ऊपर लोग इस बीमारी की चपेट में हैं तो वहीं बीमारी 17 से ऊपर लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है. बीमारी को लेकर भारत के भी हालात खराब हैं. 500 से ऊपर लोग यहां कोरोना पॉजिटिव बताए जा रहे हैं. वहीं बीमारी के कारण 10 लोग अपनी जान गंवा (Coronavirus Death in India) चुके हैं. भारत में संक्रमण न फैले इसलिए सरकार की तरफ से लगते प्रयास किये जा रहे हैं और ये सरकार के प्रयास ही हैं जिनके कारण बीते 100 दिन से दिल्ली के शाहीनबाग़ (Shaheenbagh Anti CAA Protest) में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के नाम पर चल रहे धरने को खत्म किया गया है.
शहीनबाग के धरने ने सोशल मीडिया पर एक नयी बहस का आगाज़ कर दिया है
शाहीन बाग़ के कारण आलोचना का शिकार हो रही दिल्ली पुलिस ने बड़ा कदम उठाते हुए शाहीनबाग़ के धरने को लोगों की परेशानी का सबब बन चुके धरना स्थल से उखाड़ फेंका है.
मामले को लेकर एक बार फिर दिल्ली पुलिस एन्टी सीएए प्रोटेस्टर्स और विपक्ष के निशाने पर है. वो तमाम लोग जो सरकार के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन का समर्थन कर रहे थे उनका इस कार्रवाई को लेकर यही कहना है कि सरकार ने कोरोना वायरस को एक बड़ा हथियार बनाया है और इसके जरिये उन आवाज़ों को दबाने का प्रयास किया है जो मुखर होकर देश की सरकार के विरोध में उठ रही थी.
#WATCH Delhi Police clears the protest site in Shaheen Bagh area, amid complete lockdown in the national capital, in wake of #Coronavirus pic.twitter.com/N6MGLTLs5Z
— ANI (@ANI) March 24, 2020
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीनबाग़ में चल रहे इस प्रोटेस्ट को अन्ना आंदोलन के बाद, एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है इसलिए इसका तूल पकड़ना स्वाभाविक था. मामला सोशल मीडिया पर छाया हुआ है और इसपर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
चूंकि शाहीनबाग़ अब सोशल मीडिया पर शिफ्ट हो गया है तो हमारे लिए भी ये समझना बहुत जरूरी है कि वहां पर विरोध का सुर कैसा है? क्या वहां भी विरोध उतना ही बुलंद है या फिर जैसे जैसे दिन बीतेगा शाहीनबाग वक़्त की भेंट चढ़ जाएगा और फिर कोई इसका नामलेवा नहीं होगा.
पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने इसे आज़ाद भारत का वो मूवमेंट बताया है जिसका उद्देश्य संविधान और लोकतंत्र को बचाना था और जो 100 दिनों से ऊपर चला है. शेरवानी ने शाहीनबाग़ की महिलाओं की तारीफ करते हुए उन्हें सलाम किया है.
100 days of Shaheen Bagh!The largest resistance movement of independent India led by women to save the constitution& democracy.History will forever remember you for your heroismMovements don’t end.They are just deferred to another day.Shaheen Bagh ki Behno ko mere 100 Salam!
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) March 24, 2020
पत्रकार राना अय्यूब का शुमार उन लोगों में है जिन्होंने शुरूआती दिनों से शाहीन बाग़ के बाग के धरने का समर्थन किया. राना आज भी प्रदर्शन कर रहे लोगों का समर्थन कर रही हैं. राना ने ट्विटर पर लिखा है कि दोबारा शहीनबाग का निर्माण किया जाए और प्रदर्शन कर रही इन महिलाओं के कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ा हुआ जाए.
Once this is all over and we are back to our normal lives, it will be our moral responsibility to rebuild Shaheen Bagh and stand by the brave women protestors. The women of Shaheen Bagh have taught us to fight the good fight. My salam to each one of you.
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) March 24, 2020
तमाम लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस धरने का समर्थन किया है. जिस तरह दिल्ली पुलिस ने बलपूर्वक शहीनबाग और जामिया को खाली कराया है एक बार फिर लोगों को सरकार की आलोचना का मौका मिल गया है.
This is insanity! Resistance art on walls of Jamia Millia Islamia being whitewashed at the time when these workers should have been at home. Shows that removing Shaheen Bagh protest site this morning wasn't only about Coronavirus. pic.twitter.com/0fd2d1gMRT
— Vijdan Mohammad Kawoosa (@vijdankawoosa) March 24, 2020
बताया जा रहा कि जिस वक़्त पुलिस धरना स्थल को खाली करा रही थी उस वक़्त इसका स्थानीय लोगों द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया. मगर क्योंकि दिल्ली पुलिस भी पूरी तरह मुस्तैद थी स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया.
* Early morning, Delhi Police vacated Shaheen Bagh* Then M*slim women started cursing cops saying "Humari Haye Lagegi"* Now rioters once again gathered near the anti-CAA protest site in Shaheen BaghIf Corona spreads like wild fire, these should be arrested!Inhumane people pic.twitter.com/uPxu6fwIzr
— Mahesh Vikram Hegde (@mvmeet) March 24, 2020
मामले को लेकर जबरदस्त राजनीति की शुरुआत हो गयी है. कम्युनिस्ट पार्टी से जुडी कविता कृष्णन ने इसे एक कायरता पूर्वक काम बताते हुए दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है.
Shame on you. This cowardly Govt used a PANDEMIC to ask police to do the clear away a protest site that the brave women had ALREADY cleared. In what way is that ESSENTIAL work in a pandemic?! Salaams to the brave women of Shaheen Bagh. https://t.co/zhmBKufl1j
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) March 24, 2020
आरजे साएमा का शुमार भी उन लोगों में है जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून पर मुखर होकर सरकार की आलोचना की है. अब जबकि दिल्ली पुलिस ने शाहीनबाग़ के इस धरने को हटा दिया है एक बार फिर साएमा अपने ट्वीट के जरिये सरकार और दिल्ली पुलिस को घेरने का काम किया है.
Before 15th Dec, none knew of this place. In less than a month, you were the talking point of the WORLD! Today #ShaheenBagh isn’t just a name!It’s a spirit, a strength, a movement, a shining example of democracy,Constitution of India. Thanks for showing the way. U will live on❤️
— Sayema (@_sayema) March 24, 2020
बता दें कि दिल्ली पुलिस की इस मुहीम को लोगों का समर्थन मिला है. लोगों ने दिल्ली पुलिस को फूल भेंट कर आभार व्यक्त किया है.
Delhi: Locals gave flowers to DCP South RP Meena and other police personnel following the clearance of Shaheen Bagh protest site today. Delhi Police cleared the protest site, amid complete lockdown in the national capital, in wake of #Coronavirus. pic.twitter.com/MbEzz6p2Ll
— ANI (@ANI) March 24, 2020
जैसा की ज्ञात था इस मामले में भी दिल्ली पुलिस पर तमाम तरह की तोहमत लगेगी हुआ कुछ वैसा ही है. दिल्ली पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि उसने धरने पर बैठी महिलाओं के साथ बदसलूकी की है.
Atleast 6 women who had come to enquire about the situation were manhandled by the police, and roughly taken away into detainment. We will not rest until they are released. We demand that Delhi Police releases all detainees immediately!#ShaheenBagh #ReleaseDetainees pic.twitter.com/aqYcVUxEdm
— Shaheen Bagh Official (@Shaheenbaghoff1) March 24, 2020
शहीनबाग में धरना कर रहे लोगों की तरफ से ये भी तर्क दिया जा रहा है कि उन्हें पूरी तरह से कोरोना वायरस के खतरे का अंदाजा था और इसलिए धरना स्थल पर एक समय में चार पांच औरतों के ही बैठने की व्यवस्था वहां की गयी थी.
We understand and agree with the need for social distancing in view of the #corona virus pandemic. Our protest was purely symbolic with only 2-3 women present at a time. In spite of these measures, why did the police come to remove us today?#ShaheenBaghProtests #Covid19India pic.twitter.com/M9pA0EMBiw
— Shaheen Bagh Official (@Shaheenbaghoff1) March 24, 2020
तमाम लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि जैसे ही वायरस जाता है धरने को एक दूसरे लेवल पर लाया जाएगा.
We understand and agree with the need for social distancing in view of the #corona virus pandemic. Our protest was purely symbolic with only 2-3 women present at a time. In spite of these measures, why did the police come to remove us today?#ShaheenBaghProtests #Covid19India pic.twitter.com/M9pA0EMBiw
— Shaheen Bagh Official (@Shaheenbaghoff1) March 24, 2020
बहरहाल, धरने का सेकंड लेवल क्या होता है? ये हमें आने वाले दिनों में बता चल जाएगा. मगर जिस तरह बीते 100 दिनों से चल रहा ये धरना सोशल मीडिया पर आया है. यूजर्स दो गुटों में बंट गए हैं. एक वर्ग वो है, जिसका मानना है कि जो काम दिल्ली पुलिस ने आज किया वो उसे बहुत पहले कर लेना चाहिए था. वहीं दूसरा वर्ग वो है जिसका एजेंडा स्पष्ट है. ये वर्ग पहले भी सरकार की आलोचना करता था आज भी ये वही कर रहा है और अपनी अपनी छाती पीट रहा है.
ये भी पढ़ें -
Coronavirus के कारण एकांत में खुश रहने के 10 इनोवेटिव तरीके!
आपकी राय