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Updated: 10 नवम्बर, 2015 07:47 PM
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बिहार चुनावों में बीजेपी की हार के बाद से ही शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी नेतृत्व के प्रति हमलावर बने हुए हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि वह चुनाव नतीजों के बाद पार्टी की आलोचना कर रहे हैं. बल्कि वह तो बिहार चुनावों से काफी पहले से ही ऐसा करते आ रहे हैं. शत्रुघ्न सिन्हा के पिछले ढाई महीनों के ट्वीट्स पर नजर दौड़ाने पर यह बात साफ नजर आती है कि वह किस कदर बीजेपी से रूठे हुए हैं और पार्टी की आलोचना करने और उस पर तंज कसने का एक भी मौका नहीं गंवाते हैं.

22 अगस्त से लेकर विजयवर्गीय को जवाब देने तक सिन्हा ने कुल 55 ट्वीट्स किए हैं. इनमें 35 ट्वीट्स राजनैतिक थे. पांच ट्वीट्स में उन्‍होंने बीजेपी नेताओं और उनके समर्थकों को शुभकामनाएं दीं, जबकि बाकी के 30 ट्वीट्स में तो उन्होंने पार्टी की आलोचना का कोई मौका नहीं गंवाया है.

नीतीश की तारीफ से शुरुआतः

अगस्त से ही अपनी ही पार्टी के खिलाफ शुरू हूई शत्रु की इस सोशल वॉर की शुरुआत उन्होंने नीतीश कुमार की तारीफ करने वाले ट्वीट्स से की थी और बीजेपी को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कैंडिडेट्स न उतारने की नसीहत दी थी.

पासवान के पक्ष में बैटिंग कर एनडीए को मुश्किल में डालाः

24 अगस्त को उन्होंने फिर से एनडीए को मुश्किल में डालने वाले 5 ट्वीट्स किए और लोकजन शक्ति पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान को बिहार सीएम पद का सबसे बेहतरीन दावेदार बता दिया. साथ ही उन्होंने एनडीए द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा न करने की भी आलोचना की.

निष्कासन के सवाल पर दिलाई न्यूटन के नियम की यादः

चुनाव बाद खुद को पार्टी से निकाले जाने संबंधी मीडिया में आ रही खबरों का जोरदार जवाब देते हुए शत्रुघ्न ने 25 अगस्त को किए गए तीन ट्वीट्स में कहा कि ऐसी बातें करने वालों को न्यूटन का नियम नहीं भूलना चाहिए, 'हर एक्शन का रिएक्शन जरूर होता है.'

दिग्विजय सिंह के बहाने फिर साधा पार्टी पर निशानाः

सिन्हा यहीं नहीं रुके और 7 सितंबर को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अमृता राय के साथ शादी पर उन्हें बधाई देने के लिए किए गए 2 ट्वीट्स के बहाने एक बार फिर से बीजेपी के नेताओं को दिग्विजय से सीख लेने और हिम्मत दिखाने की नसीहत दे डाली.

बिहार चुनावों में दाल की कीमतों पर दी मोदी सरकार को नसीहतः

करीब एक महीने तक वह राजनीतिक ट्वीट से दूर रहने के बाद बिहार चुनाव शुरू होते ही शत्रु फिर लौटे और 15 अक्टूबर को नवरात्रि की बधाई देने के बाद उसी दिन दाल की बढ़ती हुई कीमतों पर मोदी सरकार को याद दिलाया कि कीमतें जल्द नियंत्रित की जाएं क्योंकि अतीत में हम प्याज के आंसू रो चुके हैं.

बीजेपी-आरएसएस के पक्ष में बस 5 ट्वीट किएः

बिहार चुनावों में पहली बार 16 अक्टूबर को शत्रुघ्न ने बीजेपी के पक्ष में ट्वीट किया और बीजेपी कैंडिडेट्स को चुनावों के लिए शुभकामनाएं दीं. लेकिन उसी दिन 2 और ट्वीट्स करके मोदी की रैली रद्द होने के लिए स्थानीय बीजेपी नेताओं पर निशाना साधने से भी नहीं चूके. हालांकि इसके बाद उन्होंने 17 अक्टूबर को आरएसएस चीफ मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान की तारीफ की और 18 अक्टूबर को भी बीजेपी के पक्ष में ट्वीट करते हुए पार्टी को शुभकामनाएं दीं.

बीजेपी के जंगल राज की बजाय मंगल राज पर ध्यान देने को कहाः

बीजेपी के समर्थन में थोड़ा सा बोलने के बाद शत्रु फिर से पुराने अंदाज में लौट आए और पहले तो उन्होंने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए 24 और 25 अक्टूबर को 5 ट्वीट्स किए और कहा कि यह बिहारी बनाम बाहरी का नहीं बल्कि अपने ही लोगों द्वारा बिहारी बाबू को बिना किसी गलती के नजरअंदाज किए जाने का मामला है.फिर 26 अक्टूबर को किए ट्वीट्स में बीजेपी को जंगल की बजाय मंगल राज पर ध्यान देने की नसीहत दे डाली.

खुद के चुनाव प्रचार से दूर रहने परः

वोट डालने बिहार पहुंचेः

8.बीजेपी की हार के बाद आलोचनाओं की झड़ी लगा दीः

शत्रुघ्न का अंदाज बिहार चुनाव नतीजों के बाद और ज्यादा तीखा हो गया. बिहार चुनावों में बीजेपी की हार और महागठबंधन की जीत को उन्होंने जनता की जीत बताते हुए कहा कि इन चुनावों के साथ ही बिहारी बनाम बाहरी का मुद्दा हमेशा के लिए सुलझ गया है.

 

अब अपने सबसे तीखे ट्वीट में उन्होंने बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के कुत्ते वाले बयान का जवाब 'हाथी-चले बिहार, ...भौंके हजार' के अंदाज में दिया है.

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