शिवसेना के 5 दावेदारों में से मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
9 नवंबर तक महाराष्ट्र (Maharashtra Assembly Election) में सरकार नहीं बनी तो राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा. अगर इससे पहले शिवसेना (Shiv Sena) किसी के साथ मिलकर सरकार बना भी लेती है, तो भी एक सवाल है कि आखिर शिवसेना की तरफ से सीएम पद का दावेदार कौन होगा?
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महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे (Maharashtra Election Results) 24 अक्टूबर को ही आ गए थे, लेकिन सरकार अब तक नहीं बन सकी है. कांग्रेस-एनसीपी (Congress-NCP alliance) के गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़कर भाजपा-शिवसेना (BJP-Shiv Sena alliance) का गठबंधन तो जीत गया है, लेकिन शिवसेना और भाजपा में ही लड़ाई शुरू हो गई है. ये लड़ाई है सीएम पद की कि आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा. फडणवीस कहते फिर रहे हैं कि पूरे 5 साल वही सीएम रहेंगे, जबकि शिवसेना जिद पर अड़ी है कि ढाई साल शिवसेना का सीएम होगा, वो भी शुरुआती ढाई साल. भाजपा झुकने को तैयार नहीं हो रही है तो शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत कांग्रेस और एनसीपी से भी मुलाकात करते दिख रहे हैं, इस उम्मीद में कि शायद वही शिवसेना की मांगें मान जाएं. खैर, भाजपा तो शिवसेना की मांगें मानने से रही और अब 9 नवंबर तक का ही समय बचा है. इसके बाद महाराष्ट्र (Maharashtra Assembly Election) में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा. अगर इससे पहले शिवसेना का कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन के साथ कोई समझौता हो जाता है और उनकी सरकार बन भी जाती है, तो भी एक सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल सका है कि आखिर शिवसेना की तरफ से सीएम पद का दावेदार कौन है?
सीएम तो शिवसेना की बनाने की मांग हो रही है, लेकिन वो होगा कौन ये अभी तय नहीं है.
1- आदित्य ठाकरे की हो सकती है पहली दावेदारी
उद्धव ठाकरे के बेटे और बाल ठाकरे के पोते आदित्य ठाकरे शिवसेना की तरफ से सीएम पद से सबसे तगड़े दावेदार हैं. चुनाव जीतने के बाद से ही मातोश्री के बाहर उन्हें अपना मुख्यमंत्री बताने वाले पोस्टर भी लगा दिए गए थे. इनकी दावेदारी उनके अनुभव और लोकप्रियता के दम पर नहीं है, बल्कि इस दम पर है कि वह ठाकरे परिवार से हैं. वैसे भी, पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनावी अखाड़े में उतरा है, वरना अब तक को शिवसेना रिमोट कंट्रोल के जरिए ही सत्ता में अपनी जगह बनाती आई है. हालांकि, आदित्य ठाकरे के नाम पर शायद ही कांग्रेस-एनसीपी राजी हों, क्योंकि महज 29 साल के आदित्य ठाकरे के पास सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं है और ऐसे शख्स के हाथ में सत्ता सौंपने का मतलब है सरकार को खतरे में डालना. ऐसे में शिवसेना को किसी और विकल्प के बारे में सोचना होगा.
चुनाव नतीजे आते ही मातोश्री के बाहर आदित्य ठाकरे को सीएम बनाने की मांग करते हुए तस्वीरें लगा दी गई थीं.
2- एकनाथ शिंदे सबसे तगड़े दावेदार
महाराष्ट्र चुनाव के बाद शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना है. देखा जाए तो शिंदे ही शिवसेना की ओर से सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार हैं. अगर उद्धव ठाकरे परिवारवाद को छोड़कर पार्टी हित की सोचेंगे, तो बेशक ही वह एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित करेंगे. वैसे भी, महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे एक बड़ा नाम हैं और शिवसेना में तो सबसे अहम नाम हैं. यही वजह है कि उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया है. सरकार बनने की हालत में बेशक उनके नाम पर कांग्रेस-एनसीपी को भी दिक्कत नहीं होगी, बशर्तें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उनकी नजर ना हो. यहां आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे को भी मुख्यमंत्री बनाने को लेकर थाणे क्षेत्र में कुछ पोस्टर लगाए गए हैं.
हाल ही में थाणे क्षेत्र में एकनाथ शिंदे को सीएम बनाए जाने के पोस्टर लगाए गए हैं.
3- संजय राउत को भी मिल सकता है सीएम पद
इन दिनों शिवसेना की तरफ से एक चेहरा सबसे अधिक दौड़-भाग करता नजर आ रहा है. ये चेहरा है संजय राउत का, जो शिवसेना के प्रवक्ता हैं और महाराष्ट्र की ओर से राज्यसभा में सांसद भी हैं. अगर उद्धव ठाकरे रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाना चाहें, जैसा कि शिवसेना ने हमेशा किया है तो वह संजय राउत को भी सीएम बना सकती है. वैसे भी, राउत ही हैं जो शरद पवार से बार-बार मिलकर किसी नतीजे पर पहुंचने की कोशिश में हैं. ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन सरकार बनाने पर राजी होता है या नहीं और अगर राजी हो जाता है तो संजय राउत के नाम से उसे कोई आपत्ति नो नहीं होगी?
4- उद्धव ठाकरे खुद भी बन सकते हैं मुख्यमंत्री
अगर ठाकरे के मन में ये बाद हो कि सीएम तो मातोश्री का ही होगा तो खुद शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे भी सीएम पद पर विराजमान हो सकते हैं. हां वो बात अलग है कि फिर इसके बाद औपचारिकता के तौर पर उन्हें किसी न किसी सदन से चुनकर आना होगा, लेकिन क्या फर्क पड़ता है, जीत मिले ना मिले, सत्ता तो हाथ में होगी और शिवसेना का वो भी मातोश्री का मुख्यमंत्री बनाए जाने का सपना भी पूरा हो जाएगा.
5- शरद पवार के साथ काम कर सकता है 50-50 फॉर्मूला
एक वो भी स्थिति हो सकती है कि कांग्रेस-एनसीपी तमाम शर्तों को मानते हुए शिवसेना के साथ गठबंधन तो कर ले, लेकिन सीएम पद के लिए ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर अड़ जाए, जैसा कि अभी शिवसेना कर रही है. इस तरह शिवसेना को वो मिल जाएगा, जो वो चाहती है और कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन से भी एक नेता मुख्यमंत्री बन सकेगा. वैसे अगर कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर राजी हुआ तो शरद पवार ढाई साल से कम पर भी मुख्यमंत्री बनने पर राजी हो जाएंगे. हालांकि, अभी तक तो एनसीपी ने शिवेसना के साथ सरकार बनाने पर हां नहीं की है और शिवसेना के लिए भी कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन को मना पाना टेढ़ी खीर साबित होगा. खैर, 9 नवंबर तक का समय है, शिवसेना सोच ले उसे क्या करना है.
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